गुरू तेग बहादुर न होते न ब्राह्मण समाज होता न हिन्दू

Update: 2017-11-23 13:10 GMT

अम्बाला: ब्राह्मणों के तिलक व जनेऊ की रक्षा करने वाले व हिन्दू धर्म की रक्षा करते हुए 24 नवंबर 1675 को अपने शीश का बलिदान देने वाले हिन्द की चादर गुरू तेग बहादुर की प्रतिमा को देश के ब्राह्मणों को अपने मंदिरों व धर्मशालाओं में लगानी चाहिए.


उपरोक्त शब्द पत्रकारों से बातचीत करते हुए ब्राह्मण महापंचायत व एंटी टेरोरिस्ट फ्रंट इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य ने कहे. इस अवसर पर उनके साथ पंडित सुरेश शर्मा, फ्रंट के प्रदेशाध्यक्ष कुलवंत सिंह मानकपुर, पंजाब के प्रदेशाध्यक्ष लखविन्द्र सिंह साधापुर,पंजाब के प्रभारी जसमीत सिंह जस्सी भी मौजूद थे। शांडिल्य ने कहा ब्राह्मण समाज कभी भी गुरू तेग बहादुर के बलिदान का एहसान नही चुका सकता लेकिन अपने मंदिरों व धर्मशालाओं में उनकी प्रतिमाएं लगाकर उनकी पूजा तो कर सकता है. साथ ही उन्होने देश के हिन्दुओं से आह्वान किया कि हिन्दू समाज गुरू तेग बहादुर का शहीदी दिवस व जन्म दिवस जरूर मनाएं और उनकी चित्र अपने घरों में लगाएं और अपने बच्चों को बताएं कि जब औरंगजेब पूरे देश के हिन्दुओं को मुस्लमान बनाना चाहता था उसको रोकने के लिए गुरू तेग बहादुर ने अपने शीश का बलिदान कर दिया था.

ब्राह्मण महापंचायत व एंटी टेरोरिस्ट फ्रंट इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य ने कहा जब कश्मीरी पंडित औरंगजेब के कहर में थे . उनका तिलक और जनेऊ खतरे में था तो कश्मीरी पंडितों का एक दल पंडित कृपा राम के नेतृत्व में गुरू तेग बहादुर को मिला और गुरू तेग बहादुर को बताया कि औरंगजेब उनकों मुस्लमान बनाना चाहता है. तो गुरू तेग बहादुर ने कृपा राम के माध्यम से औरंगजेब को संदेश भेजा यदि गुरू तेग बहादुर को औरंगजेब ने मुस्लमान बना दिया तो औरंगजेब समझ ले कि पूरे देश का ब्राह्मण व हिन्दू मुस्लमान बन जाएगा जब औरंगजेब पर यह संदेश पहुंचा तो औरंगजेब ने आगरा से गुरू तेग बहादुर को गिरफ्तार कर दिल्ली चांदनी चौंक लाया गया.
शांडिल्य ने कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि गुरू तेग बहादुर के साथ भाई मती दास, भाई सती दास, भाई दयाला जी, जैता जी साथ थे और औरंगजेब ने गुरू तेग बहादुर को मुस्लमान बनाने के लिए उन पर जुल्म करने शुरू कर दिये कहर बरसाते हुए गुरू तेग बहादुर को नुकीले पिंजरे में बंद कर दिया और सबसे पहले भाई दयाला जी को उबलते पानी में डाल दिया और उसके बाद भाई मती दास को आरे से चीर दिया लेकिन गुरू तेग बहादुर टस से मस नही हुए. यह ही नही भाई मती दास को रूई में लपेट कर आग लगा दी जब भाई मती दास को आरे से चीरवाना था तो उनसे अंतिम इच्छा पूछी गई तो भाई मती दास ने कहा कि उनका चेहरा उनके गुरू की तरफ कर दिया जाएं. ब्राह्मण महापंचायत व एंटी टेरोरिस्ट फ्रंट इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य ने कहा उसके बाद औरंगजेब ने गुरू तेग बहादुर का सिर अलग कर दिया लेकिन उस कुर्बानी के बाद औरंगजब की हिम्मत नही पडी किसी को मुस्लमान बनाने की.
शांडिल्य ने कहा कि देश के ब्राह्मणों को 24 नवंबर को देश के तमाम शीश गंज गुरूद्वारों में जाकर न केवल अपना सिर झुकाना चाहिए बल्कि गुरू साहब की शहादत को अपने परिवार के साथ व ब्राह्मण समाज के साथ मिलकर मनाना चाहिए उन्होने कहा कि वह मुहिम चलाएंगे देश के हर ब्राह्मण को अपने मंदिरों व धर्मशालाओं में भगवान परशुराम के साथ गुरू तेग बहादुर की भी प्रतिमा लगानी चाहिए और वहीं देश के ब्राह्मणों व हिन्दूओं में चाहे वो किसी भी जाति हो उनको 22 नवंबर को भाई दयाला जी, भाई मती दास, भाई सती दास का भी शहीदी दिवस मनाना चाहिए . भाई मती दास व भाई सती दास दोनों ब्राह्मण थे इसलिए ब्राह्मणों को उन्हे भी याद करना चाहिए वही उन्होंने कहा कि ब्राह्मण समाज को भाई जैता जी जो गुरू तेग बहादुर का शीश लेकर आनंदपुर साहिब पहुंचे उन्हे भी याद करना चाहिए क्योंकि भाई जैता जी सिर गुरू तेग बहादुर का सिर दिल्ली के चांदनी चौंक से बडखालसा रूके, फिर तरावडी रूके, फिर जीरकपुर रूके और उसके बाद कीरतपुर से गुरू तेग बहादुर का शीश आनंदपुर साहिब लाया गया. यही नही औरंगजेब के भय के बाद भी गुरू तेग बहादुर का शीश लक्की शाह बंजारा अपने घर चांदनी चौंक लेकर आये जहां आज रकबगंज गुरूद्वारा है। उन्होेने कहा कि गुरू तेग बहादुर की कुर्बानी को भुलाया नही जा सकता.

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