मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म पर भारत-सरकार 'कृभको' के अधिकारियों का स्वागत सम्मान!

Welcome and honour to the officials of Government of India 'KRIBHCO' at Maa Danteshwari Herbal Farm!

Update: 2024-08-02 03:01 GMT

पिछले हफ्ते, 'मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म एवं रिसर्च सेंटर' पर दिल्ली से भारत सरकार की सहकारी खाद समिति 'कृभको' के उच्च अधिकारियों एवं विशेषज्ञों का एक उच्च स्तरीय दल पधारा। यह तीन दिवसीय भ्रमण निरीक्षण का कार्यक्रम हमारे जैविक खेती के प्रयासों और टिकाऊ कृषि में हमारे नवाचारों की मान्यता का प्रतीक था।

कृभको की इस उच्च स्तरीय टीम के सभी सदस्यों का व्यवहार बेहद शालीन ,सहज, सरल और आदरणीय था। उन्होंने हमारे फार्म पर हो रही खेती की जमकर प्रशंसा की और कहा, "पूरे भारत में कम लागत पर इतना ज्यादा फायदा खेती से लेने का ऐसा उदाहरण मिलना संभव नहीं है।" विशेष रूप से, उन्होंने हमारे उस नेचुरल ग्रीनहाउस को सबसे ज्यादा पसंद किया, जो डॉ. त्रिपाठी ने केवल डेढ़ लाख में एक एकड़ में तैयार किया है। जबकि प्लास्टिक और लोहे से तैयार होने वाला परंपरागत ग्रीनहाउस का एक एकड़ का लागत 40 लाख रुपये होता है। उन्होंने समझा कि कैसे डॉ. त्रिपाठी का ग्रीनहाउस न केवल बेहद टिकाऊ है बल्कि परंपरागत ग्रीनहाउस की तुलना में बहुत अधिक लाभदायक भी है। यह जानकर सभी सदस्य हैरान रह गए कि 40 लाख रुपये वाला ग्रीनहाउस सात-आठ साल में नष्ट हो जाता है और उसकी कोई कीमत नहीं रहती, जबकि डॉ. त्रिपाठी का पेड़-पौधों से तैयार नेचुरल ग्रीनहाउस हर साल अच्छी आमदनी देने के साथ ही दस साल में लगभग तीन करोड़ की बहुमूल्य लकड़ी भी देता है।

कृभको की टीम ने हमारे कम खर्चे में संपन्न होने वाले अनूठे जैविक खेती की पद्धतियों और नेचुरल ग्रीनहाउस मॉडल का निरीक्षण और परीक्षण किया। उन्होंने हमारी विधियों का दस्तावेजीकरण और छायांकन भी किया, जिससे वे इन प्रभावी तरीकों को व्यापक दर्शकों तक पहुंचा सकें।

इतने प्रतिष्ठित मेहमानों के साथ अपने अनुभव और नवाचार साझा करना हमारे लिए अविस्मरणीय रहा। उनके द्वारा मिली प्रशंसा और सुझावों ने हमें और अधिक प्रोत्साहित किया है कि हम अपने पर्यावरण-मित्रता और टिकाऊ खेती के मिशन को आगे बढ़ाएं।

इस दल का सर्वप्रथम स्वागत डॉ. राजाराम त्रिपाठी द्वारा किया गय। तत्पश्चात अनुराग कुमार, जसमती नेताम,शंकर नाग, कृष्णा नेताम, रमेश पंडा एवं मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के अन्य सदस्यों द्वारा अंगवस्त्र, बस्तर की उपजाई हुई पेड़ों पर पकी बेहतरीन गुणवत्ता की काली मिर्च और जनजातीय सरोकारों की मासिक पत्रिका 'ककसाड़' का नवीनतम अंक भेंट करके किया गया।

कार्यक्रम के अंत में आभार व्यक्त करते हुए डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि , मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म एवं रिसर्च सेंटर पिछले 30 वर्षों से इस क्षेत्र के आदिवासी भाइयों के उत्थान के लिए निरंतर प्रयासरत है। हमारे फार्म पर अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के अनुरूप शत-प्रतिशत जैविक खेती, जड़ी-बूटी, तथा मसाले उगाने और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ आदिवासी समुदायों के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसर भी प्रदान किए जाते हैं। हम अपने अनुसंधान और नवाचार के माध्यम से पर्यावरण-संवेदनशील और जनजातीय समुदायों को आर्थिक रूप से लाभकारी समाधान प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।


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