मध्यप्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के भोपाल आने और मुख्यमंत्री के साथ डिनर करने को लेकर राजनीतिक सियासत गरमाई हुई है. दोनों नेताओं के बीच संभवत: विधानसभा सत्र, मंत्रिमंडल एवं संगठन के विस्तार को लेकर चर्चा हुई. लेकिन सिंधिया के दिल्ली लौटते ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह समर्थन ग्वालियर निवासी अशोक सिंह को अपेक्स बैंक का प्रशासक नियुक्त कर दिया. इस नियुक्ति के साथ ही प्रदेश में निगम, मंडल एवं अन्य संस्थाओं में नियुक्ति का सिलसिला शुरू हो गया है. कमलनाथ सरकार में अशोक सिंह के रूप में पहली नियुक्ति है। अब अन्य संस्थाओं के दावेदार भी फिर से सक्रिय हो गए हैं. कांग्रेस में संभावित असंतोष को थामने के लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ जल्दी ही निगम-मंडलों में नियुक्ति कर सकते हैं.
राजनीतिक नियुक्तियों के लिए कई बड़े दिग्गज नेता दौड़ में है| इनमे पहले बड़ा नाम कमलनाथ के लिए छिंदवाड़ा विधानसभा से विधायकी छोड़ने वाले दीपक सक्सेना का है, जिनका राज्य खनिज विकास निगम का अध्यक्ष बनाया जाना लगभग तय है। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी को राज्य योजना का उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है. हालांकि इस पद के लिए पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार सिंह और पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा का नाम भी चर्चा में है. इसके अलावा शोभा ओझा को महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इधर, प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया ने कहा है कि मुख्यमंत्री को किसी व्यक्ति विशेष की नियुक्ति करने के बजाए एक साथ सभी नियुक्तियां करना चाहिए. किसी एक नियुक्ति से पार्टी में असंतोष फैलता है.
मुख्यमंत्री कमलनाथ शनिवार को दिल्ली पहुंचे और उन्होंने प्रदेश के नेताओं से विधानसभा सत्र में चल रही गतिविधियों को लेकर चर्चा की. सीएम प्रदेश के नेताओं से विधानसभा सत्र के बाद मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल में एक साथ नियुक्तियां किए जाने पर विचार कर रहे हैं. निगम-मंडलों में नियुक्ति को लेकर उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से भी चर्चा की है. निगम और मंडलों में नियुक्तियों में सभी गुटों को साधने की कोशिश की जायेगी. जिसके चलते दिग्विजय और सिंधिया की सहमति के बाद इन नामों पर मुहर लगेगी. विधानसभा सत्र से पहले या बाद में घोषणा की जा सकती है. यह नियुक्तियां लोकसभा चुनाव के चलते टल गई थी, लेकिन नेताओं के असंतोष को साधने सीएम जल्द ही नियुक्तियां कर सकते हैं.
इनको मिल सकती है जिम्मेदारी
कमलनाथ के लिए विधायकी छोड़ने वाले दीपक सक्सेना, चंद्रप्रभाष शेखर और प्रकाश जैन पूर्व मंत्री रहे हैं। बटुक शंकर जोशी उज्जैन से पूर्व में विधायक रहे हैं. नरेंद्र सलूजा, मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक हैं। हेमंत बागदरे, राजकुमार खुराना, बलवीर सिंह, विनय बाकलीवाल, दिनेश गुर्जर किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष. विश्वमोहन दास, पूर्व विधायक नरेश सर्राफ, जमुना मरावी, मोहम्मद सलीम. वहीं रामेश्वर नीखरा पूर्व सांसद हैं और दिग्विजय समर्थक माने जाते हैं, दिग्विजय कोटे से राजेंद्र कुमार सिंह पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष, पूर्व विधायक विनय शंकर दुबे, पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी, मानक अग्रवाल, नरेंद्र कुमार लाहोटी और नासिर इस्लाम का नाम है.
वहीं सिंधिया समर्थकों मेंइंदौर जिला कांग्रेस अध्यक्ष प्रमोद टंडन, पूर्व विधायक सत्यनाराण पटेल, केके सिंह कालूखेड़ा, उज्जैन से पूर्व विधायक रहे राजेंद्र भारती, सुनील शर्मा महामंत्री मध्यप्रदेश कांग्रेस, पूर्व विधायक ब्रजेंद्र सिंह, योगेंद्र लुंबा, गजराम सिंह यादव और पंकज चतुर्वेदी का नाम दौड़ में है. सुरेश पचोर खुद भी इस दौड़ में है, वहीं उनके समर्थकों में से राजीव सिंह पीसीसी में महासचिव हैं. भोपाल शहर जिलाध्यक्ष कैलाश मिश्रा, पूर्व महापौर सुनील सूद और भोपाल सेंट्रल को ऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन रह चुके सुभाष शुक्ला का नाम भी चर्चा में है.