एमपी की नई शराब नीति आ गई!सब खुश हैं!उमा भारती खुश हैं क्योंकि उनकी मांग मान ली गई है।सरकार खुश है क्योंकि उसने उमा के साथ साथ पितृ संस्था को भी खुश कर दिया है।साथ ही अपनी आमदनी भी बचा ली है।उसने जो नीति बनाई है उससे कमाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा! शराब की दुकानें बंद नहीं होंगी। न ही उन दुकानों का कुछ बिगड़ेगा जिनको लेकर उमा आंदोलन कर रहीं थी। बस इतना करना होगा कि उनकी जगह बदल जायेगी।जिन महिलाओं के नाम पर मुहिम चली उनके हिस्से में कुछ नही आयेगा!उनकी तकलीफ और बढ़ने वाली है।
आपको याद होगा कि करीब दो साल पहले उमा भारती ने शराबबंदी की मांग उठाई थी। वे गुजरात और बिहार की तर्ज पर पूर्ण शराबबंदी चाहती थीं। पहले तो सरकार ने उन्हें कोई तवज्जो नहीं दी।फिर उनकी बात सुनने की बात कही।मुख्यमंत्री और उमा के बीच पत्राचार भी हुआ। ट्वीटर पर भी एकतरफा संवाद हुआ।लेकिन पिछले साल सरकार ने बड़ी चालाकी से शराब की दुकानें दोगुनी कर दीं।
बाद में शराब बंदी की बात नशाबंदी पर आकर रूकी!लेकिन उस दिशा में भी सिवाय बातों के कुछ नहीं हुआ। इस बीच उमा ने फिर अपने तेवर दिखाए!अपनी जाति की ताकत भी बताई।बात नागपुर तक पहुंची।मुख्यमंत्री की भी पेशी हुई।इसके बाद ही 2023 के लिए नई आबकारी नीति घोषित हुई।
सरकार ने कह दिया कि अब वह शराब की दुकानों के पास पीने की सुविधा नहीं देगी!धार्मिक स्थल, स्कूल, अस्पताल और अन्य महत्वपूर्ण स्थलों के पास चल रही दुकानों को दूर कर दिया जाएगा।जिन दुकानों का विरोध है उन्हें हटाया जाएगा।शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों पर और ज्यादा सख्ती होगी!
नई आबकारी नीति में ऐसा कोई संकेत भी नहीं है कि सरकार शराबबंदी के बारे में सोच भी रही है।पूरे प्रदेश में शराब की कोई भी दुकान बंद नही होगी।
मतलब साफ है कि शराब बिकेगी और धडल्ले से बिकेगी।नई नीति का पूरा असर पीने वालों पर पड़ेगा।उन्हें शराब तो भरपूर मिलेगी लेकिन बैठ कर पीने की जगह अब खोजनी होगी।प्रदेश में जो 2611 अहाते और शॉप बार चल रहे थे वे बंद हो जाएंगे।
इसके साथ ही अब उनसे पुलिस भी खुल कर वसूली कर सकेगी।क्योंकि सरकार ने शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की बात कही है।उनके लाइसेंस भी कैंसल होंगे और मोटा जुर्माना भी भरना होगा।
मतलब साफ है कि अब लोग या तो घर जाकर पियेंगे या फिर जहां जगह मिली वहां बोतल खोल लेंगे!माना जा रहा है कि ऐसे में हालात और बिगड़ेंगे।क्योंकि उमा भारती ने शराब की वजह से महिलाओं को होने वाली समस्याओं का हवाला देकर ही शराबबंदी की मांग उठाई थी।
अब नई नीति में अगर लोग शराब पीकर सड़क पर चलेंगे तो पुलिस के हाथों पकड़े जाएंगे!पुलिस क्या करेगी यह सब जानते हैं।घर में शराब पीने का परिणाम भी महिलाएं ही भुगतेंगी!
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि नई नीति से महिलाओं की समस्या और बढ़ जायेंगी!
पर सरकार को उससे क्या लेना देना!उसने तो उमा को खुश कर दिया साथ ही नागपुर को भी संतुष्ट कर दिया!शराबी कहां शराब पिएगा या पुलिस को कितना जुर्माना देगा, यह उसकी समस्या नहीं है।उल्टे सरकार खुश होगी।क्योंकि उसकी शराब पूरी बिकेगी और पुलिस की कमाई के जरिए थोडी बहुत कमाई उसकी भी बढ़ जाएगी।
सरकार के इस फैसले से उन हजारों लोगों का धंधा चौपट हो जायेगा जो अहातों में शराबियों को सेवाएं देते थे।लेकिन उनसे किसी को सहानुभूति नहीं है।न उमा को उनसे मतलब न सरकार को!
सरकार ने उमा को साध कर अपना काम पूरा कर लिया! हालांकि स्थिरता उमा के स्वभाव में नहीं है लेकिन यह माना जाना चाहिए कि चुनावी साल में वे कोई समस्या नहीं खड़ी करेंगी।साथ ही लोधी वोटों को भी बीजेपी के बाड़े में ही रोक कर रखने में मदद करेंगी!आगे क्या होगा यह वक्त ही बताएगा!
एमपी में शराब की करीब 3600 दुकानें हैं।शराब पीने के मामले में देश में वह छठे स्थान पर है।शराब से कमाई में देश में उसका सातवां नंबर है।करीब 12 हजार करोड़ रुपए की शराब यहां के लोग पी जाते हैं।यह तो सरकारी आंकड़ा है।वैसे शराब की भट्टियां पूरे प्रदेश में चलती हैं!उनकी कमाई का हिस्सा सबको मिलता है!कहा तो यह भी जाता है कि गुजरात की सीमा से लगे जिलों से हर साल कई हजार करोड़ की शराब खुद ब खुद सीमा पार कर जाती है।सीमा पर शराब का बड़ा कारोबार है।उसकी चर्चा कोई नही करता!
फिलहाल सब खुश हैं!सरकार ने अपनी कमाई में से एक पैसे की कमी किए बिना ही वाहवाही लूट ली है।उमा भारती इसलिए खुश हैं कि चलो उनकी कोई तो बात सरकार ने मानी!जनता इसलिए खुश क्योंकि उसे हर जगह हर तरह की शराब मिलती रहेगी।अब तो आयातित शराब भी मिलेगी।रही शराब पीने की जगह की बात ,अगर शराब हाथ में होगी तो वह भी मिल ही जायेगी!पुलिस को बाद में देखा जायेगा!सबसे ज्यादा पुलिस खुश है!जाहिर है उसकी आमदनी बढ़ना तय है!
हां घाटे में वे महिलाएं ही रहेंगी जिनके नाम पर उमा ने आंदोलन खड़ा किया था!पर उनकी परवाह किसे है?
कुछ भी हो अपना एमपी है तो गज्जब!बोलिए है कि नहीं?