इंजीनियर, डाक्टर, पुलिस, वकील लॉकडाउन में सभी नित्य बर्तन माँज रहे थे, बर्तन माँजते समय अपने अपने पेशे के हिसाब से सोच रहे थे...
इंजीनियर की सोच-
तांबे और स्टील के बर्तन माँजना थोड़ा आसान हैं, ये फाइबर के बर्तन तो तेल पीते हैं. चिकनाई छूटती ही नहीं. और ये काँच के बर्तन, हाथ से फिसल फिसल कर जाते हैं, अब तक कितने तो टूट चुके हैं. कितनी बार पत्नी को कहा कि धातु के बर्तन काम लिया करे लेकिन नहीं। कहती हैं काँच में क्लास हैं और टूट जाये तो मेरी क्लास हैं..
डाक्टर की सोच-
अरे बाप रे, इतनी चिकनाई खाते हैं हम लोग, ये तो कोलेस्ट्रॉल को आमंत्रण हैं. और ये क्या, सुबह शाम आईसक्रीम? सुनती ही नहीं है, बच्चों के दाँत ख़राब करने हैं? और ये, सब्ज़ियों को तो सब छोड़ ही डाल रहें हैं. हैल्थ ख़राब करके ही मानेंगे।
पुलिस वाले की सोच-
समझ में नहीं आता इतने बर्तन कैसे हो जाते हैं? घर में दिनभर में तीन बार चाय बनी थी तो ये चाय की 5 भगौनियां कैसे हो गयी? और ये तवा, इसे तो दिन भर में एक बार माँजना चाहिये, ये दोनों समय सिंक में कैसे आ जाता हैं. गंदे गिलास तो देखो, लगता हैं बारात जीम कर गयी है. कुछ नियम बनाना पड़ेगा, आज के बाद एक सदस्य दिन भर में एक ही गिलास काम लेगा...
वकील की सोच-
केस करूँगा केस, कोर्ट में घसीटूँगा इन को. झूठे विज्ञापन देते हैं. ये छड़ी डिश वाशिंग पाउडर वाले कहते हैं, चुटकी भर लगाओ, बर्तन काँच जैसे चमकाओ. पाव भर पाउडर लग गया और बर्तन चिकने के चिकने. और ये हाथी डिश वाशिंग पाउडर? कहते हैं, मुलायम त्वचा का साथी, डिश वाशिंग पाउडर हाथी. तीन महीने में हथेलियाँ तीस साल आगे चली गयी हैं. सब को कोर्ट ले जाऊँगा...