मध्य प्रदेश की सियासत में भूचाल, BJP दिल्ली में बना रही रणनीति तो कांग्रेस भोपाल

कभी कमलनाथ सरकार सुरक्षित लग रही है तो कभी सत्ता की गेंद भाजपा के पाले में जाती हुई दिख रही है. दोनों ही दलों के बड़े नेताओं के बैठकों का दौर जारी है.

Update: 2020-03-07 07:01 GMT

भोपाल: मध्य प्रदेश में जारी सियासी ड्रामा अब अपने पांचवें दिन में प्रवेश कर गया है. आपको बता दें कि 2 मार्च को दिग्विजय सिंह ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा पर मध्य प्रदेश में हॉर्स ट्रेडिंग करने का आरोप लगाया था. इसके बाद से ही मध्य प्रदेश की सियासत पल-पल बदल रही है. कभी कमलनाथ सरकार सुरक्षित लग रही है तो कभी सत्ता की गेंद भाजपा के पाले में जाती हुई दिख रही है. दोनों ही दलों के बड़े नेताओं के बैठकों का दौर जारी है.

भाजपा नेता दिल्ली में बना रहे हैं रणनीति

एक ओर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह कांग्रेस की रणनीति तैयार करने में लगे हैं. वहीं दूसरी ओर देश की राजधानी दिल्ली में नरेंद्र सिंह तोमर के आवास पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, शिवराज सिंह चौहान, नरोत्तम मिश्रा, प्रहलाद पटेल और अरविंद मेनन मध्य प्रदेश में सत्ता हथियाने की गुणा-गणित में लगे हैं.

कमलनाथ - दिग्विजय ने संभाला है मोर्चा

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को भोपाल में कांग्रेस पार्टी के सभी विधायकों से बातचीत की. हालांकि दो विधायकों बिसाहूलाल सिंह और रघुराज कंसाना से बात नहीं हो पाई. विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले कांग्रेस विधायक हरदीप डंग से भी दिग्विजय सिंह ने संपर्क किया. वहीं बेंगलुरू में मौजूद चार विधायकों में निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा से कमलनाथ ने संपर्क किया. सुरेंद्र सिंह शेरा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वह कमलनाथ सरकार के साथ हैं और अपनी बेटी के इलाज के लिए बेंगलुरू आए हैं.

बजट सत्र में साफ हो सकती है स्थिति

दूसरी ओर यह भी बताया जा रहा है कि भाजपा विधायक अरविंद भदौरिया भी बेंगलुरू में बिसाहूलाल सिंह, रघुराज कंसाना, हरदीप सिंह डंग और सुरेंद्र सिंह शेरा से संपर्क में हैं. भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी अपने सभी विधायकों के साथ लगातार संपर्क में है. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र कुछ दिनों में शुरू होने वाला है जिसमें कमलनाथ सरकार के भविष्य का फैसला हो सकता है. इस सत्र में पता चल जाएगा कि कमलनाथ सरकार के पास जरूरी संख्या बल है या भाजपा ने सफलता पूर्वक सेंधमारी कर ली है.

कमलनाथ अपना सकते हैं ये फॉर्मूला

ऐसा माना जा रहा है कि कमलनाथ सरकार नाराज चल रहे विधायकों को मनाने के लिए कैबिनेट विस्तार कर सकते हैं. कमलनाथ की कैबिनेट में अभी 5 मंत्री पद खाली चल रहे हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री कमलनाथ नाराज चल रहे विधायकों को मंत्री बनाकर साधने की कोशिश करेंगे. सरकार बचाने के लिए कमलनाथ अपने कुछ भरोसेमंद और पार्टी के लिए समर्पित मंत्रियों से इस्तीफा लेकर अन्य नाराज विधायकों को मंत्री बना सकते हैं.

भाजपा के लिए भी खतरा कम नहीं है

भाजपा के दो विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कोल कांग्रेस के संपर्क में बताए जा रहे हैं. हालांकि इसका दावा सिर्फ कांग्रेस की ओर से हुआ है और इन दोनों ने अभी कुछ पुष्टि नहीं की है. ऐसे में मध्य प्रदेश की सियासत में अभी उथल-पुथल रहने वाली है. इधर भाजपा विधायक संजय पाठक के भी कांग्रेस के संपर्क में होने की बात कही जा रही थी. लेकिन उन्होंने वीडियो संदेश जारी कर इसका खंडन किया है.

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