यानि लालू, उपेन्द्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के जनाधार को नीतीश ने जद यू के तीर से बेधने का लिया संकल्प
एनडीए में सीटो का बंटबारा, बीजेपी की पांच जीती हुई सीटे मिली जद यू को रालोसपा की तीनो सीटे जद यू के खाते में चली गई है, बिहार में एन डी के घटक दलो के बीच सीटो का एलान हो गया है..
आज जद यू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह , बी जे पी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय और लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने संयुक्त रूप से घोषणा की . घोषणा के मुताबिक जद यू को मिली 17 सीटो मे भाजपा के5 सांसदो का पत्ता साफ हो गया है . गया, सीवान, गोपालगंज , बाल्मिकी नगर और झंझारपुर की जीती हुई सीट बीजेपी ने जद यू की झोली में डाल दी है . इतना ही नही उपेन्द्र कुशवाहा की रालोसपा की जीती हुई तीनो सीटे काराकाट , जहानाबाद और सीतामढी की सीट पर भी जद यू का कब्जा हुआ है,
यानि लव कुश समीकरण पर हक की लड़ाई अब नीतीश और उपेन्द्र के बीच होगी. इतना ही नही शाहनवाज हुसैन , अश्विनी चौबे और सुशील मोदी की सीट भागलपुर अब जद यू के हवाले कर दिया गया. यानि अब भागलपुर में हिन्दू मुस्लिम नही असली सेक्यूलर कौन इसका फैसला होना है. कटिहार , किशनगंज और सिवान की सीट को जद यू के खाते में डालकर जहां भाजपा निश्चिंत हो गयी है वही नीतीश पूरे देश में यह मैसेज देगें कि भाजपा के साथ रहकर भी जद यू अल्पसंख्यको के साथ है.
मधेपुरा , सुपौल में जहा जद यू लालू के माय को एक बार फिर चुनौती देने के मूड में है तो झंझारपुर और सीतामढी की सीट से जद यू अतिपिछडे और पिछडो पर अपनी पकड़ साबित करने के फिराक में.वही गया और गोपालगंज की सीट लेकर माझी के अलावे अन्य दलितो पर भी अपना हक जतायेगी. यानि लालू , उपेन्द्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी के जनाधार को नीतीश ने जद यू के तीर से बेधने का संकल्प लिया है.
देखना है कि आखिर इसका क्या असर पड़ेगा फिलहाल. लोजपा और बीजेपी अपनी जीती हुई सीट को केवल बचाने में ही पूरा दम लगायेगी..यानि इस चुनाव में शायद असली अग्नि परीक्षा नीतीश की ही होनी है.दो सांसदो की हैसियत वाले नीतीश 17 सीटो पर जद यू का परचम कितना फहरापायेगें देखना बाकी है.