जीवनसाथी के साथ भी जिंदगी में अकेलापन लगे तो इस तरह करे दूर!
अकेलापन सबसे ज़्यादा तकलीफ़देह स्थिति है इस बात को या तो लोग समझते नहीं हैं या फिर समझकर भी अपनी व्यस्त दिनचर्या में इस पर ध्यान नहीं दे पाते हैं वैसे भी ज़्यादातर लोग अकेलेपन को अकेले व्यक्ति से जोड़ते हैं यानी जिस व्यक्ति के साथ कोई नहीं है वो अकेला है और अकेलेपन को सहन कर रहा है
व्यस्त आधुनिक जिन्दगी की दौड़ में भागता व्यक्ति कब और कैसे अपने रिश्तो में अकेलापन महसूस करने लगता है यह उसे भी पता नहीं चलता वह समझ ही नहीं पाता कि परिवार के दायरे में रहते हुए उससे कहां चूक हो गई? क्यों रिश्तो में सूनापन आ गया है ? आज हर कोई अकेलापन झेल रहा है हर रिश्ते में ख़ामोशी है रिश्ता पैरेंट्स या बच्चों के बीच का हो या पति-पत्नी का, आपसी जुड़ाव या भावनाएं घटती जा रही हैं, मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, जिंदगी को भरपूर तरीके से जीने के लिए भावनात्मक जुड़ाव ज़रूरी है
अकेलापन सबसे ज़्यादा तकलीफ़देह स्थिति है इस बात को या तो लोग समझते नहीं हैं या फिर समझकर भी अपनी व्यस्त दिनचर्या में इस पर ध्यान नहीं दे पाते हैं वैसे भी ज़्यादातर लोग अकेलेपन को अकेले व्यक्ति से जोड़ते हैं यानी जिस व्यक्ति के साथ कोई नहीं है वो अकेला है और अकेलेपन को सहन कर रहा है
जो हमेशा यह कोशिश करे कि जिंदगी का सफर उसके साथ हसीन लगे, रास्ते आसान हो जाएं और मुश्किलों से लड़ने का हौसला मिले। लेेकिन अगर इंसान अकेला ही है, तो वो अकेले ही लड़ना सीख जाता है, पर किसी के साथ रहकर जब अकेलापन हो, तो वहां मुश्किलें और सवाल उठने लाजिमी हैं। यह बेहद गंभीर बात है, क्योंकि रिश्तों में पनपता अकेलापन आपको कई मानसिक व शारीरिक समस्याएं भी दे सकता है।
वजहों को पहचानें
ज्यादातर पति-पत्नी कामकाजी होते हैं, ऐसे में एक-दूसरे के लिए समय कम होता जाता है। काम के तनाव में आपसी संवाद कम हो गया है। घर पर भी दोनों अपने-अपने कामों में ही व्यस्त रहते हैं। साथ में बैठकर बातें करना, एक-दूसरे की तकलीफों को समझना तो जैसे अब समय की बर्बादी लगती है। हर वक्त पार्टनर्स अपने फोन या लैपटॉप में ही व्यस्त रहते हैं, चाहे डिनर का समय हो या बेड पर सोने का टाइम हो। यह वो समय होता है, जो पार्टनर्स एक-दूसरे के साथ प्यार और रोमांस में बिता सकते हैं, अपनी परेशानियां, अपने सुख-दुख शेयर कर सकते हैं, लेकिन वो आजकल ऐसा न करके अपनी-अपनी दुनिया में खोए रहते हैं। बाद में एहसास होता है कि एक-दूसरे से वो कितना दूर हो चुके हैं।
कैसे दूर करें इस अकेलेपन को
बातचीत करें। किसी भी समस्या का हल बातचीत से ही निकल सकता है। आप जो इन दिनों महसूस कर रहे हैं, उसके बारे में पार्टनर को बताएं। अगर व्यस्तता के चलते यह सब हो रहा है, तो आप दोनों को ही हल निकालना होगा। एक-दूसरे को समय दें और एक नियम बनाएं कि डिनर के समय और बिस्तर पर कोई भी फोन पर समय नहीं बिताएगा। जरूरत पड़ने पर काउंसलर की सलाह भी ले सकते हैं। यदि आप दोनों के बीच कोई और आ गया है, तो मामला अलग होगा। तब आपको किसी ठोस नतीजे पर पहुंचना होगा।
क्यों होता है अकेलापन ?
सायकोलॉजिस्ट कहते है आमतौर पर किसी भी रिश्ते में अकेलापन आता है कम्युनिकेशन गैप यानी आपसी बातचीत की कमी के कारण, प्रायः देखा गया है कि जिस व्यक्ति को कोई सुनने वाला नहीं है, वो अकेलेपन की स्थिति से गुज़रता है, जबकि कम्युनिकेशन सिस्टम (फ़ोन से लेकर नेटवर्किंग साइट तक) आज अपनी ऊंचाइयों पर है, किंतु जहां (परिवार में) इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, वहां यह टूटता जा रहा है, एक ही छत के नीचे रहकर भी बातचीत के विषय संकुचित हो गए हैं
कम्युनिकेशन गैप जोकि निश्चय ही अकेलेपन के एहसास का एक बहुत बड़ा व प्रत्यक्ष कारण है, ख़ासकर तब, आपकी बात सुनने या समझने के लिए किसी के पास समय नहीं है या कोई सुनने की ज़रूरत को महत्व नहीं देता है, सुनना कम्युनिकेशन का ऐसा हिस्सा है, जो दूसरे की भावनाओं को सहारा देता है, उसे पॉज़िटिविटी प्रदान करता है, इसके अतिरिक्त और भी कई बातें हैं, जिनके कारण रिश्तों में ख़ासकर पति-पत्नी के रिश्ते में अकेलापन आने लगता है