संजय रोकड़े
परवीन बाबी सिनेमाई पर्दे पर वह सब कुछ 70 के दशक में कर चुकी थी जो अपने मन के जीने की चाहत व आत्म निर्भरता के लिए महिलाएं आज करना चाहती हैं। यकीन ना हो तो दीवार का वो दृश्य याद कीजिए जिसमें अमिताभ एक बियर बार में बैठे हैं और वहां उनको अकेला देखकर परवीन बाबी पहुंच जाती हैं और बिना जान पहचान के बातचीत शुरू कर देती है।
एक हाथ में सिगरेट और दूसरे में शराब का प्याला। एकदम कॉन्फिडेंट और स्कर्ट का डिजाइन ऐसा कि टांगें बाहर झांकती नजर आती हैं। ये तो महज एक दृश्य भर है, परवीन बाबी का पूरा करियर ऐसे ही दृश्यों से पटा पड़ा था जिसमें वो अपने दौर को बदलती दिखाई देती है।
एक ऐसी लड़की के किरदार में जो कामकाजी है, आत्मनिर्भर भी है और शादी से पहले अपने पुरुष मित्र के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाने से भी उसे कोई परहेज नही।
यह सब करते हुए उसका अपना ग्रेस भी उसके साथ बना रहता है, कहीं कोई दाग नहीं लगता। उसे ना तो दाग की फिक्र और ना ही जमाने की।
परवीन अपने समय की बेहद जुदा अदाकारा रही है। वे छोटी भूमिकाओं में भी जादू बिखेर देती थी। यही वजह है कि परवीन बाबी के सक्रिय फिल्म करियर के तीन दशक के लंबे अंतराल के बाद भी उनकी भूमिकाएं लोगों को याद है।
परवीन बाबी को पहली कामयाबी अमिताभ बच्चन के साथ 1974 में मजबूर फिल्म में मिली। इसके बाद एंग्री यंंग मैन के साथ परवीन ने कई कामयाब फिल्में की जिनमें दीवार, अमर अकबर एंथनी, शान और कालिया जैसी फिल्में शामिल है।
1976 में परवीन इस कदर कामयाब हो चुकी थी कि उस साल प्रतिष्ठित मैग्जीन टाइम ने उन्हें अपने कवर पर छापा था। बता दे कि टाइम के कवर पर जगह पाने वाली पहली बॉलीवुड कलाकार परवीन बाबी ही थी।
हालाकि परवीन का दुर्भाग्य ये रहा कि जिस तरह वो सिनेमाई करियर में कामयाब रही वैसी कामयाबी निजी जीवन में नहीं मिली। परवीन की नीजि जिंदगी बेहद उतार चढ़ाव से भरह रही है। एक सच्चा प्यार हासिल करने के लिए वह दर- बदर भटकती रही।
सबसे पहले उनका अफेयर डैनी के साथ हुआ लेकिन ये प्यार परवान नही चढ़ पाया। डैनी ने फिल्मफेयर को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि परवीन और उनका साथ तीन-चार साल का रहा था, इसके बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए थे।
डैनी के बाद परवीन की जिंदगी में कबीर बेदी आए। फिर परवीन को कबीर बेदी के साथ प्यार हुआ। दोनों ने एक साथ 1976 में बुलेट फिल्म में काम किया और करीब तीन साल तक दोनों एक दूसरे के प्यार में डूबे रहे। कबीर के प्यार की खातिर परवीन ने अपने चमचमाते करियर को भी छोड़ दिया था। उस दौर में कबीर बेदी को एक इटालियन टीवी सीरियल में लीड रोल मिला था और परवीन बाबी उनके साथ ही यूरोप शिफ्ट कर गई थी। लेकिन दोनों के बीच सबकुछ ठीक नहीं रहा तो परवीन बॉलीवुड वापस लौट आई। जब वो वापस लौटीं तो भी इंडस्ट्री ने उन्हें हाथोंहाथ लिया।
कबीर के बाद परवीन का रोमांस महेश भट्ट के साथ चला। कबीर के साथ ब्रेकअप को अपने जीवन का टर्निंग प्वाइंट बताने वाली परवीन बाद में महेश भट्ट के रोमांस में लंबे समय तक रही। दोनों का रोमांस 1977 के आखिर में शुरू हुआ था, तब महेश भट्ट भी कबीर बेदी की तरह शादीशुदा थे। लेकिन वो अपनी पत्नी और बेटी पूजा भट्ट को छोड़कर परवीन के साथ रहने लगे थे।
ये वो दौर था जब परवीन चोटी की स्टार थी और महेश भट्ट एक फ्लॉप फिल्ममेकर। परवीन बाबी के साथ अपने रिश्तों पर ही महेश भट्ट ने अर्थ फिल्म बनाई थी। इस फिल्म से जहां महेश भट्ट का करियर परवान चढ़ा वहीं परवीन बाबी ऐसी स्थिति में पहुंच गईं जहां से उनका मानसिक संतुलन डगमगाने लगा था।
महेश भट्ट के साथ रोमांस के दौरान ही परवीन बाबी को मानसिक बीमारी शुरू हुई थी जिसे महेश भट्ट ने अपने कई इंटरव्यू में पैरानायड स्कित्जोफ्रेनिया बताया। हालांकि परवीन ने खुद को कभी इस बीमारी की चपेट में नहीं बताया। ये जरूर माना कि आनुवांशिक मानसिक बीमारी ने उन्हें चपेट में ले लिया था।
परवीन के अनुसार मानसिक बिमारी की चपेट में आने के बाद ही वह आध्यात्म की शरण में आ गई। महेश भट्ट के चलते ही परवीन बाबी अध्यात्मिक गुरु यूजी कृष्णमूर्ति के संपर्क में आईं और उनके कहने पर ही 1983 में परवीन ने बॉलीवुड को छोड़ दिया। थोड़े समय तक वह बैंगलोर में रहीं, इसके बाद अमरीका चली गईं। अमरीका में भी उनकी मानसिक बीमारी का कोई इलाज नहीं मिला। बहरहाल, 1989 में परवीन भारत लौट आईं और 2005 तक मुंबई में रहीं, बॉलीवुड की चमक दमक से दूर।
ये वही समय था जब परवीन बाबी अपने करियर को गंभीरता से ले रही थी और अमिताभ बच्चन के साये से बाहर कुछ अलग करने की कोशिश भी कर रही थी।
अपनी बीमारी के दौरान ही परवीन ने अमिताभ बच्चन सहित दुनिया के नामचीन लोगों से अपनी जान को खतरा बताया था। अमिताभ बच्चन पर उनका कथित शक किस तरह का था इसका अंदाजा डैनी के साथ उनकी बातचीत बंद होने से लगाया जा सकता है।
डैनी ने इसका जिक्र करते हुए फिल्म फेयर को बताया था कि- अमितजी ने कह दिया था कि मैं उनका अच्छा दोस्त हूं। परवीन ने उस इंटरव्यू को पढ़ लिया था, इसके बाद जब मैं एक दिन उसके घर पहुंचा तो उसने घर का दरवाजा तक नही खोला।
अमिताभ बच्चन को लेकर परवीन का संशय आखिरी समय तक बना रहा था, अपनी मौत से एक साल पहले शेखर सुमन को दिए एक टीवी इंटरव्यू में परवीन ने कहा था मर्लिन ब्रांडो, एल्विस प्रिस्ले, लॉरेंस ओलिवर और माइकल जैक्सन के रहते अमिताभ बच्चन को सदी का स्टार चुना जा रहा है, इससे बड़ा जोक और क्या हो सकता है।
इसी इंटरव्यू में अमिताभ को भारत का दसवां सबसे हैंडसम मैन चुने जाने का भी मजाक बताते हुए कहा था कि देवानंद, फिरोज खान, शम्मी कपूर, शशि कपूर, यहां तक कि राजकपूर या फिर ऋषि कपूर ज्यादा हैंडसम थे। इतना ही नहीं, शशि कपूर के बेटे करण कपूर और संजय गांधी को भी परवीन बाबी ने अमिताभ से ज्यादा गुड लुकिंग बताया था। हालांकि अमिताभ ने कभी परवीन बाबी को लेकर सार्वजनिक तौर पर कुछ भी अटपटा नही कहा।
बहरहाल, मानसिक बीमारी और सनक की हद तक अपनी शर्तों पर जीने वाली शकमिजाजी के बाद भी परवीन अपने जीवन के अंतिम दिनों तक आत्मनिर्भर बनी रहीं, किसी की मोहताज नही रही लेकिन ये भी सच है कि जिस परवीन के घर के सामने प्रोड्यूसरों की कतार बैठी रहती थी उस परवीन के आखिरी दिनों में सबने उन्हें भुला दिया था। करीब एक दशक तक का स्टारडम और करीब 50 फिल्में उनके जीवन के सूनेपन को भर नहीं पाईं, यही अकेलापन उन्हें आखिरी समय तक सालता भी रहा।
4 अप्रैल, 1949 को सौराष्ट्र के जूनागढ़ के एक मिडिल क्लास मुस्लिम परिवार में जन्मी परवीन बाबी ने अहमदाबाद के सेंट जेवियर्स कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में बीए किया था और मॉडलिंग में करियर तलाश रही थी।
दरअसल परवीन की कहानी, एक छोटे शहर से आकर बॉलीवुड में छाने वाली उस लड़की की कहानी है जिसे मुक्कमल जहां नही मिला। कुछ तो बॉलीवुड में बने रहने का दबाव, कुछ प्यार में मिलने वाले धोखों और कुछ मानसिक बीमारी- इन सबने आपस में मिलकर परवीन बाबी के करिश्मे को फीका जरूर कर दिया, लेकिन उनका असर बॉलीवुड में लंबे समय तक बना रहेगा।