अरुण दीक्षित
भोपाल।मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा में चल रही गहमागहमी के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने गुरुवार को अपने विरोधियों को एक बड़ा संदेश दिया!यह संदेश था-तुम कुछ भी करो मुझे कोई फर्क नही पड़ता!
उल्लेखनीय है कि पिछले एक पखबाडे से भोपाल और दिल्ली में चल रही भाजपा नेताओं की "टी पॉलिटिक्स" के चलते प्रदेश का सियासी पारा बहुत ही चढ़ा हुआ था।रोज नई कहानियां सामने आ रही थीं।बात मुख्यमंत्री की कुर्सी के इर्दगिर्द ही घूम रही थी।हालांकि पहले इस पर खुद उन नेताओं ने विराम लगाया जो टी पॉलिटिक्स के सूत्रधार थे।लेकिन आज शिवराज ने अपनी ओर से अपने विरोधियों और समर्थकों को अपनी ही शैली खास सन्देश दे दिया।
बुधवार का दिन भोपाल के लिए काफी व्यस्त दिन था। कांग्रेस छोड़ भाजपा में आये ज्योतिरादित्य सिंधिया भोपाल आये थे।उन्होंने कांग्रेसी शैली में अपना शक्ति प्रदर्शन किया।लेकिन बातें भाजपा की अनुशासित शैली में कीं।वह प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से भी मिले।लंच और टी पॉलिटिक्स भी हुई।पूरे दिन हंगामा मचा रहा।
सूत्रों के मुताविक सिंधिया शिवराज से सरकार में अपना हिस्सा मांगने आये थे।शिवराज सिंधिया की बजह से मुख्यमंत्री हैं। सिंधिया चाहते हैं कि जिन लोगों की बजह से वे किंग की बजाय किंग मेकर बने हैं, उन्हें सत्ता में उनका हिस्सा मिल जाये।सो वे अपने समर्थकों की सूची लेकर आये थे।वे अपने लोगों के नाम दे गए हैं।अब गेंद शिवराज के पाले में है।उन्हें यह घोषित करना है कि महाराज के भक्तों को कैसे और कितना हिस्सा सत्ता में मिलेगा।
इसलिए बुधवार का दिन हंगामेदार रहा।लेकिन शिवराज ने शाम होते होते इस हंगामे की हवा निकाल दी।सिंधिया के साथ बैठक करके वे अपनी धर्मपत्नी साधना सिंह और पुत्रों के साथ पचमढ़ी के लिए रवाना हो गए।
पचमढ़ी को मध्यप्रदेश की मसूरी कहा जाता है।भोपाल से उसकी दूरी करीब 200 किलोमीटर है।पचमढ़ी प्रदेश के कई अहम राजनीतिक घटनाक्रमों की गवाह रही है।
शिवराज ने गुरुवार को पचमढ़ी में अपनी धर्मपत्नी साधना सिंह का जन्मदिन मनाया।साथ ही उन्होंने वट सावित्री त्योहार का आनन्द भी लिया।ठंडी पचमढ़ी से शिवराज ने कई संदेश भेजे।उन्होंने उस आम के पेड़ का फोटो भी डाला जिसे उन्होंने तीन साल पहले लगाया था।
वे पचमढ़ी के बहुचर्चित वट वृक्ष के नीचे भी घूमें जो सैकड़ों साल पुराना बताया जाता है।उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अनुसरण करते हुए अकेले अकेले फोटो खिंचबवाये और उन्हें पोस्ट भी किया।साथ ही यह कहना भी नही भूले कि पेड़ लगाइए!पेड़ जीवन के लिए जरूरी हैं।
शिवराज भले ही पत्नी का जन्मदिन मनाने गए हों पर उनके संदेशों के पीछे छिपे अर्थ डिकोड किये गए हैं।भाजपा के एक अनुभवी नेता मानते हैं कि शिवराज ने वट के पेड़ के नीचे खड़े होकर अपने विरोधियों को बता दिया है कि मैं वट वृक्ष की छत्रछाया में हूं।आप लोग बिना बजह परेशान हो रहे हो।
वैसे शिवराज अपने परिवार का विशेष ख्याल रखते हैं।खासकर वट सावित्री और करबा चौथ जैसे त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाते रहे हैं।उनकी पत्नी भी भाजपा की राजनीति में सक्रिय हैं।पिछले कार्यकाल तक वह साये की तरह शिवराज के साथ रहती थीं।वह विदिशा से लोकसभा का चुनाव भी लड़ना चाहती थीं।लेकिन पार्टी ने मौका नही दिया।
फिलहाल पचमढ़ी में पत्नी का जन्मदिन और वट सावित्री त्योहार मना कर शिवराज - साधना ने एक साथ कई मोर्चे साध लिए हैं।
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