दिल्ली में सत्ता परिवर्तन का एग्जिट पोल!

फिलहाल सभी को इंतजार है 8 फरवरी की मतगणना का जिस दिन मालूम होगा कि क्या सत्ता परिवर्तन कर दिल्ली ने डबल इंजन की सरकार को मौका दिया या आप की सत्ता को बरकरार रखा है।

Update: 2025-02-06 07:40 GMT




 







अनिल पांडेय

दिल्ली विधानसभा के चुनाव परिणाम पर एग्जिट पोल के रुझानों की माने तो 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वापसी हो रही है। अधिकतर एग्जिट पोल बीजेपी को बहुमत दे रहे हैं। हालांकि ईवीएम में बंद पार्टियों की किस्मत से पर्दा तो 8 फरवरी को मतगणना के बाद ही उठेगा लेकिन इतना तो मानना पड़ेगा कि आम आदमी पार्टी का साल 2013, 2015 और 2020 वाला विजयी रथ इस बार भंवर में है।

ऐसे में एग्जिट पोल के अनुमानों को लेकर बहस शुरू हो गई है कि क्या दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी की कथनी और करनी में भारी अंतर के चलते इस बार विदाई पर मुहर लगा दी है? क्या दिल्ली की जनता ने इस बार आंख मूंद कर केजरीवाल पर विश्वास नहीं किया? क्या डबल इंजन की सरकार पर विश्वास जताया है? इन सब अटकलों के बीच कुछ बिंदु हैं जो दावे को हकीकत में बदलने के लिए ठोस आधार दे रहे हैं। वैसे भी केजरीवाल ने पूरा एक दशक बिता दिया और विकास की जगह आरोप प्रत्यारोप की राजनीति में उलझे रहे। दूसरी ओर केजरीवाल सहित सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह समेत पार्टी के पूरे शीर्ष नेतृत्व को ही जेल की हवा खानी पड़ी। कट्टर ईमानदार होने के पार्टी के दावे खोखले लगने लगे। खास तौर से शराब नीति केस में अरविंद केजरीवाल का जेल जाना और शीश महल का मामला पार्टी की छवि को खासा नुकसान पहुंचा। वहीं चुनाव के बीच हरियाणा पर यमुना के पानी में जहर मिलाने का आरोप लगाकर केजरीवाल अपने ही बुने जाल में फंस गए। चुनाव आयोग ने भी खूब सख्त तेवर दिखाए।

वहीं इस बार पूरे चुनावी अभियान में भाजपा की तरह कांग्रेस भी आम आदमी पार्टी के खिलाफ आक्रामक रही है। इसके अलावा भाजपा ने पहले आठवें वेतन आयोग की सिफारिश और फिर बजट में आयकर सीमा बढ़ाकर 12 लाख कर मध्य वर्ग को साधने का दमदार प्रयास किया है। वहीं इसके उलट केजरीवाल दिल्ली की जनता को हर दिन नए-नए आरोपों के पैंतरे से अपने पाले में करने के पुराने रवैये को फिर से आजमाया। क्योंकि केजरीवाल के लिए आरोप वाली रणनीति पूर्व में सफलता भरी रही है। लेकिन वह भूल गए दिल्लीवासियों से किए वादों पर खरा नहीं उतरने से जनता इस बार ठगा महसूस कर रही है। ऊपर से एंटी इंकम्बेंसी और गंदे पानी की समस्या सत्ता वापसी के सपनों पर ग्रहण बन सकती है।

इस बार भाजपा ने अपने मेनिफेस्टो में कई मुफ्त की घोषणा कर केजरीवाल के रेवड़ियों वाले हथियार को कुंद कर दिया है। इससे केजरीवाल चारों खाने चित नजर आ रहे हैं। इन तमान ऊहापोह को बीच एग्जिट पोल ने आम आदमी पार्टी को टेंशन और भाजपा को बहुमत के जादुई आंकड़े तक पहुंचाकर सत्ता परिवर्तन को हवा दे दी है। इससे भाजपा जहां पिछली बार की 8 सीटों से जबरदस्त छलांग लगाकर भारी बहुमत के सपने देख रही है वहीं आम आदमी पार्टी ये मानकर चल रही है कि पूर्व की तरह कई बार गच्चा दे चुके एग्जिट पोल इस बार दिल्ली चुनाव के लिए भी गलत साबित होंगे। याद रखने की बात यह है कि 2013 से अब तक सभी एग्जिट पोल में आप ने हमशा उससे ज्यादा सीटें हासिल की हैं जितना एग्जिट पोल में उसे दी गई थीं जबकि भाजपा को कमोवेश उतनी ही सीटें मिली हैं जितना एग्जिट पोल में उसे दी गई थीं।

फिलहाल सभी को इंतजार है 8 फरवरी की मतगणना का जिस दिन मालूम होगा कि क्या सत्ता परिवर्तन कर दिल्ली ने डबल इंजन की सरकार को मौका दिया या आप की सत्ता को बरकरार रखा है। एग्जिट पोल अगर सही साबित हुए तो यह कांग्रेस के लिए भी खतरे की घंटी है। पार्टी का दिल्ली विधानसभा चुनाव में अगर तीसरी बार भी खाता नहीं खुला या एक-दो सीटों पर ही सिमट गई तो उसे बिहार जैसे राज्यों में विधानसभा चुनावों में सीटों की सौदेबाजी करने में दिक्कत आएगी जहां वह पहले से ही जूनियर पार्टनर है। यानी जनता की नजर दिल्ली के नतीजों पर तो गठबंधन सहयोगियों की नजर कांग्रेस को मिली सीटों पर होगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

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