केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने कहा, बाल विवाह मुक्त भारत बनाने में धर्मगुरु व नागरिक समाज संगठन करें सहयोग

बाल विवाह-मुक्त भारत अब महज संभावना नहीं बल्कि यह अवश्यंभावी है।

Update: 2025-02-15 05:31 GMT

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार ने विभिन्न धर्मों के धर्मगुरुओं व विवाह संपन्न करने वाले पुरोहितों से बाल विवाह के खात्मे के लिए सरकार के प्रयासों में सहयोग करने का आह्वान करते हुए कहा कि सबके मिले- जुले प्रयासों से अतीत में भारत ने सती प्रथा जैसी कई कुप्रथाओं का सफलतापूर्वक उन्मूलन किया है। ऐसे में कोई कारण नहीं कि हम बाल विवाह की बुराई को देश से खत्म नहीं कर पाएं। वे आकांक्षी जिला एवं प्रखंड कार्यक्रम के अंतर्गत एसोसिएशन फॉर वालंटरी एक्शन (एवीए) की बाल अधिकार कार्यकर्ताओं की चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। एवीए बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश के 416 जिलों में काम कर रहे 250 से भी ज्यादा गैरसरकारी संगठनों के नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) का सहयोगी संगठन है।

डॉ वीरेंद्र कुमार ने कहा, “हम वो देश हैं जिसने एक बार कुछ ठान लिया तो फिर कुछ भी असंभव नहीं है। हमने सती प्रथा जैसी कई कुरीतियों का खात्मा किया है। ऐसे में हमें पूर्ण विश्वास है कि बाल विवाह का भी खात्मा होगा। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में हमारी सरकार बाल विवाह मुक्त भारत के सपने को पूरा करने और बच्चों के चौतरफा कल्याण और सशक्तीकरण के लिए काम कर रही है।”


जेआरसी के सहयोगी एवीए ने हाल ही में देश के 12 राज्यों के 73 आकांक्षी जिलों के 104 प्रखंडों के 15,000 गांवों में बच्चों की शिक्षा, सुरक्षा व सशक्तीकरण और इन गांवों को ‘बाल विवाह मुक्त’ घोषित करने के लिए नीति आयोग से हाथ मिलाया है। एवीए वर्षों से बाल मजदूरी और बच्चों की ट्रैफिकिंग की रोकथाम के लिए जमीनी स्तर पर काम करने वाले अग्रणी संगठन के तौर पर बच्चों को ट्रैफिकिंग गिरोहों और उनका शोषण करने वाले नियोक्ताओं से उन्हें मुक्त करा रहा है।



डॉ वीरेंद्र कुमार ने कहा कि नागरिक संगठनों और विभिन्न धर्मगुरुओं के सहयोग से एक जागरूक समाज सफलतापूर्वक बाल विवाह की रोकथाम कर सकता है। इसके लिए सभी धर्मों के धर्मगुरुओं को अपनी मान्यताओं और परंपराओं को परे रखते हुए 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए दृढ़संकल्प और प्रतिबद्धता के साथ काम करना चाहिए।

देशभर से आए बाल अधिकार कार्यकर्ताओं और जिला समन्वयकों को संबोधित करते हुए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन के संस्थापक भुवन ऋभु ने कहा कि नीति आयोग के साथ एवीए का यह सहयोग बाल विवाह, बाल मजदूरी और बच्चों की ट्रैफिकिंग के खात्मे के लिए निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। ऋभु ने कहा, भारत एक ऐसा विश्वगुरु बनने की राह पर है जो वंचितों, शोषितों को उनके हक दिलाने की अगुआई करेगा। आज हमारे कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है क्योंकि पूरी दुनिया हमें देख रही है। अगर हम हर जरूरतमंद बच्चे को शिक्षा और सरकारी योजनाओं से जोड़ सकें तो यह साझेदारी बाल विवाह और बच्चों की ट्रैफिकिंग रोकने की दिशा में एक मील का पत्थर और अहम पड़ाव साबित हो सकती है।

बाल विवाह-मुक्त भारत अब महज संभावना नहीं बल्कि यह अवश्यंभावी है। 2030 तक देश से बाल विवाह के खात्मे के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें रोकथाम, सुरक्षा और कानूनी कार्रवाई की समग्र रणनीति पर काम करना होगा।” उन्होंने कहा कि आज जमीनी स्तर पर हो रहे बदलाव व्यापक स्तर पर बनने वाली नीतियों को प्रभावित कर रहे हैं और व्यापक नीतियां अब जमीनी स्तर पर बच्चों तक पहुंच रही हैं।

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