दिग्विजय सिंह के मैदान में आने भोपाल लोकसभा की बिगड़े समीकरण, बीजेपी में मची उठापटक
मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सबसे मजबूत सीटों में से एक भोपाल सीट पर कांग्रेस की तरफ से दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद बीजेपी में भी इस सीट के लिए घमासान तेज हो गया है. बीजेपी ने इसका तोड़ तलाशना तेज कर दिया है. हालांकि अभी बीजेपी ने इस सीट के लिए अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है.
दरअसल, साल 1989 से भोपाल सीट बीजेपी के पास है. पूर्व नौकरशाह रहे सुशीलचंद्र वर्मा से लेकर उमा भारती और कैलाश जोशी सभी भोपाल से सांसद बने. यहां से वर्तमान में अलोक संजर बीजेपी सांसद हैं. इन तीस सालों के दौरान कांग्रेस ने सारे जतन कर लिए लेकिन यह सीट बीजेपी से छीन नहीं पाई. भोपाल सीट पर कायस्थ, ब्राम्हण और मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं.
भोपाल सीट भले ही लंबे समय से बीजेपी की गढ़ रही हो लेकिन इस लोकसभा चुनाव में समीकरण बदलते दिख रहे हैं. कांग्रेस किसी भी तरह बीजेपी को वॉकओवर देने के मूड में नहीं है. और इसी रणनीति के तहत उसने दिग्विजय सिंह को किला भेदने के लिए मैदान में उतारा है. दिग्विजय के मैदान में आने के बाद भोपाल सीट के कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ता और नेता आचानक काफी सक्रिय हो गए हैं.
उधर कांग्रेस के 'दिग्विजयी दांव' के बाद बीजेपी में मंथन तेज हो गया है. बदले हुए समीकरण के लिहाज से बीजेपी ने इसका तोड़ तलाशना तेज कर दिया है. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष राकेश सिंह पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से इस मामले में मुलाक़ात कर चुके हैं. बताया जा रहा है कि पार्टी शिवराज के नाम पर ही विचार कर रही है.
शिवराज सिंह चौहान ने खुद इस मामले पर दिग्विजय पर हमला बोलना शुरू कर दिया है. शिवराज ने तंज कसते हुए दिग्विजय सिंह को बंटाधार रिटर्न बताया है. शिवराज ने कहा कि बीजेपी के सामने कोई चुनौती नहीं है और मैं किसी व्यक्ति को इतना महत्व नही देता हूं. भोपाल से लड़कर दिग्विजय सिंह से बदला लेने की बात पर शिवराज ने कहा कि बदला लेने की प्रवत्ति नहीं है, मिशन के लिए काम करता हूं. भोपाल से सोच समझकर प्रत्याशी उतारेंगे.
हालांकि बीजेपी की तरफ से कई उम्मीदवारों के नाम सामने आ रहे हैं जिसमें चर्चित और विवादित साध्वी प्रज्ञा भारती भी शामिल हैं. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि दिग्विजय को हारने के लिए कुछ भी कर सकती हैं. इसके अलावा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी बयान दिया कि दिग्विजय सिंह के खिलाफ लड़ने में खूब मजा आएगा.
इसके अलावा बीजेपी 2003 में दिग्विजय सिंह के खिलाफ बने माहौल को पंद्रह साल बाद फिर हवा देकर कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाने में जुट गई है. बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि 'मिस्टर बंटाधार' के राज में सड़क, बिजली, पानी और कर्मचारियों की नाराजगी के साथ ही तुष्टिकरण की सियासत को हवा दी जाएगी.
भोपाल लोकसभा सीट के जातीय समीकरणों पर नजर डालें तो.
21 लाख 2 हजार मतदाता है
- 19 लाख भोपाल जिले और 1 लाख 94 हजार सीहोर से आते है
- 2014 के चुनाव में बीजेपी के आलोक संजर ने कांग्रेस के पीसी शर्मा को 3 लाख 70 हजार वोटों से शिकस्त दी थी
- इस सीट पर कायस्थ, ब्राम्हण और मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं
उधर हाल ही में भोपाल के स्थानीय बीजेपी नेताओं ने आपस में बैठक कर यह निषकर्ष निकाला कि इस सीट पर किसी स्थानीय उम्मीदवार को ही टिकट मिलना चाहिए. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज बीजेपी नेता बाबूलाल गौर ने बयान भी दिया है कि भोपाल से बीजेपी ही जीतेगी लेकिन पार्टी को सोच-समझकर उम्मीदवार उतारना चाहिए.
कुल मिलाकर भोपाल सीट पर दिग्विजय सिंह के आने के बाद यहां मुकाबला दिलचस्प हो गया है. कांग्रेस ने तो संकेत दे दिया है कि वह अपनी तरफ से कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी. अब देखना होगा कि बीजेपी इस सीट के लिए अपनी अंतिम रणनीति को क्या रूप रेखा देती है, और शिवराज सिंह चौहान पर दांव लगाएगी या किसी और पर!