8 वर्षीय बच्ची की हत्या मामले में पुलिस ने किया खुलाशा
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जिले के नया रामनगर थाना क्षेत्र के फरदा गांव निवासी दिलीप कुमार को एक तांत्रिक परवेज आलम ने
मुंगेर। बिहार के मुंगेर में आठ वर्षीय बच्ची की हत्या मामले में पुलिस अधीक्षक जगुन्नाथ रेड्डी जलारेड्डी ने पर्दाफाश कर दिया कि झाड़-फूंक के चक्कर में बच्ची की हत्या हुई है। गुड़िया पिछले 10 वर्षों से झाड़-फूंक करने वाला परवेज आलम के संपर्क में थी। जिले में हाल ही में 8 साल की एक बच्ची की लाश मिली थी, जिसकी आंखें भी निकाल ली गई थी।
पुलिस के मुताबिक, बच्ची का क्षत-विक्षत शव पिछले हफ्ते एक सुनसान जगह पर देखा गया था। उसके गुप्तांगों पर चोट के निशान भी मिले। पुलिस जांच में जो खुलासा हुआ है उस संदर्भ में मुंगेर के पुलिस अधीक्षक जगुन्नाथ रेड्डी जलारेड्डी ने बताया कि बच्ची की बलि चढ़ाई गई थी। पुलिस अधीक्षक रेड्डी ने बच्ची की हत्या के मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स गठन किया था, नाबालिग लड़की की हत्या के आरोप में एक तांत्रिक समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जिले के नया रामनगर थाना क्षेत्र के फरदा गांव निवासी दिलीप कुमार को एक तांत्रिक परवेज आलम ने अपनी गर्भवती पत्नी को गर्भपात से बचाने के लिए एक लड़की की बलि देने की सलाह दी थी। पुलिस अधीक्षक के मुताबिक दिलीप की पत्नी ने कई प्रयासों के बाद गर्भधारण किया था। तांत्रिक की सलाह दिलीप ने यह कदम उठाया। तांत्रिक ने दिलीप की पत्नी को किसी कुंवारी लड़की की आंखों की ताबीज पहनने को कहा था। दिलीप ने अपने दोस्त तनवीर आलम के कहने पर तांत्रिक परवेज से मिला। फरदा गांव स्थित पॉल्ट्री फार्म में अनुष्ठान करने की व्यवस्था की गई।
सफियाबाद पुलिस चौकी के थानाध्यक्ष गौरव कुमार ने कहा कि लड़की अपने पिता को दोपहर का भोजन देने गई थी, अकेले रास्ते में आते हुए उठा लिया गया और उसकी हत्या कर दी गई। तांत्रिक का दिया ताबीज दिलीप की पत्नी ने पहना।
पुलिस ने शुरुआत में दिलीप और उसके सहयोगी तनवीर और दशरथ को गिरफ्तार किया। परवेज आलम को खगड़िया जिले से हिरासत में ले लिया गया। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि पुलिस ने सबूतों के आधार पर मामले का खुलासा किया। उस जगह से कुछ सामान बरामद हुआ है, जहां लड़की की बलि दी गई थी। पुलिस ने इस मामले को बलात्कार और हत्या मानकर मामला दर्ज किया था, क्योंकि लड़की के निजी अंगों पर चोट के निशान थे।
(कुमार कृष्णन)