बिहार : क्या मौजूदा कांग्रेस राजद के बरियारी को बर्दाश्त करेगी?
कन्हैया कुमार को कांग्रेस में शामिल कराना एक तरह से तेजस्वी को चिढ़ाना भी है.
संजय झा
बिहार की राजनीति में कांग्रेस पर पैनी नजर रखिए. बिहार कांग्रेस अब भाषण देने के लिए भीड़ जुटाऊ नेता विहीन नहीं है.
बिहार में तारापुर और कुशेश्वर स्थान दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. गत चुनाव में दोनों सीटों पर जदयू को विजय प्राप्त हुआ था. लेकिन टकराव का वजह कुशेश्वरस्थान सीट को लेकर है.
कुशेश्वरस्थान में जदयू के शशिभूषण हजारी को 53980 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के अशोक राम को 46758 वोट मिले थे. जीत का अंतर औसत था. ऐसे में कांग्रेस का फिर से इस सीट पर दावा सही है.
उपचुनाव में राजद प्रमुख लालू यादव ने ऐलान कर दिया है कि कुशेश्वरस्थान से कांग्रेस नहीं राजद अपना प्रत्याशी उतारेगा. मतलब कांग्रेस को धकियाया जा रहा है.
लेकिन क्या मौजूदा कांग्रेस राजद के बरियारी को बर्दाश्त करेगी? ऐसा लगता तो नहीं है. जो कांग्रेस कैप्टन अमरिंदर सिंह को बर्दाश्त नहीं कर रहीं है, जो भूपेश बघेल पर नजरें टेढ़ी कर चल रही है. वह बिहार में राजद के ऐंठन को बर्दाश्त करेगी, यह मुश्किल लग रहा है.
कन्हैया कुमार को कांग्रेस में शामिल कराना एक तरह से तेजस्वी को चिढ़ाना भी है. हालांकि यह मौका है कि यदि कांग्रेस में खुद के दम पर खड़ा होने का हौसला है तो दिखाना चाहिए. फिलहाल उपचुनाव में लालू यादव ने कांग्रेस को धकिया दिया है.
यदि कांग्रेस की कुशेश्वरस्थान सीट पर राजद उम्मीदवार को कांग्रेस बर्दाश्त करती है तो समझिए कि कन्हैया कुमार के कांग्रेसीकरण के बाद भी कांग्रेस लालू यादव के आगे विवश है. यदि कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारती है तो यह बिहार कांग्रेस के खुद के दम पर खड़ा होने की कवायद माना जायेगा. मुझे पूरा यकीन है राहुल गाँधी अलग मूड में है.
विधानसभा उपचुनाव बिहार की राजनीति में नये समीकरण का पुख्ता सबूत दे सकता है. आज रात यही लिखने वाले थे कि Durgesh भैया की यह पोस्ट दिख गयी. और कुछ लिखना बाकी कहाँ रह गया है.