भोपाल गैस कांड: 40वीं वर्षगांठ पर रैली, दुनिया भर से कॉरपोरेट अपराध के पीड़ित लेंगे हिस्सा

बरसी की रैली में औद्योगिक प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक कॉरपोरेट अपराधों और साथ ही यूनियन कार्बाइड और डॉव केमिकल के जारी अपराधों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा

Update: 2024-11-25 11:34 GMT

भोपाल: एक पत्रकार वार्ता में गैस पीड़ितों के चार संगठनों ने 2 - 3 दिसम्बर 2024 को भोपाल में यूनियन कार्बाइड गैस हादसे की 40वीं वर्षगांठ मनाने की अपनी योजना की घोषणा की। संगठनों के नेताओं के साथ कई ऐसे व्यक्ति भी शामिल हुए जिन्होंने विनाशकारी गैस रिसाव के शुरुआती घंटों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

गैस पीड़ित महिलाओं के ट्रेड यूनियन, भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, “इस साल हमने पहले ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त भोपाली कलाकारों के साथ गैस काण्ड को याद करना शुरू कर दिया है, जिन्होंने यूनियन कार्बाइड कारखाने की दीवारों पर प्रभावशाली भित्ति चित्र बनाए हैं। आज से 4 दिसंबर तक हम हादसे के हर पहलू पर पोस्टर प्रदर्शनी लगा रहे हैं। हम प्रदर्शनी स्थल पर विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित कर रहे हैं।”


भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के बालकृष्ण नामदेव ने गैस काण्ड की बरसी मनाने की योजनाओं का वर्णन किया: “इस हादसे की 40वीं वर्षगांठ पर हम कॉरपोरेट अपराध पर ध्यान केंद्रित करेंगे, कि कैसे इसकी वजह से आज धरती पर जीवन खतरे में पड़ गया है । बरसी की रैली में औद्योगिक प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक कॉरपोरेट अपराधों और साथ ही यूनियन कार्बाइड और डॉव केमिकल के जारी अपराधों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। भारत और विदेश से कॉरपोरेट अपराध के पीड़ित 40वीं वर्षगांठ रैली में भाग लेंगे।”

संगठनों द्वारा आयोजित कार्यक्रम के बारे में बोलते हुए भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा, “आज हमारे साथ दिसम्बर 1984 के हादसे में प्रमुख भूमिका निभानेवाले कुछ असाधारण व्यक्ति शामिल हैं, जिनमें आपातकालीन वार्ड के सबसे वरिष्ठ चिकित्सक, सबसे अधिक शव परीक्षण करने वाले फोरेंसिक विशेषज्ञ और मुर्दों को दफनाने में भाग लेने वाले लोग शामिल हैं, जो हादसे की सुबह की अपनी यादें सुनाएँगे।”

भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खान ने कहा: "आज की प्रदर्शनी भोपाल हादसे के आंकड़ों और विश्वसनीय आंकड़ों की कमी पर केंद्रित है। जैसा कि हमने यहां प्रस्तुत किया है, यह विडंबना है कि एक ऐसे देश में जो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वैज्ञानिक मानव शक्ति होने का दावा करता है, हादसे के हताहतों और स्वास्थ्य प्रभावों जैसे सबसे बुनियादी आंकड़े 40 साल बाद भी अनुपलब्ध हैं।"

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