प्रदेश में चारो ओर धर्म की धार, फिर भी मामा की भांजियां निशाने पर...
Edge of religion everywhere in the state, yet maternal uncle's nieces on target
मैहर की पहचान इसलिए नही है कि वह एमपी का एक शहर है!उसकी पहचान सिर्फ इसलिए है कि वहां देवी का एक प्रसिद्ध मंदिर है!वह मंदिर जो देश ही नहीं पूरी दुनियां में मशहूर है।लाखों लोग हर साल देवी दर्शन के लिए मैहर पहुंचते हैं!
वे दोनो इसी मंदिर की समिति के सेवादार हैं।उन्होंने एक मासूम बच्ची के साथ दरिंदगी करके देश को एक बार फिर दिल्ली के निर्भया कांड की याद दिलाई है!यह भी गजब का संयोग है कि जिन्होंने निर्भया के समय पूरा देश सिर पर उठा लिया था वे आज मणिपुर को, देश के अन्य हिस्सों में हुई घटनाओं से जोड़कर, जस्टीफायी करने में जुटे हैं!सबसे दुखद पहलू यह है कि संसद के भीतर मणिपुर की घटनाओं का बचाव वे भी कर रही हैं जो कुछ महीने पहले गोमांस परोसने के आरोप से घिरी अपनी युवा बेटी के बचाव में भावुक अपीलें कर रही थीं!
खबर अब दुनियां तक पहुंच चुकी है।लेकिन इस काम में उन चैनलों की भूमिका सीमित है जो 2012 में जमीन आसमान एक किए हुए थे।
पहले घटना जान लें!उसकी उम्र करीब 12 साल है।सतना जिले के मैहर में स्थित मशहूर शारदा देवी मंदिर के पास उसके दादा की झोपड़ी है।बाप है नही।घर में मां के अलावा दादा दादी और एक छोटी बहन है।सरकार के सबको घर और आर्थिक सुरक्षा दे देने के दावे के बीच उसका परिवार भिक्षाटन करके गुजारा करता था।"देवी की कृपा" से गुजारा चल रहा था। 27 जुलाई को दोपहर तीन बजे के आसपास वह अपनी झोपड़ी के बाहर खेल रही थी।खेलते खेलते वह गायब हो गई।
घर वालों ने बहुत खोजा लेकिन वह नही मिली!अगले दिन गांव की ही एक महिला ने थोड़ी दूर जंगल में उसे पड़ा देखा।वह बुरी तरह घायल थी।परिवार के लोग पहुंचे तो पहली नजर में उन्हें लगा कि शायद मर गई है!फिर समझ में आया कि सांस चल रही हैं।तत्काल पास के अस्पताल ले गए।वहां एक महिला डाक्टर ने प्राथमिक जांच की।उसने पाया कि बच्ची का शरीर क्षत विक्षत है।उसके जननांग में करीब सवा फुट लंबी लकड़ी घुसी हुई है।डाक्टर ने उसे तत्काल निकाला।चूंकि हालत खराब थी इसलिए उसे फौरन सतना भेजा गया।फिर वहां से रीवा के बड़े अस्पताल भेजा गया।फिलहाल वह जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है।डाक्टर उसे बचाने में लगे हैं।
इधर मैहर में पुलिस ने सुराग के आधार पर शुक्रवार को शारदा देवी मंदिर समिति के दो कर्मचारियों को पकड़ा।अतुल बढ़ोलिया और रवींद्र रवि नाम के ये दोनों युवा कर्मचारी जेल भेज दिए गए हैं।पुलिस के मुताबिक इन दोनो ने ही बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार किया फिर उसे मारने की नियत से उसके जननांग में बड़ी लकड़ी घुसेड दी ताकि वह मर जाए।बाद में वे दोनों उसे जंगल में बेहोश छोड़ कर चले आए।इन दोनो की उम्र करीब 30 साल बताई गई है।
पुलिस के हिसाब से कहानी खत्म!अपराध हुआ!अपराधी पकड़ लिए गए!आगे का काम अदालत का।
इस बीच बच्ची के स्वघोषित "मामा" ने भी बाबा जी के तोतों की तरह रटा रटाया बयान दोहराया!मैहर में बेटी से दुष्कर्म की जानकारी मिली है।मन पीड़ा से भरा हुआ है। बहुत व्यथित हूं।अपराधी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।बच्ची के इलाज की व्यवस्था करने को कहा है।पुलिस को कहा गया है कि कोई अपराधी बचना नही चाहिए!
यह बयान पहली बार नही आया है। हर घटना के बाद वे ऐसा ही बयान देते रहे हैं।पहले वे हर बलात्कारी को फांसी देने की बात कह कर अपने द्वारा बनाए गए फांसी के कानून का भी जिक्र फक्र से करते थे।लेकिन फांसी का कानून बनाए जाने के बाद भी न तो राज्य में बलात्कार कम हुए और न ही आज तक कोई बलात्कारी फांसी पर लटकाया गया।हालांकि निचली अदालतों ने दो दर्जन से ज्यादा बलात्कारियों को फांसी की सजा सुनाई है।लेकिन सभी मामले अभी अदालतों में ही उलझे हैं!उधर केंद्र सरकार के आंकड़ों में एमपी महिलाओं के साथ अपराधों के मामले में देश में सबसे ऊपर चल रहा बताया जा रहा है।
फांसी के कानून से पहले धर्म की बात कर ली जाए।जिन दो दरिंदों ने मासूम बच्ची के साथ दरिंदगी की है, वे दोनो मैहर देवी मंदिर समिति के कर्मचारी थे।हालांकि कल को समिति इसे नकार भी सकती है।क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि करोड़ों लोगों के आस्था के केंद्र पर दिन रात काम करने वाले लोग एक मासूम बच्ची के साथ जघन्य अपराध कर सकते हैं।उसका शरीर नोच सकते हैं।आपकी कल्पना में ये बात आए न आए पर ऐसा हुआ है।
इसी के साथ यह सवाल उठा है कि कानून की हालत तो पहले से खराब है पर क्या अब धर्म का अस्तित्व भी खत्म हो रहा है ? एक ओर जहां राम के नाम पर चलने वाली राज्य सरकार शबरी को भी देवी बना रही है।सरकारी खजाने से अरबों रुपए खर्च करके मठ मंदिर और देवताओं के लोक बना रही है।बाबाओं और कथित संतों के चरणों में पड़ी है!दूसरी ओर धर्म से जुड़े और मंदिरों में काम करने वाले लोग ही बच्चियों से दुराचार कर रहे हैं!
आगे बात करने से पहले एक नजर सरकार के धार्मिक कार्यों पर डाल लीजिए!मध्यप्रदेश सरकार उज्जैन में महाकाल लोक बनवा रही है।ओरछा में राम राजा लोक बन रहा है।ओंकारेश्वर में शंकराचार्य का भव्य स्मारक बन रहा है!दतिया में पीतांबरा देवी का महालोक बन रहा है तो सलकनपुर में देवी लोक बनाया जा रहा है।सौसर में सरकार हनुमान महालोक बनवा रही है तो जानापाव में परशुराम लोक बनाने का ऐलान हो चुका है।सागर में अगले महीने संत रविदास के भव्य मंदिर का शिलान्यास खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करने वाले हैं।उसके लिए अभी प्रदेश में समरसता यात्राएं घूम रही हैं।यह काम बीजेपी ही कर रही है।चित्रकूट में दिव्य वनवासी रामलोक बनेगा तो रीवा के त्यौंथर में शबरी के वंशजों से जुड़ी कोलगढ़ी का जीर्णोद्धार भी सरकार करा रही है।
इसी श्रंखला में सरकार ने भोपाल में महाराणा प्रताप लोक बनाने की भी ऐलान किया है।
यह अलग बात है कि भगवान के ये लोक भी उनके भक्तों के भ्रष्टाचार से बच नहीं पाए हैं।उज्जैन के जिस महाकाल के महालोक का उद्घाटन खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था वह कुछ महीने में ही क्षतिग्रस्त हो गया।ऋषि मुनियों की प्रतिमाएं धराशाई हो गईं।आरोप है कि महालोक में भारी भ्रष्टाचार हुआ है।लेकिन खुद सरकार भ्रष्टाचार छिपाने की कोशिश कर रही है।
इन लोकों के अलावा मुख्यमंत्री और उनके मंत्री अपने अपने इलाकों में कथा भागवत के बड़े आयोजन करा रहे हैं।अविवाहित स्त्रियों को खाली प्लाट बताने वाले धीरेंद्र शास्त्री की कथा मुख्यमंत्री ने अपनी विदिशा में कराई थी।सीहोर में रुद्राक्ष बांट कर हर साल लोगों को परेशानी में डालने वाले प्रदीप मिश्र की सेवा में तो पूरी सरकार लगी रही है।कमोवेश हर जिले का प्रशासन और पुलिस इन धर्म के ठेकेदारों की सेवा में लगी दिखती है।
उधर विपक्षी दल भी इस मोर्चे पर पीछे नहीं है।खुद पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी धीरेंद्र शास्त्री की कथा अपने छिंदवाड़ा में करा रहे हैं।
सवाल यह है कि जब चारो ओर धर्म और उसके ठेकेदारों का ही बोलबाला है तो फिर प्रदेश में इतना अधर्म क्यों हो रहा है?सरकार कर्ज लेकर हजारों करोड़ रुपए इन लोकों और महालोकों पर खर्च कर रही है!लेकिन समाज पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा!
हालत यह है कि एमपी में न तो कानून का डर दिखाई दे रहा है और न ही धर्म का!
न बेटी सुरक्षित है न बेटे।न युवतियां सुरक्षित हैं और न 90 साल की बुजुर्ग महिलाएं!
मुख्यमंत्री छोटी बच्चियों से लेकर बड़ी उम्र तक की महिलाओं के लिए कुछ न कुछ कर रहे हैं।बच्चियों के पैदा होने से लेकर उनकी पढ़ाई और शादी की व्यवस्था भी सरकारी खजाने से की जा रही है।लाडली बहनों को हर महीने एक हजार जेब खर्च दे रहे हैं।बुजुर्ग महिलाओं को हवाई जहाज से तीर्थ यात्रा करा रहे हैं।और तो और वे रैंप पर टहलते हुए अपनी बहनों के पांव को कांटो से बचाने के लिए उन्हें चप्पल देने का ऐलान कर रहे हैं।धूप से बचाने के लिए छाता दे रहे हैं।भले ही कर्ज लेकर करें! लेकिन अपने कुल बजट का एक तिहाई बच्चियों और महिलाओं पर खर्च कर रहे हैं!
यह अलग बात है कि इतना सब करके भी वे उन्हें सबसे जरूरी चीज, सुरक्षा की गारंटी नहीं दे पा रहे हैं।वे मामा बने !भाई बने!श्रवण कुमार बने!लेकिन बेटी बहन और माताओं को दरिंदों से बचाने में सफल नहीं हो पाए।सबसे अधिक समय तक एमपी का मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बना लेने,बलात्कारियों को फांसी का कानून बना देने और पुलिस में 33 प्रतिशत महिलाओं की भर्ती कर देने के बाद भी वे अपराधियों के मन में कानून का डर पैदा नही कर पाए!उनका मन बहुत कोमल है!बहुत व्यथित रहता है।वे सख्त बात भी करते हैं!लेकिन फिर भी न बच्चियां सुरक्षित हैं और न उनकी माताएं और दादियां!राम भी उनकी मदद करते नही दिख रहे हैं।
वे रोज बड़े बड़े दावे करते हैं!लेकिन इनके बाद भी उन्हें रोज व्यथित होना पड़ता है।न अपराधी डर रहे है और न वे "कृष्ण" बन पा रहे हैं।फिर भी "शो मस्ट गो ऑन" की तर्ज पर उनका काम चल रहा है।चलता रहेगा।
इस सब के बाद अब आप ही बताइए कि अपना एमपी गज्जब है कि नहीं!