बुर्ज खलीफा पर गिरी आकाशीय बिजली, कैमरे में कैप्चर करने के लिए करता था ये काम
सऊदी अरब की राजधानी रियाद में बीते गुरुवार से तेज बारिश हो रही हैं. इसके बाद राजधानी समेत कई शहरों के तापमान में भारी गिरावट आ गई. शुक्रवार से कई इलाकों में बर्फबारी भी हुई. ताबुक और दुबई में शुक्रवार सुबह को भी रुक-रुककर बर्फबारी हुई
लेकिन इस बीच कुछ ऐसा हुआ जिसका इंतजार एक फोटोग्राफर को पिछले सात साल से था. ये नजारा था बुर्ज खलीफा पर बिजली गिरने का. इस फोटोग्राफर ने इस नजारे को अपने कैमरे में कैप्चर करने के लिए पूरी रात एक रेगिस्तान में हो रही बारिश के बीच एक कैंप गुजारी ताकि परफेक्ट शॉट मिल सके. आखिरकार उसकी मनोकामना पूरी हो गई।
फोटो लेने के बाद जोहेब ने बताया कि इस तस्वीर ने उनके लिए साल 2020 की अच्छी शुरुआत की है. मेरे लिए वो क्षण बहुत कीमती था जब 2720 फीट ऊंचे बुर्ज खलीफा के सबसे ऊपरी हिस्सा पर बिजली टकराई। जोहेब अंजुम की यह तस्वीर बुर्ज खलीफा के प्रशासन और दुबई के राजकुमार शेख हमदान ने भी अपने ट्विटर हैंडल से शेयर की है. जोहेब ने बताय कि जब बिजली टकराई तब दुबई का पूरा आसमान नीले रंग की रोशनी से रंग गया था.
ज़ोहैब अंजुम पिछले 7 साल से परफेक्ट शॉट लेने के इंतजार में थे. जब भी रेगिस्तानी क्षेत्र में बारिश होती तो ज़ोहैब बुर्जु खलीफा के सामने कैमरा लेकर बैठ जाते. इस बार भी ज़ोहैब इस शॉट के इंतजार में बैठे थे. जैसे ही बुर्ज खलीफा पर बिजली चमकी तो ज़ोहैब ने इसे कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया।
दुबई की मीडिया की माने तो 1996 के बाद दुबई समेत संयुक्त अरब अमीरात के कई हिस्सों में इतनी बारिश हुई है. इतना भयानक तूफान आया है. अभी भी मौसम विभाग के लोग इस बात की उम्मीद जता रहे हैं कि आगे भी बारिश हो सकती है।
बुर्ज खलीफा दुबई में स्थित 829.8 मीटर ऊंचाई वाली दुनिया की सबसे ऊंची गगनचुंबी इमारत है. इसके साथ-साथ सबसे ऊंची फ्रीस्टैंडिंग इमारत, सबसे तेज और लंबी लिफ्ट, सबसे ऊंची मस्जिद, सबसे ऊंचे स्वीमिंग पूल, दूसरे सबसे ऊंचे अवलोकन डेक और सबसे ऊंचे रेस्तरां का खिताब भी बुर्ज खलीफा के नाम है. 163 तलों वाली यह इमारत दुनिया के सबसे ज्यादा तलों वाली इमारत भी है।
यह बात भी दिलचस्प है कि निर्माण के समय इस इमारत का नाम बुर्ज दुबई था लेकिन इमारत के निर्माण में वित्तीय सहायता देने वाले संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायेद अल नाहयान के सम्मान में उद्घाटन के समय इसका नाम बुर्ज खलीफा कर दिया गया।