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बंगाल सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला चौथा राज्य बना तो ममता ने कही बड़ी बात
कोलकाता। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ टीएमसी (TMC)आज यानि सोमवार को विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया गया जिसके लिए पश्चिम बंगाल (West Bengal) विधानसभा का आज विशेष सत्र बुलाई गई थी और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया गया।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि सीएए लोगों के खिलाफ है और इसे तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। बंगाल से पहले केरल, राजस्थान और पंजाब भी सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुके हैं। राजस्थान विधानसभा ने 25 जनवरी, केरल विधानसभा ने 31 दिसंबर 2019 और पंजाब विधानसभा ने 17 जनवरी को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव पास किया था।
ममता ने कहा- सीपीएम और कांग्रेस अपने राजनीतिक मतभेदों को दूर कर लें और फासीवादी भाजपा सरकार के खिलाफ मिलकर लड़ें। वक्त आ गया है कि हम अपने छोटे-मोटे मतभेद भुलाकर देश को बचाने के लिए एकजुट होकर लड़ें। एनपीआर, एनआरसी और सीएए आपस में जुड़े हुए हैं और यह नागरिकों के खिलाफ हैं। यह असंवैधानिक हैं।
ममता बनर्जी ने 20 जनवरी को कहा था कि उनकी सरकार अगले तीन-चार दिनों में सीएए के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित करेगी. उन्होंने अन्य राज्यों, खासकर पूर्वोत्तर के राज्यों से भी ऐसे प्रस्ताव पारित करने की अपील की थी ममता ने कहा था, 'हम तीन महीने पहले एनआरसीए के खिलाफ भी प्रस्ताव पारित कर चुके हैं. अगले तीन-चार दिनों में हम सीएए के खिलाफ भी प्रस्ताव पारित करेंगे.''
पिछले महीने संसद में पारित सीएए के तहत 31 दिसंबर, 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में सताए गए हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों, पारसियों, जैन और बौद्ध संप्रदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है.
सीएए इसी महीने 10 तारीख को लागू किया गया है. इस कानून के पारित होने के बाद से ही इसे संविधान के विरुद्ध, धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला कानून बताते हुए इसके खिलाफ देशभर में हजारों छात्र, सामाजिक कार्याकर्ता, भाजपा विरोधी राजनीतिक दल और आम आदमी सड़कों पर उतर आए हैं।