लॉकडाउन का असली सच, तू तीन घंटे सोती रही, मैंने कुछ कहा? बकवास करेगी? आज छोडूंगा नहीं...
बहुत दिनों से बारह बजे दिन में उठ रहा था सो कर। आज नौ बजे नींद खुल गई। वैसे तो मैं साउंड स्लीप लेता हूं। सस्वर और मय आर्केस्ट्रा। आज पहली बार साउंड जागरण हुआ ज़िन्दगी में। मय आर्केस्ट्रा। साउंड सुना जाए:
आदमी (गिरते बर्तनों की आवाज़ के बीच): बकवास करती है बैन की ..., अभी बताता हूं तेरे को...
बच्चा: यार पापा प्लीज़...
आदमी: बकवास करता है? तेरी नौकरी जाएगी तो तुझे पता चलेगा...
औरत: आ आ आ...
(सामान फेंकने की आवाज़)
आदमी: तू तीन घंटे सोती रही, मैंने कुछ कहा? बकवास करेगी? आज छोडूंगा नहीं...
(मारपीट की हिंसक आवाज़ें, बच्चे के चिल्लाने की आवाज़ें)
बच्चा: पापा प्लीज़, मत करो...
आदमी: हाट... भाक...
औरत: आssssssssssssssssss
आदमी: तू हर जगह ताने मारती है? मेरे बाप के सामने, भाई के सामने बोलती है ये कर, वो कर... कल मैं कूकर धोया, बर्तन धोया... (भाड़ से मारने को आवाज़, बच्चे के दौड़ने की आवाज़ें)
औरत: (अस्पष्ट आवाज़ें...)
आदमी: (रोने की आवाज़) तेरे बाप को बुलाऊंगा... जिस दिन मेरी नौकरी चली जाएगी देखियो...
अब आदमी रो रहा है और रोते रोते चिल्ला रहा है और लगातार बोल रहा है। औरत चुप है, बीच बीच में कुछ बोल रही है। बच्चा चुप। बीच बीच में कबूतरों के हांफने की आवाज़।
कल देर रात एक मित्र से बात हुई डेढ़ घंटे। बातचीत का आखिरी वाक्य याद आ रहा है: अभी तो पार्टी शुरू हुई है...!
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