लालू ने रघुवंश प्रसाद सिंह का इस्तीफा कियानामंजूर, कहा- आप कहीं नहीं जा रहे हैं....
लालू प्रसाद यादव ने रघुवंश प्रसाद सिंह को पत्र के जरिये जवाब में उनके इस्तीफे को नामंजूर कर दिया है
पटना/रांची : राजनीतिक हो या पारिवारिक, पिछले 32 वर्षों से आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के साथ हर वक्त साये की तरह खड़े पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने राष्ट्रीय जनता दल से इस्तीफा दे दिया. महज 38 शब्दों के लिखे पत्र में उन्होंने अपना पूरा दर्द बयां कर दिया. इस्तीफे का पत्र मीडिया में आते ही राजद में खलबली मच गई. वहीं उनके बेहद खास लालू प्रसाद यादव भी बेचैन हो गए हैं. अब इसी बेचैनी को उन्होंने अपने पत्र के माध्यम से व्यक्त किया है और रघुवंश प्रसाद सिंह से कहा है कि वे राजद (RJD) छोड़ कहीं नहीं जा रहे हैं.
लालू प्रसाद यादव ने रघुवंश प्रसाद सिंह को पत्र के जरिये जवाब में उनके इस्तीफे को नामंजूर कर दिया है. लालू यादव ने रघुवंश सिंह के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हुए आगे भी मिल बैठकर राज्य और देश के लिए काम करने की बात कही है. लालू यादव ने जो चिट्ठी लिखी है उसका मजमून कुछ यूं है...
प्रिय रघुवंश बाबू,
आपके द्वारा कथित तौर पर लिखी एक चिट्ठी मीडिया में चलाई जा रही है. मुझे तो विश्वास ही नहीं होता. अभी मेरे, मेरे परिवार और मेरे साथ मिलकर सिंचित राजद परिवार आपको शीघ्र स्वस्थ होकर अपने बीच देखना चाहता है. चार दशकों में हमने हर राजनीतिक, सामाजिक और यहां तक कि पारिवारिक मामलों में मिल बैठकर ही विचार किया है. आप जल्द स्वस्थ हों, फिर बैठकर बात करेंगे. आप कहीं नहीं जा रहे हैं. समझ लीजिए.
आपका
लालू प्रसाद
बता दें कि गुरुवार की सुबह ही रघुवंश प्रसाद सिंह ने RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव को चिट्ठी लिखी और कहा कि अब वो उनके साथ नहीं रह सकते हैं. वे फिलहाल दिल्ली के एम्स में भर्ती हैं और वहां से ही एक कागज पर 38 शब्दों के संदेश के साथ उन्होंने RJD का अपना 32 साल पुराना साथ छोड़ दिया.
RJD के पूर्व उपाध्यक्ष ने लालू प्रसाद यादव को संबोधित करते हुए लिखा, 'जननायक कर्पूरी ठाकुर के बाद 32 वर्षों तक आपके पीछे खड़ा रहा, लेकिन अब नहीं. पार्टी, नेता, कार्यकर्ता और आमजनों ने बड़ा स्नेह दिया, मुझे क्षमा करें.'
शिवहर जिला राजद के अध्यक्ष ठाकुर धर्मेंद्र सिंह लगातार रघुवंश प्रसाद सिंह के साथ रहे हैं. उन्होंने उस भावुक क्षण का ज़िक्र न्यूज़ 18 से साझा करते हुए कहा, 'जब रघुवंश बाबू अपने हाथों से इस्तीफ़ा लिख रहे थे तो वे बहुत भावुक थे. उनकी आंखों से आंसू निकल रहे थे. उनके आंसुओं से पन्ना भर गया था.' ठाकुर धर्मेंद्र सिंह कहते हैं कि रघुवंश प्रसाद सिंह पार्टी की गतिविधियों से काफ़ी दुखी थे. उन्होंने कभी दल नहीं बदला. आप समझ सकते हैं उनकी पीड़ा कि जब कहा गया कि उनकी अहमियत समुद्र में एक लोटा पानी जितनी है. उसके बाद से रघुवंश बाबू बहुत सदमे में हैं.
गौरतलब है कि हाल में रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा था कि तेजस्वी यादव ने एम्स में आकर मेरे स्वास्थ्य का हालचाल जाना जो मुझे अच्छा लगा, लेकिन हमने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से पहले ही इस्तीफा दे दिया है और उसे हरगिज़ वापस नहीं लेंगे. दरअसल वे तेजप्रताप यादव की उस बात से भी आहत थे जब उनके इस्तीफे की खबरों पर तेजप्रताप ने कहा था कि राजद समुद्र है और इससे एक लोटा पानी निकल भी जाए तो कुछ नहीं होता.
बता दें कि रघुवंश प्रसाद सिंह राजद में रामा सिंह की एंट्री की खबरों को लेकर नाराज चल रहे थे और उन्होंने इसका पुरजोर विरोध भी किया था. यही कारण है कि रामा सिंह को अभी तक राजद में जगह नहीं मिल सकी है. रघुवंश प्रसाद सिंह ने न्यूज़ 18 से फोन पर बातचीत में कहा था कि हमने एक बार जो फैसला कर लिया तो उससे पीछे नहीं हट सकते हैं. हमने न तो कभी अपने सिद्धांतों से समझौता किया है और न ही आगे करेंगे.