सुबह की चाय पीकर धरमधुरी से बतिया रहा था कि फोन पर उखरा से मुसद्दी भइया आ धमके!फोन उठाते हुए धरमधुरी की ओर ऐसे देखा जैसे मुसद्दी भइया सामने ही खड़े हों!वह मेरे हाव भाव देख कर हंसी और बोली-फोन उठाओ !भइया उखरा में हैं सामने नही हैं।जो मैं परदा कर लूं।उनकी बात सुनकर मैं भी जोर से खिसियानी हंसी हँसा,जैसे कि चोरी पकड़ी गई हो!
फोन के स्क्रीन पर उंगली सरकाई!तत्काल पालागन दागा!भइया ने हंसते हुए कहा-तगड़े रहो और लड़ते रहो।
मैं थोड़ा अचकचाया!भइया ने उखरा से ही मेरा भाव भांप लिया!वे बोले-अरे भाई क्या सोच रहे हो!अरे तगड़े रहोगे तभी तो लड़ पाओगे!लो आज सुकुल दद्दा से बात करो!वे कल से तुम्हें याद कर रहे हैं।आपको याद होगा कि हमारे सुकुल दद्दा अंग्रेजों के जमाने के मिडिल पास हैं।सरकारी मुलाजिम रहे हैं।अंग्रेजी बोलना उनका प्रिय शगल है।उखरा में उनकी ननिहाल है।खुद 90 पार कर गए हैं।लेकिन अपनी ननिहाल और मुसद्दी भइया से उनका रिश्ता लगातार बना हुआ है।वह साल में दो तीन बार उखरा का चक्कर लगा ही जाते हैं।
मैं कुछ बोल पाता उससे पहले ही सुकुल दद्दा ने खुश रहने का आशीर्वाद देते हुए सवाल दाग दिया - क्यों छोटे लल्ला अखबार बख्बार पढ़ा कि नहीं? मुझे कल से तुम्हारी याद आ रही है।मैंने पूछा क्यों दद्दा आपको मेरी याद क्यों आ रही है!
वे गंभीर हंसी हंसे ! कुछ क्षण मौन रहे फिर बोले-कल टीवी पर देखा था अखबार में भी पढ़ा!सबसे बड़ी खबर लखनऊ की गोमती नदी को लेकर ही है।
मैं कल से यह सोच रहा हूँ कि तोता अचानक बिल्ली कैसे बन गया?हाऊ पैरट बीकेम कैट!और हाऊ ही इज बिहैविंग लाइक कैट?
मैंने उन्हें टोंकते हुए पूछा- दद्दा आप किसकी बात कर रहे हो।इस पर सुकुल दद्दा जोर से हंसे और बोले-अरे भाई मैं तीन अक्षर वाले सरकारी तोते की बात कर रहा हूँ।अपने बड़े पंचों ने उसे पिंजरे में बंद तोता कहा था।लेकिन आजकल तो यह बिल्ली की तरह काम कर रहा है।पिंजरे से निकलता है बिल्ली की तरह झपट्टा मारता है!फिर पिंजरे में वापस!
दद्दा बोले जा रहे थे!देखो जो मुकदमा 2017 में दर्ज हुआ उसके लिए छापेमारी 2021 में हो रही है।वो भी जब चुनाव का डंका बजना शुरू हुआ है तब!जिला पंचायत चुनाव में टीपू ने टिप टिप की और उनकी घेराबंदी शुरू!
हमने 90 साल देख लिए हैं जिंदगी के! तोते हमेशा शोर मचाते आते हैं। खेत या छत पर चुगते हैं और उड़ जाते हैं।लेकिन ये तोता तो एकदम अलग है।यह तो सड़क के किनारे बैठ कर भविष्य बताने वालों के तोते की तरह पिंजरे से निकलता है। अपना काम करके फिर पिंजरे में चला जाता है। अब देखो न! चार साल तक बिल्ली की तरह घात लगाए बैठा रहा! इधर चुनावी आहट हुई उधर उसने झपट्टा मार दिया। अब हमें यह भी समझ में आ गया कि अपनी जगत बहिनी चुनाव मैदान से क्यों हट गयीं थीं!क्योँ वे कांग्रेस को कोस रही हैं!
वैसे तो हुजूर को बहुत सी कलाएं आती हैं।किसी को कुछ भी बना सकते हैं।जो मास्टर बनने लायक भी न हो उसे खुद का मुखिया बना लेते हैं।जिसका स्कूल कालेज कभी कोई वास्ता न रहा हो उसे शिक्षा मंत्री बना देते हैं।जो उनसे खुद अपनी रक्षा न कर पाए उसे रक्षा मंत्री बना देते हैं। मतलब वे कुछ भी कर सकते हैं!
लेकिन जे तोता को बिल्ली बनाने का खेल कुछ अनोखा ही है!क्यों तुम्हें नहीं लगता क्या!
दद्दा अपनी रौ में बह रहे थे।इसलिये मैं हां.. हूं...से ही काम चला रहा था।इतने में उन्होंने एक सवाल दाग दिया!क्यों ऐसा नही लगता कि हुजूर के चिड़ियाघर में नए नए पक्षी और जानवर आ गए हैं। या उन्होंने बहुतों को इस जमात में ला खड़ा किया है।तोता तो चलो पुराना है।कुत्ता तो उससे पहले से ही है!दिल्ली से बंगाल तक उसकी पूंछ हिलती दिखती है।कुछ सालों से खाते बही पर नजर रखने वाला लंगूर भी बहुत ही उछल कूद कर रहा है।और तो और.. अफीम-गांजे की खुशबू में मस्त रहने वाला गेंडा भी मुंबई में हीरो-हीरोइनों को जेल की खुशबू सुंघा रहा है।
कोई समझ ही नही पाता है कि कौन सा महकमा कब इस श्रेणी में शामिल होकर मूड़ पर नाचने लगेगा!
पंचों ने तो एक तोता देखा था!लेकिन उस तोते के साथ कितने " सरकारी जीव" हुजूर के इशारे पर ता ता थैया करने लगे हैं,इसका तो हिसाब उनके पास भी नही होगा।क्योंकि वह भी तो अब उनके जैसे ही बन गए हैं।आखिर राज्यसभा के दरवाजे जो खुल गए हैं।राजभवन तो पहले से हैं ही।
सुकुल दद्दा कहते कहते थोड़ा रुके!लम्बी सांस ली!फिर बोले-हुजूर के पिटारे में सांप बिच्छू भी होंगे।शायद यही बजह है कि उनके कहारों के मुंह नही खुलते।वे बस पालकी उठाये चले जा रहे हैं।उनके चेहरे तो दिख रहे हैं।लेकिन मुंह में जीभ नही है।शायद उनकी जेबों में हुजूर ने सांप बिच्छू भर दिए हैं।
कोई सुराग लगाओ!अपने ज्ञानी दोस्तों से पूछो!आखिर तोते को बिल्ली बनाने की कला हुजूर ने हिमालय की किस कंदरा में सीखी है?हर वार कमर के नीचे करने की कला उन्हें किस "गुरू" ने सिखाई है?
दद्दा के रुकते ही मैंने कहा-दद्दा बहुत कठिन काम है यह!कौन बताएगा!आखिर सभी तो हुजूर के चिड़ियाघर में ही रम रहे हैं।
इस पर दद्दा बोले-लेटस होप फ़ॉर द बेस्ट।डोंट लूज होप! डू समथिंग!इफ़ दियर इज ए विल..दियर इज ए वे...
तुम अपने दोस्तों से पूछना!हम फिर कॉल करेंगे।