भाजपा की बाउंसी पिच पर राहुल द्रविड़ सी बैटिंग करती कांग्रेस, मध्य प्रदेश की राजनीति कुछ नए अंदाज में
ऐसे में राहुल द्रविड़ सिर्फ वेल लेफ्ट (क्रिकेट की भाषा में जिस गेंद को बल्लेबाज खेलने का प्रयास न करे उसे वेल लेफ्ट कहते हैं ) करके , बेहतर डिफेन्स करके खूंखार गेंदबाजों को हताश कर देते थे।
सचिन चौधरी
वेस्ट इंडीज में बारबाडोस की पिच हो, साउथ अफ्रीका में डरबन की या फिर ऑस्ट्रेलिया में पर्थ की उछाल भरी और तेज पिच। इन पिचों पर सचिन तेंदुलकर या वीरेंद्र सहवाग की रफ़्तार नहीं,राहुल द्रविड़ का धैर्य काम आता है। याद कीजिये राहुल द्रविड़ की टेस्ट बल्लेबाजी को, जब ग्लेन मैक्ग्रा,एलेन डोनाल्ड,कर्टली एम्ब्रोस जैसे गेंदबाज अपनी तेज पिचों पर भारतीय बल्लेबाजों को खूना खच्च करने को तैयार रहते थे। ऐसे में राहुल द्रविड़ सिर्फ वेल लेफ्ट (क्रिकेट की भाषा में जिस गेंद को बल्लेबाज खेलने का प्रयास न करे उसे वेल लेफ्ट कहते हैं ) करके , बेहतर डिफेन्स करके खूंखार गेंदबाजों को हताश कर देते थे। दिन के अंतिम सेशन में इन्ही थके और निराश गेंदबाजों पर स्कोर बनाना आसान हो जाता था।
राहुल द्रविड़ की इसी अद्भुत रणनीति पर इन दिनों मध्य प्रदेश में कांग्रेस पार्टी चल रही है। राजनीति के बड़े विश्लेषकों से इतर मेरा मानना यह है कि ऐन चुनाव में कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं का दिल्ली में डेरा डालना प्रदेश कांग्रेस दफ्तर में सन्नाटा सा होना यह सब एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है। दरअसल 15 साल की भाजपा सरकार और केंद्र में मोदी सरकार के चलते यह चुनाव तेज विदेशी पिचों जैसा है। उस पर से मोदी शाह जैसे कमर तोड़ तेज गेंदबाज और शिवराज जैसे गुगली विशेषज्ञों से पार पाना आसान नहीं है। भाजपा इस चुनाव के लिए हद से ज्यादा उत्साह में थी। कमलनाथ ,सिंधिया ,दिग्विजय जैसे नेताओं के खिलाफ बड़ी तैयारी कर रखी थी। लेकिन वार किस पर करें। सो जो भी आक्रमण हो रहे हैं सामने कोई प्रतिक्रिया न होने से वेल लेफ्ट हो रहे हैं और तीर खाली हो रहे हैं। माहौल देखिये, भाजपा दफ्तर में प्रत्याशी बनने के लिए हो हल्ला हो रहा , नारे बाजी हो रही और बवाल चल रहा है। वहीं कांग्रेस के बड़े नेता दिल्ली में हैं और स्थानीय नेता अपने अपने जन संपर्क में।
दरअसल कांग्रेस पार्टी यह समझ चुकी है कि उसे तो जनता जिताना नहीं चाहती लेकिन भाजपा जरूर हार सकती है। सरकार के विरोध में पिछले 15 साल में पहली बार माहौल दिख रहा है। ऐसे में कांग्रेस ने तय किया है कि चुनाव को भाजपा और कांग्रेस की बजाय भाजपा और जनता के बीच का बना दिया जाये जिसका अप्रत्यक्ष लाभ उसे ही मिल जायेगा। इसी वजह से इतनी शांति है। न कोई गुटबाजी की खबर , न बवाल की। टिकट वितरण के बाद भी जितना बवाल कांग्रेस में होना है उससे कहीं ज्यादा भाजपा में होने की आशंका है। इसलिए फिलहाल तो भाजपा के उत्साही बॉलर राहुल द्रविड़ की तकनीक के आगे पस्त होकर गलतियां कर रहे हैं। संबित पात्रा की प्रेस कॉन्फ्रेंस का हंगामा इसी गलती का एक उदाहरण है।
अभी भाजपा की ओर से स्लॉग ओवर्स में सटीक यॉर्कर के लिए विख्यात मोदी के ओवर्स बाकी हैं। जहां चूके तो डंडे बिखर जाने हैं। इनकी यॉर्कर को वेल लेफ्ट नहीं कर सकते।आपको विकेट भी बचाना है और अंत समय है सो रन भी बनाना है। मैच रोमांचक है, लेकिन दोनों के ही जीतने के चांस बने हुए हैं। देखते रहिये।