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Leap Second: आपने लीप ईयर के बारे में तो जरूर सुना होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि लीप सेकंड भी होता है और इस लीप सेकंड में 60 नहीं बल्कि 61 सेकंड होते हैं। 1 साल में 365 दिन होते हैं यह सभी जानते हैं और हर 4 साल के बाद एक लीप ईयर आता है। इसलिए इस का मतलब यह होता है कि इस फरवरी में 28 की जगह 29 दिन होते हैं। यह एक तरह से पृथ्वी के घूमने की स्पीड को बैलेंस करने के लिए होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि लीप ईयर की तरह ही एक लीप सेकंड भी होता है जिस तरह लीप ईयर में 1 दिन बढ़ जाता है वैसे ही लिख सेकंड में भी एक सेकंड को एडजस्ट किया जाता है। दरअसल यहां भी पृथ्वी के घूमने की स्पीड को लेकर टाइम जोन एडजस्ट करने के लिए किया जाता है।
तो आइए जानते हैं कि आखिर लीफ सेकंड क्या होता है और इसके पीछे कौन सा लॉजिक काम करता है? साथ ही जानते हैं कि क्या अभी भी लीफ सेकंड होता है और इससे जुड़े क्या है facts?
आपको बता दें कि 1 दिन पूरा 24 घंटे का फिक्स नहीं होता है। इसमें कुछ सेकंड ज्यादा होते हैं ।यह पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने के समय की वजह से होता है. रिपोर्ट्स के अनुसार, यह एटॉमिक टाइम को एडजस्ट करने के लिए किया जाता है. दरअसल, कुछ सालों में समय में अंतर आ जाता है और इसके लिए कभी-कभी एक सेकंड को एडजस्ट किया जाता है। कुछ माइक्रोसेकंड के हेरफेर को एडजस्ट किया जाता है और कभी-कभी 1 सेकंड को यूटीसी टाइम के अकॉर्डिंग एडजस्ट किया जाता है।
सीधे भाषा में समझें तो पृथ्वी की गति के हिसाब से यूटीसी टाइम में कुछ सेकेंड के अंतर को जब एडजस्ट किया जाता है तो उसे लीप सेकेंड कहते हैं. माना जाता है कि यह एक सेकेंड जून या दिसंबर के आखिरी में एक मिनट में जोड़ा जाता है.आपको बता दें कि अब इस व्यवस्था को 2035 तक हटा दिया गया है।
हाल ही में वैज्ञानिकों ने सरकारी प्रतिनिधियों की बैठक में इसका फैसला सुनाया था। इसके बाद से अब समय में कोई भी परिवर्तन नहीं किया जा रहा है. वहीं साल 2035 के बाद देखा जाएगा कि इसे लेकर क्या डिसीजन लिया जाता है और किस तरह से इसकी व्यवस्था की जाएगी माना जाता है कि करीब 100 साल में 1 मिनट का अंतर आता है.