कहते हैं कि हाँको उतना ही जितना सँभाल सको, गाड़ी हो या जुबान, बुरे फंसे मंत्रीजी
विमलेन्दु सिंह
कहते हैं कि हाँको उतना ही जितना सँभाल सको। गाड़ी हो या जुबान, दोनों पर कंट्रोल जरूरी है, वरना एक्सीडेंट/ ट्रॉल होना तय है। बयानवीरों को अक्सर मुंह की खानी पड़ती है। ऐसा ही वाकया फिर देखने को मिला जब नेताजी अपने ही कही गई बात में फंस गये।
देहाती कहावत है, बाप न मारे मेढकी बेटा तीरंदाज। बाप का नाम लत्ती फत्ती पूत का नाम कदीमा। बकने और हांकने दोनों में क्लच, ब्रेक, एक्सलेटर और गियर के बीच को-कॉर्डिनेशन जरूरी है। बोलने में जुबाँ को दिमाग से कनेक्ट रखना चाहिए। इससे अनाप शनाप बकने में आपके बहकने का पता चल जाता है।
यहां एक पेपर की कटिंग है। कटिंग में दावे हैं। बड़बोलापन है। दूसरा नेता जी के फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट है। इसमें एक्सक्यूज है।आप खुद ही पढ़ें और तय करें ऐसा लोगों की हकीकत। नॉर्मल नहीं रह सकते तो कम से कम एब्नॉर्मल तो न बनें। अब इन्हें कहाँ और किसके साथ खड़ा मानें, आप तय करें।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार में संकल्प रैली को लेकर एक बड़ी बात कही। जिसके अनुसार जो भी व्यक्ति रैली में नहीं आएगा वो देश द्रोही कहलायेगा। इस बात का जदयू ने विरोध भी किया लेकिन सयोंग रहा कि मंत्रीजी खुद ही रैली में स्वास्थ्य को लेकर शामिल नहीं हो पाए अब इसको क्या कहेगें।