इंसान के अंदर जज्बा और जुनून हो तो वह सारी मुश्किलों पर फतह पाकर कामयाबी हासिल कर ही लेता है। आर्थिक तंगी की वजह से सही शिक्षा हासिल नहीं हो पाती है, ऐसा कई लोग मानते हैं, लेकिन बिहार के जमुई ज़िले के रहने वाले सूरज ने इस बात को गलत साबित कर दिखाया है। सिकंदरा के रहने वाले सूरज का बचपन आर्थिक तंगी में गुज़रा, यहां तक कि उसने अपनी ज़िंदगी बसर करने के लिए घर के सामने अंडा और चना तक बेचा। वहीं उनके सातवी पास पिता कृष्ण नंदन चौधरी ने मज़दूरी कर बेटे को तालीम दिलाई। सूरज की कामयाबी पर आज पूरे गांव में जश्न का माहौल है। आइए जानते हैं सूरज ने किस तरह कामयाबी का परचम लहराया ?
आर्थिक तंगी से जूझ रहा था परिवार
बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा के परिणाम घोषित होने के बाद से कई अभ्यर्थियों के संघर्ष की कहानी देखने को मिल रही है। इसी कड़ी में आज हम आपको सूरज के कामयाबी की कहानी बताने जा रहे हैं। बचपन से आर्थिक तंगी से जूझ रहे सूरज ने कड़ी मशक्कत से पढ़ाई कर आज अपने परिवार ही नहीं बल्की हर उन युवाओं को गौरवांवित किया है, जिन्हें लगता है कि आर्थिक तंगी की वजह से वह अपने सपने की उड़ान नहीं भर पाएंगे। सूरज के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और बेटा अब जज बना है। पिता के ऊपर परिवार की ज़िम्मेदारी थी और वह मज़दूरी कर बच्चों की परवरिश कर रहे थे।
अंडा और चना बेचकर किया गुज़ारा
सूरज को बचपन से ही पढ़ाई का काफी शौक था, चूंकि पिता मज़दूरी करते थे, परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इन सब चीज़ों की वजह से वह घर के सामने ही अंड़ा और चना बेचकर परिवार के खर्च में योगदान देता था और अपनी पढ़ाई भी करता था। सूरज कुमार के 9 भाई-बहन हैं, परिवार में माता-पिता, 8 भाई और 1 बहन हैं, परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं होमे की वजह से सूरज ने सिकंदरा में ही इंटर तक पढ़ाई की। इस दौरान वह घर के आगे छोटी सी गुमटी में अंडे और चना बेच कर गुज़ारा करता। आज उसकी मेहनत रंग लाई और उसने कामयाबी का परचम लहराया।
पहली कोशिश में मिली सूरज को कामयाबी
सूरज के शिक्षा की बात की जाए तो उसने हिंदू विश्वविद्यालय (बनारस) से स्नातक और कानून की तालीम हासिल की। इसके बाद से न्यायिक सेवा परीक्षा की तैयारी में जुटा। 31वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा में पहली कोशिश में ही कामयाबी मिलने सूरज के परिवार वाले और गांव के लोगों में काफी खुशी है। मीडिया से मुखातिब होते हुए दलित परिवार (पासी समाज) से ताल्लुक रखने वाले सूरज ने कहा कि काफी मशक्कत से न्यायिक सेवा की तैयारी कर रहा था। पहली कोशिश में ही कामयाब हो गया। लोगों को सही इंसाफ दिलाना प्राथमिकता रहेगी।
बेटे की कामयाबी पर पिता ने दिया मंत्र
सूरज ने कहा कि हर किसी को इंसाफ दिलाने में वह हर मुमकिन कदम उठाएंगे। इसके साथ ही लोगों को कानून के प्रति जागरुक करने का भी काम करेंगे। खासकर ग़रीब तबके के लोगों को जागरुक करेंगे क्योंकि उन्हे सही मार्गदर्शन देने वाला कोई नहीं है। वहीं सूरज के पिता कृष्ण नंदन चौधरी ने भी बेटे की कामयाबी पर खुशी ज़ाहिर की, उन्होंने कहा कि उनका बड़ा बेटा दो साल पहले आईआईटी मुंबई से पढ़ाई करने के बाद मर्चेंट नेवी में गया, जिसके बाद से परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक हुई। वह शुरू से ही बच्चों के पढ़ने पर ज़ोर देते थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा में बहुत ताकत है, इसलिए अपने समाज और गरीब तबके के लोगों को शिक्षा हासिल करने पर ज़ोर देना चाहिए।