उपेंद्र कुशवाहा केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ नौबतपुर में हल्ला बोलेंगे
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ नौबतपुर में हल्ला बोलेंगे.
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ नौबतपुर में हल्ला बोलेंगे. रालोसपा किसान संगठनों के आंदोलन के समर्थन में राज्यव्यापी किसान चौपाल लगा रही है. पार्टी का किसान चौपाल दो फरवरी से शुरू हुई है और 28 फरवरी तक लगाई जाएगी. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता फजल इमाम मल्लिक और प्रदेश महासचिव व प्रवक्ता धीरज कुशवाहा ने पार्टी कार्यालय में यह जानकारी दी. इस मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय़ उपाध्यक्ष विनोद यादव, प्रदेश महासचिव राजदेव सिंह, किसान प्रकोष्ठ के प्रधान महासचिव रामशरण कुशवाहा, कार्यालय प्रभारी अशोक कुशवाहा और प्रदेश सचिव राजेश सिंह भी मौजूद थे.
पार्टी नेताओं ने कहा कि नौबतपुर के अजवां गांव में 24 फरवरी को महाकिसान चौपाल का आयोजन किया गया है. पार्टी प्रमुख इस महाकिसान चौपाल में हिस्सा लेंगे और किसानों से संवाद करेंगे. पार्टी के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुशवाहा, प्रधान महासचिव निर्मल कुशवाहा, महासचिव राजदेव सिंह, वीरेंद्र प्रसाद दांगी, सचिव राजेश सिंह और युवा रालोसपा के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव मनोज कांत ने शनिवार को अजवां जाकर तैयारी का जायजा लिया और किसानों से मिल कर किसान चौपाल में आने का न्यौता दिया. पार्टी के पश्चिमी पटना के जिला अध्यक्ष राघवेंद्र कुशवाहा भी इस मौके पर साथ थे.
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने कृषि कानून को किसानों के खिलाफ बताया है. रविवार को रालोसपा ने कहा कि नया कृषि कानून कालाबाजारी और जमाखोरी का बढ़ावा देने वाला है. इससे न सिर्फ किसानों को बल्कि आम लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. रालोसपा राज्यव्यापी किसान चौपाल में इन कृषि कानूनों के काले पक्ष को किसानों और आम लोगों के सामने रख रही है. रालोसपा किसान चौपाल के इक्कीस दिन पूरे हो गए हैं और पार्टी बिहार के विभिन्न जिलों में करीब छह हजार गांवों में अब तक चौपाल लगा चुकी है. रालोसपा का मानना है कि सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव कर पूंजीपतियों को असीमित भंडारण की छूट दे दी है इससे जमाखोरी और कालाबाजारी बढ़ेगी. रालोसपा ने केंद्र सरकार के इन कानूनों पर सवाल उठाते हुए इस बात पर हैरत जताई कि आखिर दाल, चावल, तिलहन आम लोगों के लिए जरूरी नहीं है तो फिर जरूरी क्या है. इन उत्पादों पर असीमित भंडारण का मतलब साफ है कि केंद्र सरकार जमाखोरी व कालाबाजारी को बढ़ावा दे रही है.