भोपाल।अंततः शिवराज सिंह ने मंत्रियों को जिलों का प्रभार दे ही दिया। हालांकि यह काम करने में उन्हें महीनों लग गए।सूची भी तब जारी हुई जब चारो ओर से यह सवाल उठे कि एक जुलाई से पहले सूची आएगी कि नहीं।लेकिन तारीख बदलने के कुछ घण्टे पहले मुख्यमंत्री ने यह बड़ा काम कर ही दिया।
मंत्रियों के प्रभार के जिलों की सूची आने के साथ ही यह भी साफ हो गया कि शिवराज ने कांग्रेस से सरकार साथ लाये ज्योतिरादित्य सिंधिया का पूरा "मान" रखा है।उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं को भी साधने की कोशिश की है और साथ ही मंत्रियों के कद का भी ख्याल रखा है।राजधानी भोपाल को उन्होंने अपने खास साथी के हवाले किया है।
सबसे पहले बात सिंधिया की।अपने सम्मान की खातिर कांग्रेस सरकार गिराने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को शिवराज ने उनकी रियासत बतौर नजराना पेश कर दी है।मुरैना और श्योपुर जिलों को छोड़ ग्वालियर चंबल संभाग के सभी जिलों का प्रभार उन्ही के मंत्रियों को दिया गया है।
सिंधिया के सबसे करीबी तुलसी सिलाबट को ग्वालियर जिले का प्रभारी बनाया गया है।मंत्रिमंडल में कद को देखते हुए सिलाबट को हरदा जिले का भी प्रभार दिया गया है।सिंधिया के सिपाही गोविंद राजपूत को भिंड तथा दमोह जिलों का जिम्मा दिया गया है।गुना और अशोक नगर का दायित्व सिंधिया के सेवक प्रद्युम्न सिंह तोमर को सौंपा गया है।सिंधिया के लिए ग्वालियर के बाद सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण शिवपुरी जिले का जिम्मा महेंद्र सिंह सिसौदिया को दिया गया है।एक जमाने में सिंधिया रियासत का हिस्सा रहे मंदसौर की कमान सिंधिया के साथ आये राज्यवर्धन दत्तीगांव को दी गयी है।
शिवराज ने अपने पुराने साथी, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र के दोनों जिलों-मुरैना और श्योपुर,का प्रभारी तोमर के करीबी भारत सिंह कुशवाहा को बनाया है।तोमर और सिंधिया के बीच संबंध बहुत अच्छे नही हैं।शिवराज ने इसका ख्याल रखा है।
अपने पुराने साथियों का भी उन्होंने पूरा ख्याल रखा है।सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा को प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर का प्रभार दिया गया है।इंदौर भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का शहर है।वह अपने शहर के भाई हैं।अब वे नरोत्तम के साथ मिलकर इंदौर का प्रशासन चलाएंगे।
सबसे वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव को संस्कारधानी जबलपुर के साथ नए बने जिले निबाड़ी का प्रभार दिया गया है।सिंधिया परिवार की वरिष्ठ सदस्य यशोधरा राजे सिंधिया को देवास के साथ आगर मालवा का प्रभारी बनाया गया है।
शिवराज ने अपने विश्वस्त साथियों का भी पूरा ख्याल रखा है।राजधानी भोपाल का प्रभारी उन्होंने अपने वफ़ादार साथी भूपेंद्र सिंह को बनाया है।
कांग्रेस विधायकों का बेंगलुरु में "ख्याल" रखने वाले अरविंद भदौरिया को सागर और रायसेन का जिम्मा दिया गया है।जबकि विश्वास सारंग को उमा भारती के गृह जिले टीकमगढ़ के साथ साथ शिवराज के जिले विदिशा का दायित्व दिया गया है।
सिंधिया के साथी प्रभुराम चौधरी को धार और सीहोर जिले दिए गए हैं।इसके अलाबा जो अन्य कांग्रेसी विधायक भाजपा में आये थे उनका भी सम्मान शिवराज ने रखा है।
मंत्रियों को प्रभार वितरण के जरिये शिवराज ने अपनी पार्टी के कई नेताओं का कद नाप दिया है।खासतौर पर ग्वालियर चंबल संभाग में अब सिंधिया का ही दबदबा रहेगा।
भाजपा के बड़े नेता यह मानते हैं जिस तरह प्रभार वितरण किया गया है उससे पार्टी के भीतर असंतोष पनपेगा।लेकिन यह कड़बी सच्चाई है कि सरकार सिंधिया की बजह से बनी है।इसलिए उनका सम्मान तो रखा ही जायेगा।कम से कम अगले विधानसभा चुनावों तक तो वही होगा जो सिंधिया चाहेंगे।जिन नेताओं को तकलीफ हो वे पहले यह सोचें कि 2018 में पार्टी हारी क्यों थी।
फिलहाल शिवराज सिंह ने पहली अग्निपरीक्षा पास कर ली है।एक जुलाई से प्रदेश सरकार सरकारी कर्मचारियों के तबादले करेगी।जिलों में तबादले प्रभारी मंत्रियों की संतुति पर ही होंगे।अगले एक महीने तक चलने वाले तबादले सरकार के लिए एक बड़ी समस्या बन सकते हैं।क्योंकि सरकार किसी भी पार्टी की हो मध्यप्रदेश का "तबादला उद्योग" खासा चर्चा में रहता आया है।