क्या बीजेपी के सियासी खेल में फंस गए गुप्तेश्वर पाण्डेय?

अब देखना यह होगा कि गुप्तेश्वर पाण्डेय इस बार फिर क्या चुनाव लड़ने से मरहूम रह जायेंगे या फिर जदयू कोई करिश्मा करके उन्हें कहीं न कहीं शिफ्ट कर देगा.

Update: 2020-10-08 02:57 GMT

बिहार में सुशांत सिंह राजपूत मुद्दे को लेकर बिहार में राजनीत का एक नया ककहरा गढने वाले पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय क्या एक बार राजनीत में फिर से मात खा गये है. अब तक के हुए सियासी समीकरण तो यही कहते नजर आ रहे है. जहां अब उनकी निश्चित की गई सीट भी बीजेपी के खाते में चली गई है. 

डीजीपी गुप्तेशवर पांडेय का सियासी कैरियर एक बार फिर से फंसा नजर अ रहा है. जहां उनकी बक्सर से टिकट मिलने की संभावना पर विराम लगता नजर आ रहा है. जेडीयू के लिस्ट में पांडेय जी का नाम नहीं है जबकि बक्सर से परशुराम मिश्रा को भारतीय जनता पार्टी मैदान में उतारेगी. यह जानकारी सूत्रों से मिली है. 

राजनीत में कब क्या हो जाय कहा नहीं जा सकता है. स्पेशल कवरेज न्यूज को मिली भीतरी जानकरी के अनुसार बीजेपी के पास बिहार में अपने मुख्यमंत्री पद लायक अब कोई चेहरा नहीं है. इसलिए बीजेपी की इच्छा थी कि अब तक जिन चेहरों को आगे करके चुनाव लड़ा गया तो उनमें मात मिली है लिहाजा अब एक नया समझदार चेहरा उनके पास होना चाहिए जो लालूप्रसाद और नीतीश कुमार को मात दे सके . चूँकि रजनीत में बडबोले पन का मिश्रण होना अति आवश्यक है. इसके लिहाज से बीजेपी की निगाह गुप्तेश्वर पाण्डेय पर थी. 

उसी समय सुशांत सिंह राजपूत मामले में बीजेपी की इच्छा पर तत्कालीन डीजीपी गुतेश्व्र पाण्डेय खरे उतर गये. और उनके जो वीडियो आये उनसे बिहार पुलिस का मनोबल भी बढ़ा और उनका कद भी. लेकिन जब उन्होंने वीआरएस लिया और घोषणा की तो बीजेपी को भी एक नये चहरे की तलाश पूरी होती दिखी जिस पर गुप्तेश्वर पाण्डेय ने पानी फेर दिया. अब चूँकि टिकिट बंटवारे के समय गेंद बीजेपी के पाले में आ चुकी थी तो बीजेपी ने पूरा का पूरा खेल कर दिया है अब देखना यह होगा कि गुप्तेश्वर पाण्डेय इस बार फिर क्या चुनाव लड़ने से मरहूम रह जायेंगे या फिर जदयू कोई करिश्मा करके उन्हें कहीं न कहीं शिफ्ट कर देगा. 

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