भोपाल: मध्य प्रदेश में जारी राजनीतिक घटनाक्रम के बीच कांग्रेस के 20 विधायकों ने कांग्रेस छोड़कर इस्तीफा दे दिया है. इस प्रकार मुख्यमंत्री कमलनाथ को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिये. उन्होंने सरकार चलाने के लिये आवश्यक बहुमत खो दिया है. लोगों के उनके इस्तीफे का इंतजार है.
मध्यप्रदेश के सियासी घटनाक्रम में मीडिया सभी भविष्यवाणियां सच साबित हुई हैं. शिवराज सिंह चौहान के साथ प्रेस कांफ्रेस करके कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ विधायक बिसाहू लाल ने भी अपना इस्तीफा दे दिया है और उन्होंने शिवराज सिंह चौहान को अपना नेता मान लिया है.
मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं. दो विधायकों का निधन हो गया है, जिसके चलते विधानसभा की मौजूदा शक्ति 228 हो गई है. 20 विधायकों के इस्तीफे के कारण बहुमत 105 पर है और वर्तमान में भाजपा के पास 107 विधायक हैं. सूत्रों के मुताबिक 17-24 विधायक ऐसे बताए जा रहे हैं जिन्होंने कांग्रेस से बगावत कर ली है. इनमें ज्यादातर विधायक सिंधिया खेमे के हैं. ये विधायक कर्नाटक में हैं और भाजपा को समर्थन दे रहे हैं.
मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादार माने जाने वाले कांग्रेस के 19 विधायकों ने मंगलवार को राज्य के राज्यपाल को अपने इस्तीफे भेज दिए. इसमें छह मंत्री भी शामिल हैं. राजभवन के सूत्रों ने भाषा को यह जानकारी दी. इस प्रकार कमलनाथ की सरकार बच पाना नामुमकिन है. माना जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया आज शाम भाजपा में शामिल हो सकते हैं.
इस्तीफा देने वाले विधायक
इन विधायकों में प्रदुम्न सिंह तोमर, रघुराज कंसाना, कमलेश जाटव, रक्षा संत्राव (भांडेर), जजपाल सिंह जज्जी (अशोक नगर), इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, तुलसी सिलावट, सुरेश धाकड़ (शिवपुरी), महेंद्र सिंह सिसोदिया, ओपी एस भदौरिया, रणवीर जाटव, गिरराज दंडोतिया, जसवंत जाटव, गोविंद राजपूत, हरदीप डंग, मुन्ना लाल गोयल, ब्रिजेन्द यादव शामिल हैं. सूत्रों के हवाले से खबर है कि कांग्रेस के 7 और विधायक भी बीजेपी के संपर्क में हैं.