भोपाल।कांग्रेस से सत्ता छीनने के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 15 महीने की कमलनाथ सरकार के ज्यादातर फैसले उलट दिए हैं।लेकिन एक फैसला नही उलटा है!वह फैसला है-पेट्रोल डीजल पर वैट बढ़ाने का।इस बजह से मध्यप्रदेश में डीजल पेट्रोल देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे महंगा है।
भोपाल में आज की तारीख में पेट्रोल का रेट 110 रुपये प्रति लीटर को भी पार कर गया है।डीजल की कीमत भी 100 रुपये प्रति लीटर को छू रही है।बस कुछ पैसे बढ़े और डीजल भी 100 रुपये पर हो जायेगा।
लेकिन हर बात में कांग्रेस को कोसने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस ओर से आंखे मूंदे बैठे हैं।अगर मीडिया में उनसे या उनके मंत्रियों से डीजल पेटोल के दामों के बारे में पूछा जाता है तो वह बड़ी मासूमियत से कहते हैं-हम क्या करें।यह दाम तो कांग्रेस सरकार ने बढ़ाये थे।कल तक दाम बढ़ने के विरोध में सड़कों पर प्रदर्शन करने वाले भाजपा नेता और सरकार के मंत्री अब लोगों को साइकिल चलाने का सुझाव दे रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पेट्रोल डीजल की मूल कीमत पर केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी लेती है।उसके डीलर का कमीशन जुड़ता है।उसके ऊपर राज्य सरकारों का वैट लगता है।
अब मोदी सरकार के मंत्री की माने तो देश में सबसे ज्यादा वैट मध्यप्रदेश में बसूला जाता है।सबसे कम वैट अंडमान निकोबार दीप समूह में लगता है।केंद्रीय मंत्री हरदीप पूरी द्वारा लोकसभा में दी गयी जानकारी के मुताविक मध्यप्रदेश की सरकार एक लीटर पेट्रोल पर 31 रुपये 55 पैसे बसूलती है।यह आंकड़ा दैनिक बढ़ोत्तरी के साथ बढ़ता रहता है।मंत्री के मुताविक अंडमान निकोबार दीप समूह में 5 रुपये प्रति लीटर से भी कम वैट डीजल पेट्रोल पर लगता है।
करीब 15 दिन पुराने आंकड़ों के मुताविक एक लीटर पेट्रोल पर केंद्र सरकार 32 रुपये 90 पैसे एक्साइज ड्यूटी लेती है। 3 रुपये 85 पैसे डीलर का कमीशन होता है।बाकी सब राज्य सरकारों का वैट है।राज्य सरकारें अपना खर्च चलाने के लिए वैट के अलाबा और भी कई तरह के टैक्स पेट्रोल डीजल पर बसूलती हैं।
एक उल्लेखनीय बात यह भी है कि 2014 में जब मोदी सरकार बनी थी तब पेट्रोल पर करीब साढ़े नौ रुपये एक्साइज ड्यूटी लगती थी।2021 आते आते यह ड्यूटी करीब तीन सौ गुना बढ़कर 33 रुपये के करीब पहुंच गई है।पहले डीजल पेट्रोल के दाम बढ़ने पर भाजपा के नेता फौरन बैलगाड़ी निकाल लेते थे।लेकिन पिछले 7 साल में उन्हें बढ़े हुए दाम दिखाई नही दिए हैं।
मध्यप्रदेश की हालत तो सबसे ज्यादा खराब है।पेट्रोल डीजल के दाम सबसे ज्यादा होने की बजह से दूसरे राज्यों से आने वाले भारी वाहन प्रदेश में डीजल पेट्रोल खरीदते ही नही है।और तो और भोपाल नगर निगम भी उत्तरप्रदेश सीमा से सीमा से डीजल मंगाता है ताकि बचत कर सके।
सबसे ज्यादा वैट का खामियाजा सीमावर्ती जिलों के पेट्रोल पंप मालिक सबसे ज्यादा भुगत रहे हैं। लोग पड़ोसी राज्यों से डीजल पेट्रोल ले आते हैं।इनकी बिक्री बहुत कम होती है।
इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री पूरी तरह मौन हैं।वे किसानों को तमाम तरह की राहत देने की बात तो करते हैं।लेकिन उन्हें डीजल के बढ़े हुए दाम दिखाई नही देते।जबकि इन बढ़े हुए दामों की बजह से सबसे ज्यादा असर किसान पर ही पड़ रहा है।
कांग्रेस की हर बुराई को खत्म करने का दावा करने वाले शिवराज उसके द्वारा बढ़ाये गए वैट को कब कम करेंगे?इसका सभी को इंतजार है। लेकिन माना यह जा रहा है कि लाखों करोड़ के कर्ज में दबी सरकार इस बारे में सोचेगी भी नही।हो सकता है कि आने वाले दिनों में पेट्रोलियम उत्पादों पर राज्य सरकार अपनी बसूली और बढ़ा दे।