बिजली विभाग में इंजीनियर की नौकरी छोड़ने वाला आदमी कैसे बना सात बार मुख्यमंत्री!
सफलता की कहानियां उन्हीं की पढ़ी जाती हैं, जो जीवन में जोखिम उठाते हैं। जोखिम भरी राह पर चलना सबके बस की बात भी नहीं। बहुत सी प्रतिभाएं किसी साहसिक फैसले के अभाव में घुट-घुटकर मर जातीं हैं। लेकिन, नीतीश कुमार एक उदाहरण हैं।
अगर नीतीश कुमार ने 1972 में एनआईटी पटना से इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद मिली बिजली विभाग की नौकरी को चंद दिनों में ठोकर न मारी होती तो शायद सरकारी इंजीनियर के रूप में रोज दस से पांच बजे की नौकरी करते हुए एक दिन रिटायर हो जाते। तब बिहार और पूरा देश इस नाम के किसी शख्स से अनजान रहता।
लेकिन, नीतीश ने दिल की बात सुनी। छात्र-राजनीति के जुनून को उन्होंने सरकारी नौकरी की मासिक पगार के मोह में मरने नहीं दिया। नस-नस में समाई राजनीति को ही उन्होंने करियर बनाया। कभी शिक्षक पत्नी मंजू सिन्हा के पैसे से चुनाव लड़ने वाले नीतीश कुमार राजनीति में आज वो मुकाम हासिल कर चुके हैं, जहां पहुंचना किसी नेता का सपना होता है। जातीय गुणा-गणित के लिहाज से सबसे जटिल राज्य माने जाने वाले बिहार का आज सातवीं बार मुख्यमंत्री बन उन्होंने इतिहास रच दिया। बधाई नीतीश बाबू।