सोनीपत के किसान के बेटे को Amazon में मिला 67 लाख का पैकेज
अगर निरंतर अनुशासन में रहकर कठिन परिश्रम किया जाए तो असंभव को भी संभव किया जा सकता है।
सफलता पाने के लिए कठिन परिश्रम करना अनिवार्य है। परिश्रम के साथ अगर धैर्य भी हो तो परिश्रम सार्थक हो जाता है। दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के विद्यार्थी एवं किसान के बेटे अवनीश छिक्कारा ने इस कथन को सत्य कर दिखाया है। डीसीआरयूएसटी के इलेक्ट्रॉनिक्स के विद्यार्थी अवनीश छिक्कारा को अमेजॉन में 67 लाख रुपये का पैकेज मिला है। चयन के बाद कुलपति प्रो. अनायत का आशीर्वाद प्राप्त किया।
अवनीश गांव करेवड़ी का निवासी है। अविनाश के पिता किसान हैं, लेकिन वे कृषि के साथ परिवार के भरण पोषण के लिए वाहन भी चलाते हैं। अवनीश के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, लेकिन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद वह निरंतर परिश्रम करता रहा। विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने के बाद उसके पास फीस भरने के पैसे नहीं थे। इस दौरान अवनीश के दादा जगबीर सिंह ने मदद की। कुछ समय बाद अवनीश ने बच्चों को पढ़ाकर अपनी फीस व कोर्स के अतिरिक्त पढ़ाई पर आने वाले खर्च को जुटाना प्रारंभ कर दिया।
प्रतिदिन 10 घंटे करता था अध्ययन
अवनीश में पढ़ने की लगन इतनी थी कि वह प्रतिदिन अल सुबह 2 से 8 बजे तक जागकर पढ़ता। उसके बाद विश्वविद्यालय जाता। जब भी अवनीश को विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला में प्रयोग के बाद फ्री समय मिलता तो वह अपना अध्ययन प्रारंभ कर देता। अवनीश ने शिक्षकों द्वारा प्रदान किया हुआ ज्ञान तो प्राप्त किया, साथ ही विश्वविद्यालय में उपलब्ध पुस्तकालय व कंप्यूटर सेंटर का सदुपयोग करना प्रारंभ कर दिया। सफलता प्राप्त करने के लिए वह प्रतिदिन 10 घंटे अध्ययन करता था।
एक साल बाद एक करोड़ रुपये का हो जाएगा पैकेज
अवनीश को एक कंपनी में इंटर्नशिप का अवसर मिला। अवनीश को इंटर्नशिप के दौरान 2.40 लाख रुपये प्रतिमाह का पैकेज मिला। अवनीश की इंटर्नशिप ऑनलाइन हुई। कड़ी चयन प्रक्रिया के बाद अवनीश का चयन अमेजॉन कंपनी में हुआ। अवनीश को कंपनी 67 लाख रुपये का पैकेज देगी। एक वर्ष के बाद अवनीश का पैकेज लगभग एक करोड़ रुपये का होगा। अवनीश ने कहा कि कुलपति प्रो. राजेंद्र कुमार अनायत के उद्बोधन, शिक्षकों द्वारा प्रदत्त ज्ञान, माता पिता का आशीर्वाद व कठिन परिश्रम के बल पर ही उसे सफलता मिली है।
असंभव को कर दिखाया संभव : कुलपति
अगर निरंतर अनुशासन में रहकर कठिन परिश्रम किया जाए तो असंभव को भी संभव किया जा सकता है। अवनीश ने विश्वविद्यालय का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। आशा है कि विश्वविद्यालय के संसाधनों का सदुपयोग करते हुए दूसरे विद्यार्थी भी अवनीश से प्रेरणा लेकर अपना लक्ष्य प्राप्त करेंगे।
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