कोई यूं ही लालू बन जाता, उसके लिए बहुत करना होता, सुनिए एक उनके बारे में एसी बातें जो कभी नहीं सुनी होंगी

जब भीड़ में एक महिला से उसका नाम लेकर किया सवाल

Update: 2023-04-08 06:30 GMT

ST वर्ग के एक टोले में लालू यादव जी पहुंचते हैं,पूरा टोला भागकर आता है,उसमें 30 साल की महिला। वो लालू के नजर आना चाहती थी, नजर पड़ी तो लालू बोले-सुखमनिया तुम यहां ?तोहरा बिहाय यहां हुआ है ?

साथ में खड़े शिवानंद तिवारी अचंभित कि इसे कैसे जानते हैं ?यही लालू का करिश्मा है वो जिससे एक बार मिल लें उसे भूलते नहीं। वो महिला पटना के वेटरनरी कॉलेज के पास किसी टोले में रहती थी। लालू तब से उसे जानते थे।आशीर्वाद दिया,उसकी बहन का नाम लेकर पूछा, वो कहां है ? हाल-चाल लिया। हाथ में 500 रुपए रखे और चल दिए। यही बातें लालू प्रसाद यादव को आम लोगों का नेता बनाती है।

आज भी बिहार में लालू माइनस राजनीति की कल्पना नहीं हो सकती। लालू ही वो नेता हैं जिन्होंने दबी-पिछड़ी जनता को जुबान दी।

खेत में हेलिकॉप्टर उतरवा गरीबों को उसपर घुमाना हो या किसी भी सामान्य आदमी पूछ लेना- खैनी है तुम्हारे पास। ये वो अंदाज है जो उन्हें औरों से अलग करता है।

जब चारा घोटाला मामले में लालू पहली बार जेल गए तो पेटीशन फाइल करने वालों में रविशंकर प्रसाद, सुशील मोदी, शिवानंद तिवारी थे। लेकिन जब जेल से लौटे तो पहला फोन शिवानंद तिवारी को किया और बोले- बाबा प्रणाम। शिवानंद हक्का-बक्का। क्योंकि ये रेयर है और ये लालू ही कर सकते थे।

भाषण देने और अपने लोगों से कनेक्ट करने में भी लालू का कोई सानी नहीं। संसद कवर करने वाले सीनियर रिपोर्टर बताते हैं कि जब वो संसद में बोलने वाले होते थे तो रिपोर्टर पार्किंग एरिया से भागकर उन्हें सुनने चले आते थे। लालू के रहते संसद जितना चहकी, वै‌सा शायद ही कभी हुआ हो।

इससे इतर लालू की सबसे बड़ी बात ये रही कि वो हमेशा सांप्रदायिकता के खिलाफ खड़े रहे।90 के दशक से लेकर आज तक आप लालू प्रसाद यादव का एक भी सांप्रदायिक बयान चाहकर भी नहीं खोज सकते...।

Tags:    

Similar News