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हाई कोर्ट ने पलटा ममता सरकार का फैसला, मूर्ति विसर्जन से रोक हटी
आनंद शुक्ल
21 Sept 2017 3:32 PM IST
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कोलकाता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा, 'कुछ भी गलत होने की आशंका के आधार पर धार्मिक मामलों पर बंदिश नहीं लगा सकते हैं।' कोर्ट ने ममता सरकार को फटकार लगाते हुए कहा, 'आपके पास अधिकार हैं, पर असीमित नहीं।
कोलकाता: पश्चिम बंगाल में मुहर्रम पर भगवान दुर्गा की मूर्ति विसर्जन पर रोक लगाने के मामले मे कोलकाता हाई कोर्ट ने ममता बनर्जी की सरकार को फटकार लगाई है। कोलकाता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा, 'कुछ भी गलत होने की आशंका के आधार पर धार्मिक मामलों पर बंदिश नहीं लगा सकते हैं।' कोर्ट ने ममता सरकार को फटकार लगाते हुए कहा, 'आपके पास अधिकार हैं, पर असीमित नहीं। आप सभी नागरिकों को बराबरी की नजरों से देखें.' मालूम हो कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुहर्रम पर दुर्गा मूर्ति के विसर्जन पर रोक लगा दी थी। दरअसल इस साल भी पिछले साल की तरह ही मोहर्रम और दुर्गा पूजा मूर्ति विसर्जन एक ही दिन पड़ रहे हैं।
बैठक में ममता बनर्जी ने कहा था कि चार दिन तक चलने वाले दुर्गा पूजा उत्सव की समाप्ति के बाद 30 सितंबर को होने वाले दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के लिए शाम 6 बजे तक की अनुमति दी जाएगी और इसके बाद यह सीधे 2 अक्टूबर को, मोहर्रम की समाप्ति के बाद, फिर से शुरू किया जा सकेगा। 1 अक्टूबर को मोहर्रम के चलते ताज़िए निकाले जाएंगे। उन्होंने कहा था- कुछ लोग धार्मिक आधार पर दिक्कत पैदा करने की कोशिश कर सकते हैं। हर धर्म हमारा है। लेकिन यदि किसी पूजा पंडाल के पास से गुजरते हुए जुलूस के चलते समस्या हो सकती है तो इससे हम प्रभावित हो सकते हैं।
गुरुवार को हाईकोर्ट की पीठ ने कहा, हर दिन प्रतिमा का विसर्जन होगा। दशहरा के दिन रात 12 बजे तक हर घाट पर प्रतिमा पहुंच जाना चाहिए। पुलिस को मोहर्रम व दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के लिए निकलने वाले जुलूस के लिए अलग-अलग रूट निर्धारित करना होगा। राज्य सरकार ने प्रतिमा विसर्जन को लेकर जो अधिसूचना जारी की थी उसे हालांकि हाईकोर्ट ने खारिज नहीं किया है। सरकार से इस संबंध में हलफमाना जमा देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के निर्देश को चुनौती देने के लिए शुक्रवार तक का ही मोहलत राज्य सरकार को दिया गया है। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष भी ममता सरकार को प्रतिमा विसर्जन पर रोक को लेकर मुंह की खानी पड़ी थी।
न्यायाधीश राकेश तिवारी एवं हरीश टंडन की खंडपीठ में मामले की सुनवाई शुरू होते हैं न्यायाधीश ने राज्य सरकार से कहा कि अगर कहीं दंगे जैसे हालात बनते हैं तो दंगाइयों पर सबसे पहले वाटर कैनन का इस्तेमाल होता है फिर भी हालात नहीं सम्भलता है तो आंसू गैस और बाद में हल्का लाठी चार्ज करना पड़ता है लेकिन विसर्जन के मामले में राज्य सरकार ने सीधे तौर पर गोली चलाने वाला एक्शन लेते हुए निषेधाज्ञा जारी कर दिया है।
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