ईरान ने मस्जिद पर लाल झंडा लगाकर क्या संदेश देना चाहता है? देंखे वीडियो

ईरान द्वारा लाल झंडा फहराने को मारे गए कमांडर सुलेमानी के लिए बदले के तौर पर देखा जा रहा है।

Update: 2020-01-05 06:08 GMT

अमेरिका और ईरान के बीच कई वर्षों से चली आ रही खींचतान कासिम सुलेमानी की हत्या के साथ ही जंग में बदल चुकी है. अमेरिकी एयर स्ट्राइक में अपने कमांडर को खोने के बाद ईरान तिलमिला गया है और उसने सुलेमानी की मौत के 48 घंटे के अंदर ही अमेरिका से बदला लेना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही ईरान ने कोम शहर की एक मस्जिद पर लाल झंडा लहरा दिया है, जिसे जंग का ऐलान माना जा रहा है।

बता दें कि इस तरीके के हालात में झंडा फहराना का मतलब होता है कि युद्ध के लिए तैयार रहें या युद्ध आरंभ हो चुका है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसा पहली बार नहीं है कि ईरान ने इसतरह से मस्जिद पर लाल झंडा फहराया है। कोम स्थित जानकरन मस्जिद के गुंबद पर आमतौर पर धार्मिक झंडे फहराए जाते हैं। ऐसे में धार्मिक झंडे को हटाकर लाल झंडा फहराने का मतलब युद्ध के एलान के रूप में लिया जा रहा है। क्योंकि लाल झंडे का मतलब दुख जताना नहीं होता है।

स्थानीय लोगों के मुताबिक पवित्र शहर क़ौम के इतिहास में ये पहला मौका है जब मस्जिद के ऊपर लाल झंडे लगाया गया है. बता दें शनिवार को ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने सुलेमानी के परिवारवालों से मुलाकात की थी. इसी दौरान उन्होंने उनके परिवार को भरोसा दिलाया कि जल्द ही सुलेमानी की मौत का बदला लिया जाएगा.

झंडा फहराकर ईरान अपने नागरिकों को युद्ध की स्थिति के लिए तैयार रहने को कह रहा है, जो उन्होंने पहले कभी नहीं देखा है। हालांकि, यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि ईरान और इराक के बीच युद्ध के दौरान भी लाल झंडा नहीं फहराया गया था।

मस्जिद पर लाल झंडा फहराने का धार्मिक महत्व

दरअसल, हुसैन साहब ने कर्बला युद्ध के दौरान मस्जिद के ऊपर लाल झंडा फहराया था। लाल झंडे को खून और शहादत का प्रतीक माना जाता है। इसलिए ईरान द्वारा लाल झंडा फहराने को मारे गए कमांडर सुलेमानी के लिए बदले के तौर पर देखा जा रहा है। जामकरन मस्जिद को ईरान का सबसे पवित्र मस्जिद माना जाता है और यहां के युवाओं पर इसका काफी प्रभाव है।


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