Rahul's Bharat Jodo Yatra reached Madhya Pradesh: ये धनुष बाण देख रहे हैं आप? यह आदिवासियों के हैं। खंडवा मध्य प्रदेश का एक आदिवासी बहुल जिला है। इन्हीं के लिए राहुल ने अभी गुजरात में भाजपा से कहा था कि वनवासी नहीं आदिवासी कहिए। यहीं अभी पिछले जुलाई में एक साथ तीन आदिवासी बहनें पेड़ से लटकी हुई मिली थीं। यह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी टंट्या भील की जन्मभूमि है। रॉबिनहुड के नाम से प्रसिद्ध। टंट्या मामा कहा जाता है। यहां आदिवासियों की एक बहुत ही रेयर प्रजाति कोरकू रहती है। राहुल प्रियंका का यहां आदिवासियों से मिलने और टंट्या मामा को श्रद्धांजलि दिए जाने का भी एक कार्यक्रम है।
आज मध्यप्रदेश के खंडवा जिले मे प्रियंका गांधी ने भारत जोड़ों यात्रा में अपने रॉबर्ट बढेरा और अपने बच्चों समेत भाग लिया है। उनके साथ राजस्थान के जोशीले नेता सचिन पायलट भी है। जहां राजस्थान के सीएम गुजरात चुनाव में व्यस्त है तो सचिन भारत जोड़ों यात्रा का नेतृत्व कर रहे है।
बात अगर हम यात्रा की करें तो रोजाना नए चित्र सामने आते है। एक कंबल! पूस की रात याद है? प्रेमचंद की। उसमें सारी जद्दोजहद एक कंबल की ही थी। हल्कू पूस की सर्द ठिठुरन भरी रात में कांपते हुए खेत में फसल की रखवाली करते हुए केवल एक कंबल के ही सपने देखता था! किसान वापस उसी लाचारी, मजबूरी की तरफ धकेल दिया गया है। अभी भोर पूरी तरह हुई नहीं है मगर किसान उसकी आहट पहचान लेता है और अपने घर से निकल पड़ता है। राहुल और प्रियंका को बता रहा है की किस तरह खेती-किसानी बर्बाद कर दी गई। यहीं इसी मालवा में मंदसौर में किसानों पर गोलियां चलाई गईं थीं। आज तक उनके परिवारों को न्याय नहीं मिला।
राहुल के साथ मिल रहे अपने पान से भारत की जनता में उनके प्रति सहानुभूति की लहर दौड़ पड़ी है। इस दौड़ को वो पोलिंग बूथ तक लेकर पहुँच पाएंगे कि नहीं यह सवाल बना हुआ है जबकि यात्रा ने अब पहले हिंदी भाषी राज्य में प्रवेश किया है। अगर यह भारत जोड़ो यात्रा जिस हिसाब से दक्षिण के गैर हिंदी भाषी राज्यों में अपना रुख बनाए हुए थी वैसा ही जन समर्थन यहाँ मिला तो फिर बीजेपी का मोदी कमजोर पड़ते नजर आएंगे। चूंकि हमारे यहाँ नेता उम्र के साथ रिटायर होते रहे है हालांकि अभी मोदी की ऊर्जा कमजोर नहीं पड़ रही है।