मध्यप्रदेश में 'मामा' की कुर्सी पर मंडराता खतरा, 'संकटमोचक' को बनाया जा सकता है मुख्यमंत्री

यही नहीं बल्कि जब-जब मध्यप्रदेश में सरकार पर कोई संकट आ खड़ा होता है तो ऐसे में नरोत्तम मिश्रा एक संकटमोचक की भूमिका में होते हैं।

Update: 2020-07-01 02:20 GMT

आकाश नागर 

मध्यप्रदेश में सोमवार सुबह पहले खबर आई थी कि केंद्रीय नेताओं के साथ शिवराज की बैठक में संभावित मंत्रियों के नाम फाइनल हो गए हैं और 30 जून को शपथ ग्रहण करा दी जाएगी। इसके बाद शाम होते-होते मध्य प्रदेश का सियासी परिदृश्य एकदम बदल गया। फिलहाल मंत्रिमंडल गठन करते-करते कब मध्य प्रदेश की सियासत में फेरबदल करने की बात चल गई इसका किसी को कानों कान पता तक नहीं चला। सियासी गलियारों में चर्चा आम है कि मध्य प्रदेश की सियासत पर चार बार गद्दानसीन हो चुके मामा यानी शिवराज सिंह चौहान की सीट पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।

अब सुनने में आ रहा है कि मध्य प्रदेश की सियासत में एक नए नेता को मुखिया बनाया जा सकता है । जिनका नाम नरोत्तम मिश्रा है । नरोत्तम मिश्रा वही नाम है जिन्होंने 'ऑपरेशन लोटस' को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यही नहीं बल्कि जब-जब मध्यप्रदेश में सरकार पर कोई संकट आ खड़ा होता है तो ऐसे में नरोत्तम मिश्रा एक संकटमोचक की भूमिका में होते हैं।

फिलहाल एक बार फिर प्रदेश में मंत्रिमंडल गठन को लेकर शिवराज सिंह चौहान कशमकश में है। वह तय नहीं कर पा रहे हैं कि अपने पार्टी के नेताओं और कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों और पूर्व मंत्रियों में किस तरह सामंजस्य बिठाया जा सके। इसी ऊहापोह में शिवराज सिंह चौहान पिछले 3 दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। लेकिन कल शाम जब अचानक दिल्ली से नरोत्तम मिश्रा को बुलाया गया तो मध्य प्रदेश की राजनीति में जैसे तूफान सा आ गया। चर्चा शुरू होने लगी कि 'मामा' की कुर्सी खतरे में है और प्रदेश की कमान 'संकटमोचक' के हाथों में दी जा सकती है।

याद रहे कि इस साल मार्च महीने में चौथी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान अब तक अपनी कैबिनेट नहीं बना पाए हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 पूर्व विधायकों की बीजेपी में एंट्री से पार्टी नेतृत्व के लिए अलग-अलग धड़ों के बीच संतुलन बिठाना मुश्किल हो रहा है। कैबिनेट विस्तार में यही सबसे बड़ी रुकावट बना हुआ है।

अब चर्चाएं चल रही हैं कि संतुलन बिठाने की कवायद में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व शिवराज के विकल्पों की तलाश भी कर रहा है। नरोत्तम का आज ग्वालियर जाने का कार्यक्रम पहले से तय था, लेकिन दिल्ली आने का निर्देश मिलते ही वे फौरन देश की राजधानी के लिए निकल गए। सूत्रों से मिली खबरों के मुताबिक पार्टी नेतृत्व एमपी में नेता बदलने के विकल्प पर विचार कर रहा है और इसी सिलसिले में नरोत्तम को बुलाया गया है।

मध्य प्रदेश के गृह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मिश्रा दतिया से पार्टी के विधायक है। इनकी गिनती पार्टी के कद्दावर नेताओं में होती है। वे शिवराज सरकार के पिछले तीन कार्यकाल में अहम विभागों के मंत्री भी रह चुके हैं। प्रदेश की सियासत में जब भी भाजपा पर संकट छाया तो मिश्रा ने हमेशा एक संकटमोचक की भूमिका निभाई। कांग्रेस के हाथ से सत्ता छिन भाजपा को सत्ता दिलाने में मिश्रा का अहम रोल रहा। मिश्रा आपरेशन लोटस के ​अहम किरदार थे। केंद्रीय नेतृत्व से अच्छे संबंध के चलते ही उन्हें कमलनाथ सरकार को गिराने और नई सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई है। पूर्व में मिश्रा का नाम राज्य के उपमुख्यमंत्री के तौर पर भी चला था ​। लेकिन उन्हें फिर कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।

गौरतलब है कि कमलनाथ सरकार को अलविदा कहने में खास भूमिका निभाने वाले 22 विधायाकों में से दो पहले ही कैबिनेट में शामिल हो चुके हैं। बताया जा रहा है कि अब सिंधिया ने आठ और नाम कैबिनेट के लिए सौंपे हैं। इनमें कुछ नाम ऐसे हैं जिन्हें मंत्री बनाने पर भाजपा को अपने कद्दावर नेताओं की अनदेखी करनी होगी। खास बात यह है कि मंत्रिमंडल का विस्तार ऐसे समय में हो रहा है कि राज्य में 24 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। ऐसे में नेतृत्व नहीं चाहता कि पार्टी में फूट पड़े।

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