औषधीय पौधों के प्रमाणीकरण पर कार्यशाला का आयोजन
कार्यक्रम के स्वागत भाषण में डॉ. संजय सिंह, प्रमुख, पारि-पुनर्स्थापन वन अनुसंधान केंद्र, प्रयागराज ने भारतीय गुणवता परिषद् से प्रतिभागियों को अवगत कराते हुए उन्नत कृषि पद्धतियों व कार्य क्षेत्र संग्रह पर विस्तृत चर्चा की ।
रांची। औषधीय पौधों के प्रमाणीकरण पर कार्यशाला का आयोजन को भारतीय गुणवता परिषद, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा पारि-पुनर्स्थापन वन अनुसंधान केंद्र, प्रयागराज की सहभागिता से होटल प्रताप रेसीडेंसी, राँची, झारखण्ड में औषधि पादप उत्पादन हेतु स्वैछिक प्रमाणीकरण योजना के द्वारा उतम कृषि पद्धतियाँ विषय पर जागरूकता हेतु एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया । कार्यशाला का शुभारम्भ मुख्य अतिथि डॉ. विपिन बिहारी, परियोजना निदेशक, जोहार , राँची के साथ अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिकों द्वारा दीप प्रज्वलन करके हुआ । श्री बिहारी ने झारखण्ड के किसान भाई बहनों को अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए एक क़दम आगे की सोच रखने का आह्वान किया।
कार्यक्रम के स्वागत भाषण में डॉ. संजय सिंह, प्रमुख, पारि-पुनर्स्थापन वन अनुसंधान केंद्र, प्रयागराज ने भारतीय गुणवता परिषद् से प्रतिभागियों को अवगत कराते हुए उन्नत कृषि पद्धतियों व कार्य क्षेत्र संग्रह पर विस्तृत चर्चा की ।
उन्होंने कहा कि झारखण्ड की औषधीय पौधों की अपार सम्पदा को सुरक्षित रखने के साथ साथ आजीविका का स्थायी माध्यम बनाने की आवश्यकता है । पारि-पुनर्स्थापन वन अनुसंधान केंद्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनीता तोमर ने अपनी भाषण में प्रमाणीकरण हेतु अग्रसर होने वाले क्षेत्रीय किसानों का आवाहन किया जिससे इस क्षेत्र की स्थिति प्रत्येक दृष्टि में सुदृढ़ हो सके । साथ-ही-साथ योजना के अंतर्गत उतम कृषि से सम्बंधित औषधीय पौधों की खेती, मूल्यांकन, प्रबंधन, पैकिंग व भण्डारण उपकरण व औजार के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी।
कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए डॉ. आरुल जेसन, कार्यकारी अधिकारी, भारतीय गुणवता परिषद ने औषधीय पादप उत्पादन हेतु स्वैछिक प्रमाणीकरण योजना की भूमिका और परिचय में औषधीय पादप व्यापार को बढ़ाने में राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड तथा भारत की गुणवता परिषद के संयुक्त प्रयास से अवगत कराया । डॉ. चिन्मय रथ, अनुसंधान अधिकारी (वनस्पति) राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने औषधीय पौधों की गुणवता सुनिश्चित करके अधिक लाभ उठाने के बारे में जानकारी दी।
दिवाकर कुमार, परियोजना समन्वयक, जोहार (जेएसएलपीएस) राँची ने औषधीय खेती में परियोजना की भूमिका से अवगत कराया तथा डॉ. सत्य प्रकाश मिश्रा, विषय विशेषज्ञ, औषधीय पादप,जेएसएलपीएस ने औषधीय पौधों की झारखण्ड राज्य के परिपेक्ष में कुछ लाभकारी प्रजातियों पर प्रकाश डाला तथा उनकी खेती एवं उनके विपणन पर चर्चा की ।
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किये गये । पारि-पुनर्स्थापन वन अनुसंधान केंद्र, प्रयागराज के पी० एच० डी० के छात्र विजय कुमार सिंह ने कार्यक्रम समन्वय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई एवं पी एच डी छात्रा कुमारी ब्यूटी ने मंच का संचालन किया । कार्यक्रम में झारखण्ड राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से अधिकतर महिला किसान ने भाग लिया ।