पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत का कहना है कि विधानसभा चुनाव आधुनिक ईवीएम से किए जा रहे हैं। ये मशीनें मार्क 3 कैटेगरी की हैं। अगर कोई मशीनों के मदरबोर्ड में छेड़छाड़ करेगा, तो मशीन बंद हो जाती है। रावत ने यह भी माना कि पहले ईवीएम के मदरबोर्ड से छेड़छाड़ संभव थी। उन्होंने कहा कि इससे पहले की ईवीएम में यह समस्या थी कि यदि वह प्रशासनिक नियंत्रण से बाहर जाती है, तो उसमें मदरबोर्ड से छेड़छाड़ हो सकती थी। हालांकि, आयोग की व्यवस्था इतनी मजबूत रही है कि यह कभी भी प्रशासनिक नियंत्रण से बाहर नहीं रही और न ही शिकायत आई।
सवाल : ईवीएम पर सवाल उठ रहे हैं, कहां गलती हो रही ?
जवाब : ईवीएम में गड़बड़ी संभव नहीं है, जहां भी समस्या आई, वहां कर्मचारियों की कमजोरी और लापरवाही रही। चुनाव बाद ईवीएम को स्ट्रांग रूम में आना ही चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो राजनीतिक व्यक्ति को संदेह होता है, क्योंकि यह उसके अस्तित्व का सवाल है। यह वाजिब भी है, इसलिए हमने जांच के लिए भी तत्काल आदेश दिए।
सवाल : वीवीपैट के खराब होने के मामले सामने आए हैं।
जवाब : यह सही है कि पुरानी वीवीपैट में यह समस्या थी कि वह तेज रोशनी, आर्दता और गर्मी में सेंसर प्रभावित होते थे, जहां भी जैसे कि सतना में यह पुरानी वीवीपैट गई, वहां पर समस्या आई है, लेकिन नई वीवीपैट में यह समस्या नहीं है और इसे ठीक कर लिया गया है।
सवाल : चुनावों में क्या बड़े बदलाव देखते हैं।
जवाब : ईवीएम अब काफी मजबूत हो चुकी है, दूसरा बदलाव वीवीपैट में मतदाता द्वारा पर्ची देखने की व्यवस्था, यह अभूतपूर्व रहा। लेकिन सबसे बड़ा बदलाव आम नागरिक को मजबूत करना रहा। सी विजिल एप से अब कोई भी कहीं से भी चुनाव को लेकर किसी भी तरह की शिकायत ऑनलाइन एप से दर्ज करा सकता है। इसमें सौ मिनट में कार्रवाई हुई। आम लोगों के हाथ में लोकतंत्र की मजबूती आ गई है।
सवाल : वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है, लेकिन शहरों में अभी भी समस्या।
जवाब : सभी राज्यों में वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है, छत्तीसगढ़ में नक्सली एरिया में भी है बढ़ा। शहरों में दरअसल मोबाइल वोटर काफी है, जो नौकरी करने यहां-वहां जाते रहते हैं, इसके चलते ऐसा लगता है, लेकिन लोकतंत्र में आम लोगों की भागीदारी काफी बढ़ी है।
सवाल : रियल टाइम डाटा अभी भी नहीं मिल पाते हैं।
जवाब : यह संचार की समस्या है, जहां नेटवर्क नहीं रहता, वहां से इस तरह डाटा मिलने में समस्या आती है, समय के साथ यह दूर हो जाएगी।
सवाल : नोटा के प्रचार के लिए मप्र हाईकोर्ट ने क्या कहा?
जवाब : हाईकोर्ट ने कहा है तो इस पर काम करेंगे, लेकिन हमसे आमजन पूछते हैं कि हम नोटा को 55 फीसदी वोट भी दें तो होगा क्या, आयोग चुनाव निरस्त कराएगा नहीं और सबसे ज्यादा वोट मिलने वाले प्रत्याशी को विजयी घोषित किया जाएगा।
सवाल : इन चुनावों की और आपके कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या मानते हैं?
जवाब : मेरे कार्यकाल में जितने भी चुनाव हुए, पारदर्शी, निष्पक्ष, शांति से हुए हैं, वोटिंग बढ़ी है, तकनीक को आयोग ने आत्मसात किया है। धनबल, बाहुबल पर नियंत्रण हुआ है, चुनाव में काफी शुचिता आई है।
सवाल : आपको किस नई भूमिका में देखेंगे?
जवाब : अब भोपाल में रहूंगा और समाज के लिए जो हो सकेगा वह करूंगा।
यह साक्षात्कार दैनिक भास्कर द्वारा लिया गया है