राजद नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि देश चिंता जनक स्थिति में पहुँच गया है. पिछले आठ वर्षों से देश की राजनीति का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कर रहे हैं. इसलिए देश में आज जो चिंताजनक परिस्थिति पैदा हुई है उसकी जवाबदेही उन्हीं को लेनी होगी. धर्म संसद में मुस्लिम जन संहार का आह्वान करते वीडियो को पुरा देश ने देखा है. जिन महात्मा गाँधी की समाधि पर जाकर प्रधानमंत्री जी प्रति वर्ष फूल अर्पित करते हैं उनको गाली दी गई. जगह जगह गरीब मुसलमानों को घेर कर जय श्रीराम का नारा लगवाने की घटना का वीडियो दिखाई देता है.
शिवानंद तिवारी ने कहा कि लेकिन प्रधानमंत्री जी ने इन सब घटनाओं के विरूद्ध अपना मुँह कभी नहीं खोला. उनके मौन ने या कभी-कभी उनकी भाषा ने उन्मादी तत्वों का मन बढ़ाया. बात बढ़कर पैगंबर साहब को अपमानित करने की हद तक चली गई. यहीं से मामला बेक़ाबू होता दिखाई देने लगा है. मुस्लिम समुदाय में कई फ़िरक़े हैं. लेकिन ईश्वर के बाद या उन्हीं की तरह हर मुसलमानों के लिए पैगम्बर साहब इबादत की जगह रखते हैं. इसलिए यह मामला अब देश के अंदर का ही नहीं रह गया.
देश के अंदर शासक पार्टी के समर्थन से मुसलमानों के विरूद्ध घृणा नफ़रत फैलाया जा रहा था. पुलिस, प्रशासन, मीडिया तथा कुछ हद तक न्याय पालिका भी उनके प्रति पूर्वाग्रह दिखा रही थी, उसके घुटन में यह समाज जी रहा था. ऐसा नहीं है कि संपूर्ण हिंदू समाज मुसलमानों के खिलाफ लगा हुआ था. हिंदुओं का उदार चेता बहुमत देश में आज जो कुछ हो रहा है उसको नापसंद करता है. लेकिन कट्टर वादियों द्वारा सत्ता के समर्थन से जो तांडव मचाया जा रहा है उसका सक्रिय विरोध नहीं कर हो पा रहा है.
शिवानंद तिवारी ने कहा कि लेकिन टीवी बहस में नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर साहब के विरूद्ध अपमान जनक टिप्पणी के बाद मुस्लिम देशों में जैसी प्रतिक्रिया हुई उससे देश में मुसलमानों को बल मिला है. देश के विभिन्न शहरों में सड़कों पर उतर कर मुसलमान नूपुर शर्मा की टिप्पणी का विरोध कर रहे हैं.
मौजूदा स्थिति को सँभालने के लिए जिस धीरज और परिपक्वता की ज़रूरत है उसका नितांत अभाव भाजपा के नेतृत्व में दिखाई देता है. यह एक ऐसा मसला है जिसको बुलडोज़र के सहारे नहीं निपटा सकते हैं. आठ वर्षों के शासन में पहली मर्तबा मोदी जी के नेतृत्व की गहरी परीक्षा शुरू हुई है. देश हित में ज़रूरी है कि वे इस परीक्षा में सफल हों. लेकिन इसके लिए सबसे पहले उन्हें देश को आश्वस्त करना होगा जो कुछ अबतक देश में चलता रहा है वैसे अब आगे नहीं चलेगा. सभी धर्मों को, प्रत्येक नागरिक के साथ संविधान के निर्देशों के मुताबिक़ बग़ैर भेदभाव के बराबरी का व्यवहार किया जाएगा. ऐसा विश्वसनीय भरोसा देकर ही इस संवेदनशील मसले को सँभाला जा सकता है.