अमित शाह ने मध्यप्रदेश में सत्ता और संगठन नेतृत्व में परिवर्तन की खबरों पर लगाया विराम, पूछा अपने को असुरक्षित क्यों समझते है!
Amit Shah put an end to the news of change in power and organization leadership in Madhya Pradesh
कुछ राज्यों में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने के बाद मध्यप्रदेश में भी सत्ता और संगठन के नेतृत्व में परिवर्तन की अटकलें तेजी से चल रही थी! चर्चा तो यहां तक पहुंच चुकी थी की नेतृत्व परिवर्तन होना निर्मित हो चुका है। यह अटकलें और ज्यादा उस समय बढ़ गई जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मध्यप्रदेश के प्रभारी भूपेंद्र यादव और सह प्रभारी अश्विनी वैष्णव के साथ मध्य प्रदेश के मामले में एक बैठक आहूत की। जिस में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी डी शर्मा, कैलाश विजयवर्गीय और ज्योतिराजे सिंधिया को भी बैठक में बुलाया गया इसी से अटकलों का बाजार गर्म हो गया था। मगर बैठक में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ बल्कि अमित शाह ने मध्यप्रदेश से जुड़े बैठक में मौजूद नेताओं से यह कहा कि आप मध्यप्रदेश में जीत को लेकर आश्वस्त क्यों नहीं है!
अमित शाह ने सभी नेताओं से वन टू वन करते हुए विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए फीडबैक लिया साथ ही उनके द्वारा अब तक क्या कार्रवाई की गई इसके बारे में भी जानकारी लेते हुए चुनाव की तैयारियों में जुट जाने का निर्देश दिया। अमित शाह ने भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव को भी निर्देश दिए कि वे सप्ताह के अंतिम दिनों में मध्यप्रदेश में रहकर चुनाव की रणनीति के लिए नेताओं के संपर्क में रहें। इस से हमेशा प्रतीत होता है कि चुनाव नजदीक होने के चलते भाजपा कि प्रदेश सरकार और संगठन के नेतृत्व में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
अलबत्ता मध्य प्रदेश की सरकार और संगठन केंद्र के इशारे पर पर्यवेक्षकों के माध्यम से नियंत्रित रखेगी। जिसको लेकर भाजपा में आपसी चर्चा भी होने लगी है कि अब मध्य प्रदेश केंद्र शासित प्रदेश में बदल गया है। यहां अब सारे फैसले केंद्र में बैठे लोग ही लेंगे। 18 साल की सरकार और सोलह साल के मुख्यमंत्री के लिए ये अच्छी बात नहीं है। वैसे भी प्रदेश में मुख्यमंत्री की प्रदेशवासियों को अपनी पार्टी के समर्थन में वोट देने के लिए अधिक उपयोगी होते हैं। मगर मध्यप्रदेश में यह एक नया फार्मूला शुरू कर केंद्र ने लगता है अब अपने स्तर पर ही प्रदेश प्रभारी यों के माध्यम से निर्णय लेने की शुरुआत की है।। देखने वाली बात यह होगी की इस नए फार्मूले को प्रदेश के नेता किस स्तर तक स्वीकार करेंगे।