मध्यप्रदेश में बीजेपी के राज्यसभा उम्मीदवार का पर्चा हो सकता है निरस्त

कोर्ट ने इस याचिका पर शासन को नोटिस जारी करते हुए अंतिरम राहत के तौर पर उनके इस्तीफे पर 13 मार्च को ही निर्णय लेने हेतु आदेशित किया है और कोर्ट को 16 मार्च को लिए गए निर्णय से अवगत कराने को कहा है."

Update: 2020-03-13 13:29 GMT

मध्यप्रदेश में सरकार को ले कर चल रही रस्साकशी के बीच एक नया दांव सामने आ रहा है जिसमे राजयसभा के भाजप उम्मीदवार के उम्मीदवार पर नामकं निरस्त होने का खतरा मंडरा रहा है जिसके विरोध में अब न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की गयी है. मप्र से भाजपा की तरफ से राज्यसभा उम्मीदवार डॉ सुमेर सिंह सोलंकी ने हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में एक याचिका दायर कर अपने इस्तीफे पर शासन से तत्काल निर्णय लेने की मांग की है. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए शासन को आदेश दिया है कि तत्काल इस पर निर्णय ले.

पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि प्रो. डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी जी ने आज मध्यप्रदेश राज्यसभा सीट से नामांकन भरा है, मेरी और समस्त बीजेपी  परिवार की शुभकामनाएं उनके साथ हैं। मुझे विश्वास है कि राष्ट्र उत्थान और प्रदेश की सेवा के अपने कर्तव्य का वह पूरी निष्ठा से निर्वहन करेंगे. 

उल्लेखनीय है की मप्र से राज्यसभा के लिए भाजपा की तरफ से पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा प्रो डॉ सुमेर सिंह को टिकट दिया है. सोलंकी बडवानी स्थित शाहिद भीमा नायक शासकीय स्नात्तोतर महाविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर थे. जैसे ही राज्य सभा उम्मीदवार के रुप में उनके नाम की घोषणा हुई. उन्होनें तत्काल महाविद्यालय के प्राचार्य को अपना इस्तीफा सोंप दिया. प्राचार्य ने इस्तीफा शासन को भेज दिया है.

राज्य शासन द्वारा इस्तीफे पर कोई निर्णय नहीं लिया है. इस कारण उनका नांमाकन निरस्त हो सकता है. इसी के मद्देनज़र डॉ सुमेर सिंह सोलंकी ने हाईकोर्ट की इंदौर बैंच के समक्ष पूर्व अतिरिक्त महा अधिवक्ता मनोज द्विवेदी और अभिभाषक सुदर्शन जोशी के माध्यम से शुक्रवार को याचिका पेश की . इस याचिका में उन्होंने सिविल सर्विसेस नियम 1976 के प्रवाधानो को चुनौती देते हुए इस्तीफा स्वीकार किए जाने हेतु माननीय कोर्ट से निवेदन किया है .

कोर्ट ने इस याचिका पर शासन को नोटिस जारी करते हुए अंतिरम राहत के तौर पर उनके इस्तीफे पर 13 मार्च को ही निर्णय लेने हेतु आदेशित किया है और कोर्ट को 16 मार्च को लिए गए निर्णय से अवगत कराने को कहा है."

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