गुडगाँव मे मजबूर हैं मुसलमान सार्वजनिक स्थल पर नमाज़ अदा करने के लिये--जानिये विवाद का पूरा सच!
यह मुल्क़ के खिलाफ साज़िश की सिवा कुछ नही है.
हरियाणा के मुख्यमन्त्री मनोहर लाल खट्टर ने हाल ही मे गुडगाँव मे मुसलमानो द्वारा खुले मे या सार्वजनिक स्थल पर नमाज़ अदा करने को विवाद बना दिया. खट्टर के बयान के दो दिन पहले, RSS के गुर्गों, गुन्डों, मवालियों ने पुलिस सरक्षण मे गुडगाँव के छोटे से पार्क मे जुमे की नमाज़ अदा कर रहे मुसलमानो के साथ अभद्र व्यवहार किया, उनकी बेज़्ज़ती की और उन्हे नमाज़ पढ़ने से रोका.
AMU मे जिन्नाह तस्वीर विवाद कर्नाटक चुनाव मे ध्रुवीकरण नही कर पाया. उसके बाद सन्घियों ने गुडगाँव वाला मसला उठा दिया. कर्नाटक मे ध्रुवीकरण कराने की यह दूसरी कोशिश है.सच्चाई कुछ और है, मैं गुडगाँव मे रहा हूं.
सेक्टर 56 मे जबरन विवाद का विषय बना वह सार्वजनिक स्थल जहां मुसलमान जुमे की नमाज़ अदा करते हैं, मेरे रिहायशी इलक़े से सिर्फ 2 किलोमीटर दूर है. मैने कई बार यह नज़ारा देखा है. मैं हमेशा सोचता था की गुडगाँव के मुसलमान जुमे की नमाज़ खुले मे क्यूं अदा करते हैं। सच्चाई जानने के बाद मैं दंग रह गया.
मित्रों, पिछ्ले 15 सालों से गुडगाँव मे मुसलमान मस्जिद बनाने की कोशिश कर रहे हैं. गुडगाँव प्रशासन उनको परमिशन/इजाज़त ही नही दे रहा. कांग्रेस मे मन्त्री रहे राव इन्द्रजीत सिंह, गुडगाँव के बड़े नेता हैं. अब वो भाजपा मे हैं. उनसे पूछिये, उन्होने ही गुडगाँव मे मस्जिद नही बनने दी.
हैं न चौंका देने वाली बात!
गुडगाँव मे ज़्यादतर मुसलमान दूर-दराज़ इलाक़ों से काम करने आते हैं. नमाज़ पढ़ने वो घर जा नही सकते; ऑफ़िस मे नमाज़ की सुविधा है नही; मस्जिद निर्माण की परमिशन /इजाज़त प्रशासन देता नही. रोज़ की नमाज़ तो इन्सान अकेले में कहीं भी पढ़ सकता है. पर हफ्ते मे एक बार, जुमे की नमाज़, सार्वजनिक अंदाज मे पढ़ी जाती है.
गुडगाँव के मुसलमान अपनी इच्छा से सार्वजनिक स्थल पर नमाज़ नही पढ़ते. पहले उनको ऐसा करने पर मजबूर किया गया. और फिर उनकी मजबूरी का फायदा उठा कर, उनपे ज़ुल्म करने वालों ने उन्ही ही गुनहगार भी ठहरा दिया. यही देश मे कई जगह हो रहा है. ये है RSS के काम करने और नफरत फैलाने का तरीक़ा.
यह मुल्क़ के खिलाफ साज़िश की सिवा कुछ नही है.
अमरेश मिश्रा