अमिताभ बच्चन की 'गुलाबो सिताबो' पर क्यों मचा है हंगामा?
जिन निर्माताओं की फ़िल्म का बजट बहुत बड़ा है अगर वो ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर रिलीज़ करेंगे तो उन्हें बहुत नुक़सान सहना पड़ सकता है. उम्मीद है जल्द ही सब कुछ ठीक हो और फ़िल्में थिएटर पर ही रिलीज़ हो."
कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन के कारण सिनेमा घरों पर ताला लगा है.इसकी वजह से सिनेमा घरों के मालिकों की जहाँ बीते दो महीनों से कोई कमाई नहीं हो रही है, वहीं अब उन्हें एक नई चुनौती का भी सामना करना पड़ रहा है.
दरअसल अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना की सुजीत सरकार निर्देशित फ़िल्म 'गुलाबो सिताबो' को सिनेमाघर की जगह सीधे ओटीटी यानी वो ओवर द टॉप प्लेटफ़ॉर्म अमेज़ॉन प्राइम पर रिलीज़ करने का फ़ैसला किया गया है.
यही कारण है कि सिनेमा घरों के मालिकों को यह डर सता रहा है कि अगर नई फ़िल्में सीधे ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर उतारी जाएंगी तो इन थिएटर्स को बंद करने की नौबत आ सकती है. फ़िल्म 'गुलाबो सिताबो' के अलावा विद्या बालन की फ़िल्म शकुंतला भी अमेज़ॉन प्राइम पर रिलीज़ की जा रही है.
निर्माताओं और निर्देशकों के इस फ़ैसले से सिनेमा मालिकों और फ़िल्म एक्जीबिटर्स में भारी नाराज़गी है.
किसने क्या कहा?
बीबीसी से सिनेमा ओनर्स ऐंड एक्सजीबिटर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के अध्यक्ष नितिन दातार ने कहा, "हम कतई नहीं चाहते हैं कि फ़िल्में सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ हों. अगर उन्हें इस तरह का कदम उठाना भी था तो पहले हमारे साथ विचार विमर्श कर लेते. इस तरह बिना बताए निर्णय नहीं लेना चाहिए था."
"जिस तरह से फ़िल्म निर्माताओं का फ़िल्मों में पैसा लगा हुआ है, एक्जीबिटर्स ने भी सिनेमाघरों में काफ़ी निवेश किया हुआ है. कोई भी बड़ा फ़ैसला करने से अच्छा होता अगर वो सबकी परेशानियों को समझते फिर वो चाहे पैसों को लेकर है या कोई वजह. पहले इस पर चर्चा करते फिर कोई फ़ैसला करते."
नितिन दातार कहते हैं, "एक्सजीबिटर्स और फ़िल्म इंडस्ट्री को सरकार से बात करनी चाहिए. छोटी बजट की फ़िल्मों में हम निर्माता को कमाई का 50 फ़ीसदी हिस्सा देते हैं. हमने निर्माताओं का इतना साथ दिया है. अब जब निर्माताओं का साथ देने का वक्त है तो वो अगर इस तरह का काम करेंगे तो हमें बहुत नुकसान होगा."
उन्होंने कहा- जहाँ वो दो महीने रुके थे तो क्या दो महीने और नहीं रुक सकते थे? इस तरह के फ़ैसले से लाखों लोग बेरोज़गार हो जाएंगे क्योंकि थिएटर में चेन सिस्टम चलता है, जैसे खाने की कैंटीन में काम करने वाले, पार्किंग, सफ़ाई कर्मचारी, सुरक्षाकर्मी जैसे कई लोग जुड़े हैं अगर यही हाल रहा तो बेरोज़गारी बढ़ेंगी."
बिना सेंसर के फ़िल्में
नितिन दातार कहते हैं, "दूसरी चीज़ जो मुझे लगती है वो है बिना सेंसर के फ़िल्में ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर आ जाएंगी जैसे ये वेब सिरीज़ आती हैं. हम मिलकर सरकार से इसका समाधान निकाल सकते हैं कि थिएटर कब से शुरू हो सकते हैं. दीपावाली के बाद तो दीपावाली के बाद ही सही, या फिर और इंतज़ार करना पड़ेगा. इन सब बातों पर सरकार से बात की जा सकती थी जो नहीं हुआ."
मुश्किल की घड़ी में
उन्होंने कहा, "अक्षय कुमार की सूर्यवंशी फ़िल्म आ रही है. इसपर बहुत ख़र्च हुआ है, वो फ़िल्म ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर नहीं जाएगी. वो ज़रूर रुकेंगी थिएटर खुलने तक क्योंकि ऐसी फ़िल्में बड़े स्क्रीन पर ही देखी जानी चाहिए. हम भी इंतज़ार कर रहे हैं सभी बड़ी फ़िल्मों के थिएटर में रिलीज़ होने की और ख़ुद अक्षय कुमार ने मुझसे कहा है कि अपनी फ़िल्म लक्ष्मी बॉम्ब को लाऊंगा ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर लेकिन सूर्यवंशी के लिए हम इंतज़ार करेंगे थिएटर खुलने का फिर वो चाहे कभी भी शुरू हो. बाक़ी बड़ी फ़िल्में भी इंतज़ार करेंगी."
मल्टीप्लेक्स चेन आइनॉक्स ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है, "इस मुश्किल घड़ी में ये बेहद दुखद है कि हमारे एक सहयोगी की पारस्परिक रूप से लाभकारी रिश्ते को जारी रखने में दिलचस्पी नहीं है. वह भी तब, जब हमें कंधे से कंधा मिलाकर चलने और फ़िल्म इंडस्ट्री को उसके जीवंत रूप में वापस लाने की ज़रूरत है. इस तरह के काम आपसी साझेदारी के माहौल को प्रदूषित करते हैं और यह कंटेंट प्रोड्यूसर हमेशा साथ निभाने वाले सहयोगी की बजाए मुश्किल की घड़ी में साथ न देने वालों की छवि पेश करते हैं." उन्होंने निर्माताओं से फ़िल्मों को थिएटर में रिलीज़ करने की अपील की.
ओटीटी पर पहले भी रिलीज़ हुई हैं फ़िल्में
वही कार्निवल सिनेमा के सीईओ मोहन उमरोटकर ने भी इस फ़ैसले पर निराशा जताते हुए बीबीसी से कहा, "हर फ़िल्म मेकर के पास यह निर्णय लेने का अधिकार होता है कि वह अपनी फ़िल्म सिनेमाघर या ओटीटी पर रिलीज़ करें. हम हताश हैं, लेकिन हम कुछ कर नहीं सकते हैं. हम निराश इसलिए हैं क्योंकि हमने इस बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है. फ़िल्में अगर ओटीटी की तरफ़ मुड़ जाएंगी, तो हम पर इसका दीर्घकालिक असर होगा."
वे कहते हैं, "इससे पहले भी फ़िल्मों को ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर रिलीज़ किया गया है लेकिन उन्हें अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली है. जिन निर्माताओं की फ़िल्म का बजट बहुत बड़ा है अगर वो ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म पर रिलीज़ करेंगे तो उन्हें बहुत नुक़सान सहना पड़ सकता है. उम्मीद है जल्द ही सब कुछ ठीक हो और फ़िल्में थिएटर पर ही रिलीज़ हो."
सिक्के का दूसरा पहलू
एक्जीबिटर्स और सिनेमा मालिकों की नाराज़गी को देखते हुए प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया के वरिष्ठ सदस्य मुकेश भट्ट बीबीसी से कहते हैं, "कोई भी निर्देशक और निर्माता शौक से या दिल से ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अपनी फ़िल्में रिलीज़ करना चाहता होगा, उसकी कोई मजबूरी होगी तभी उसने ये फ़ैसला किया होगा. पिक्चर बनकर तैयार है, थिएटर खुलने के कोई आसार नज़र नहीं आ रहे हैं."