लालू के समधी चंद्रिका राय समेत RJD के तीन MLA ने थामा जदयू का दामन
जदयू कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में बीजेन्द्र यादव और मंत्री श्रवण कुमार ने तीनों विधायकों को पार्टी की सदस्यता दिलाई।
बिहार में विधानसभा चुनाव 2020 से पहले सभी दलों में टूटफूट जारी है। इसी बीच राजद के निष्काषित तीन विधायकों ने गुरुवार को जदयू का दामन थाम लिया। जदयू कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में बीजेन्द्र यादव और मंत्री श्रवण कुमार ने तीनों विधायकों को पार्टी की सदस्यता दिलाई।
जदयू में शामिल होकर तीनों विधायक चंद्रिका राय, फराज फातमी और जयवर्धन यादव ने खुशी का इजहार किया। संकल्प लिया कि इस बार जदयू को चुनाव में और मजबूत बनाना है साथ ही सीएम नीतीश कुमार को फिर से बिहार का सीएम बनाना है।
बता दें कि चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या राय के साथ लालू के बेटे तेज प्रताप यादव की शादी हुई है, लेकिन तेज प्रताप यादव ने तलाक का मुकदमा दायर कर रखा है। इस शादी को बचाने की तमाम कोशिशें नाकाम रहीं हैं। फिलहाल ऐश्वर्या अपने पिता के पास रह रहीं हैं। इस कारण दोनों परिवारों के रिश्ते में दरार आ चुकी है।
राजद पर रुपये लेकर टिकट बेचने का आरोप लगाया
वहीं पार्टी विरोधी गतिविधियों के नाम पर पार्टी से छह साल के लिए निष्काषित राजद के तीन विधायकों में से एक फराज फातमी ने जदयू में शामिल होने की अटकलों के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर राजद पर जोरदार हमला बोला। फातमी ने राजद पर रुपये लेकर टिकट बेचने का भी आरोप लगाया।वीडियो जारी कर दरभंगा के विधायक फराज फातमी ने कहा कि - प्रेस कांफ्रेस कर छह साल के लिए मुझे पार्टी ने निकाला गया। आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष ने जब पार्टी सदस्य ही नहीं माना तो निकालने का मतलब ही क्या है? किस आधार पर पार्टी से निकाल रहा आरजेडी। कहा कि अब्बा को 30 साल तक पार्टी की खिदमत की लेकिन पैसे के कारण टिकट किसी और उम्मीदवार को दे दिया गया। उन्होंने यहां तक आरोप लगाया कि मुस्लिम नेताओं को एक षड़यंत्र के तहत शोषण कर रही है पार्टी।
महागठबंधन से अलग हुए मांझी
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की अध्यक्षता में उनके आवास पर कोर कमेटी की बैठक हुई. बैठक में यह फैसला लिया गया कि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा अब महा गठबंधन का हिस्सा नहीं रहेगी.
पार्टी के एमएलसी और जीतन राम मांझी के बेटे संतोष सुमन ने कहा, "कोर समिति की बैठक में फैसला लिया गया है कि महागठबंधन से हमारा दल बाहर हो जाएगा. हम लोग लगातार मांग कर रहे थे कि महागठबंधन को सही तरीके से चलाने के लिए कोआर्डिनेशन कमेटी बनाई जाए मगर तेजस्वी यादव तानाशाह की तरह महागठबंधन पर अपने फैसले थोप रहे थे."
राजद में आने के साथ ही जाने का सिलसिला भी शुरू
दूसरे दलों से राजद में आने वालों की संख्या अभी अधिक है, लेकिन जाने वालों का सिलसिला भी शुरू हो गया है। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले तो राजद में आने की शुरुआत पूर्व मंत्री श्याम रजक ने कर दी, लेकिन इसके पहले भी लोकसभा चुनाव के बाद से ही कई बड़े नेताओं ने दल-बदल शुरू कर दिया था। राजद के बड़े नेता में शुमार पूर्व केन्द्रीय मंत्री अली अशरफ फातमी टिकट से वंचित किए जाने के कारण लोकसभा चुनाव के दौरान ही राजद छोड़कर जदयू में चले गए थे। अब उनके पुत्र व केवटी के विधायक फराज फातमी का नाम भी राजद छोड़ने वालों की सूची में लिया जा रहा है। उम्मीद थी कि सोमवार को वह जदयू ज्वाइन कर लेंगे। मगर उन्होंने इसकी घोषणा नहीं की।
कांग्रेस भी दल-बदल से अछूती नहीं
विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही नेताओं के दल-बदल का सिलसिला शुरू हो गया है। कांग्रेस भी इससे अछूती नहीं हैं। पार्टी के तीन-चार विधायकों की गतिविधियां संदेह के घेरे में हैं। पार्टी संगठन भी कुछ चेहरों को लेकर सशंकित है सो उन पर नजर रखी जा रही है। हालांकि यह कोई इसी चुनाव में नहीं हो रहा। पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी नेताओं की आवाजाही होती रही है। पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो मनोहर प्रसाद जदयू से आए थे। मनिहारी से कांग्रेस के टिकट पर लड़े थे। गोविंदपुर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने वाली पूर्णिमा यादव भी जदयू छोड़कर आई थीं। अनिल कुमार भोरे विधानसभा से पिछला चुनाव कांग्रेसी टिकट पर लड़े थे। वे भी पहले जदयू में थे। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे अशोक चौधरी चार विधान पार्षदों संग जदयू में शामिल हो गए थे। वहीं लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा से पप्पू सिंह कांग्रेस में शामिल हुए थे। वे पूर्णिया से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। इस बार भी कई चेहरों के इधर से उधर होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।