अनुदेशकों के केस की होगी 30 जनवरी को सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई
अनुदेशकों के केस की पिछली सुनवाई 7 नबंबर को हुई थी तब से लेकर अब तक अनुदेशक आने वाली 30 जनवरी का इंतजार कर रहा था।
अब अनुदेशकों के केस की सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई 30 जनवरी को होगी। पिछले तीन माह के इंतजार के बाद अब तीस जनवरी का मौका आया है। हालांकि अनुदेशकों के केस में फैसला 7 नबंबर को ही होना था लेकिन किसी कारण से सुनवाई न होने के चलते अगली तारीख मिली थी। अनुदेशकों के केस की पिछली सुनवाई 7 नबंबर को हुई थी तब से लेकर अब तक अनुदेशक आने वाली 30 जनवरी का इंतजार कर रहा था।
अब पूरे प्रदेश के अनुदेशकों की निगाह सिर्फ सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट की और लागि हुई है कि कोई बढ़िया कोर्ट का आदेश आए और जो जिंदगी की झंझट बन चुकी रोजगार की नौकरी कुछ सही तरह की जाए। आज अनुदेशक मानसिक रूप से बेहद टूट चुका है।
आज मेरे पार उन्नाव जिले से एक अनुदेशक का फोन आया उसने जब बताया कि मेरी बेटी दो दिन से बिस्किट मांग रही है और में उसको नहीं दिला पा रहा हूँ तो में घर से बाहर निकल कर जम कर पहले रोया उसके बाद उस वक्त को कोसने लगा जब अनुदेशक के लिए फॉर्म एप्लाई किया। एसे एक अनुदेशक के मामले नहीं हजारो अनुदेशकों की यही समस्या है।
अब सब जिस तरह से कोर्ट से वन निगम के 36000 हजार कर्मचारियों को जो राहत मिली है। उसी तरह अनुदेशकों को भी राहत मिलनी चाहिए। लेकिन कोर्ट का आदेश भी ठीक उसी तरह का होना चाहिये जिस तरह का आदेश वन कर्मियों को लेकर सुनाया था।
अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केस सुना जा सके ताकि एक ऑर्डर आए और अनुदेशकों में खुशी की लहर दौड़ जाए। बीते एक दशक से अनुदेशक नियमितिकरण के विश्वास में जीता आ रहा है। जिसके चलते अब उसका नियमितिकरण की राह आसान होती दिख रही है। हालांकि कोर्ट में जो रिट है वो 17000 हजार मानदेय को लेकर है। फिलहाल सभी अनुदेशकों की निगाह कोर्ट की और लागि है।