- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
- Home
- /
- राज्य
- /
- पश्चिम बंगाल
- /
- कोलकाता
- /
- बंगाल में अमफान तूफ़ान...
बंगाल में अमफान तूफ़ान को लेकर कई पूर्व आईएएस और आईपीएस समेत कई देश विदेश के लोग जनता के लिए काम करने उतरे
कोरोना महामारी के बीच में पश्चिम बंगाल में अमफान आया है. इस तूफान में बंगाल के 4 जिले कई तहसील प्रभावित है. खास करके दक्षिण 24 परगना उत्तरी, 24 परगना ,कोलकाता, मिदनापुर, हावड़ा शहर ,कोलकाता में 5 दिन तक बिजली पानी से वंचित रहे आम जनता जिसके कारण लोग सड़क पर उतर आए और नाराजगी जताई.
सरकार के विरोध में 10 दिन के बाद भी उत्तरी 24 परगना और दक्षिण 24 परगना जिले में अभी तक बहुत जगह पर पानी बिजली बंद पड़ा है.गुस्साए लोग सड़क पर आ गए खास करके सुंदरबन क्षेत्र में नदी के जो तट थे वह टूट गए और नमकीन पानी गांव के अंदर खेतों और तलाव में घुस गया. जिससे यह नमकीन पानी घर बार सब खत्म होने जाने के बाद सुंदरबन की लोगों ने सर छुपाने के लिए सड़क पर उतर आए.
लॉकडाउन और कोरोना महामारी के चपेट में बंगाल की हालत ऐसे ही खराब थी. उपरांत तूफान के चलते सरकार लोगों तक सुविधा पहुंचाने पहुंचाने में नाकामयाब दिख रही है. जिसके चलते सरकार के ऊपर भरोसा छोड़ के राज्य के कई पूर्व अधिकारियों ने और कई दिग्गज लोगों ने मिलकर एक सामाजिक संगठन बना के लोगों तक राहत पहुंचाने की घोषणा की है. फ्रेंच सोसायटी इन सोशल सर्विस नाम की इस सामाजिक संगठन की नेतृत्व में डॉक्टर अनिर्बन गांगुली लोक बंगाल की लोगों तक राहत पहुंचाने के लिए इस संस्था के साथ जुड़े लोगों में हैं.
पश्चिम बंगाल पुलिस की पूर्व इलेक्टर जनरल रिटायर्ड आईपीएस ऑफिसर दिनेश बाजपेई पश्चिम बंगाल सरकार की पूर्व एडिशनल चीफ सेक्रेटरी रहे और प्रिंसिपल सेक्रेटरी डिजास्टर मैनेजमेंट की भी दायित्व में रह चुके डब्ल्यू एल दिल्ली की मिनी सिपल कॉरपोरेशन की पूर्वी काउंसिल ने चुके और आईने ट्रस्ट की भी जनरल सेक्रेटरी रह चुके हैं. डॉक्टर आनंद मुखर्जी प्रोफ़ेसर गोवर्धनदास चीनू के प्रोफेसर और साइंटिस्ट भी है. एन आर आई मला इंदु मुखर्जी रिटायर्ड ऑफिस अधिकारी जुड़े हैं .श्री जुद्ध आरती सेन मजूमदार जुड़े हैं. श्री सुमंत्र माहिती लोहावट रहे जन अधिकार मंच पश्चिम बंगाल की इस संस्था के साथ जुड़े हैं श्री शांति कक्कर जो इस संस्था की फाउंडर प्रेसिडेंट है जुड़े हैं श्री पन्नालाल भंसाली नेशनल प्रेसिडेंट है राष्ट्रीय सेवा भारती की संस्था के साथ और भी जुड़े श्री प्रदीप जोशी सोशल एक्टिविस्ट हैं और जाने-माने पश्चिम बंगाल की पत्रकार श्री राम जी देव सेन गुप्ता भी इस संस्था के साथ जुड़े हुए हैं.
डॉक्टर अनिर्बान गंगोली जो कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन का डायरेक्टर है जिनकी नेतृत्व में यह संस्था बंगाल की तूफान तूफान में पहने हुए और बेघर हुए लोगों तक राहत पहुंचाने की जिम्मेवारी उठाई डॉटर गांगुली ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार के ऊपर लोगों की भरोसा उठ चुके हैं और सरकार की नाकामयाबी ने लोगों परेशान नहीं देखी नहीं जा रही है इसीलिए हम लोगों ने यह संस्था बनाया है लोगों तक राहत पहुंचाना और उनको दोबारा अपनी जिंदगी में लौट आने की काम करेंगे.
हमारी यह संस्था जब सरकार पर से लोगों का भरोसा उठ चुका हैं. तब राज्य की कई पूर्वी अधिकारी को लेकर के यह संस्था हम लोगों ने बनाई हैं .बंगाल की तूफान से पीड़ित लोगों तक अपनी सहायता पहुंचाने के लिए कुल मिलाकर फ्रेंच सोसायटी इन सोशल सर्विस नाम की यह संस्था बन्नी का कारण रहा एक पश्चिम बंगाल सरकार कोरोना महामारी की बीच में अमफान तूफान ने तहस-नहस हुए राज्य की कई जिलों के लोगों के पास अपनी सरकारी सहायता पहुंचा नहीं पा रहा है और इस बात को पुख्ता बनाने के लिए और देश भर में लोगों तक पहुंचाने के लिए यह संस्था काम करके एक बार दोबारा साबित करना चाहता है कि पश्चिम बंगाल सरकार वाकई उनकी सरकारी व्यवस्था काम नहीं कर रहा है.