सुप्रीमकोर्ट के नोटिस के बाद मुश्किल में फंसी शिवराज सरकार, आखिर होगा क्या?

Update: 2020-08-17 16:11 GMT

मध्यप्रदेश में कमलनाथ की 15 महीने पुरानी सरकार गिराने के बाद सियासत में लौटी शिवराज सरकार ने अपनी कैबिनेट कैबिनेट में विधायकी की छोड़ चुके कई नेताओं को मंत्री पद दे दिया. इस पर प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई. प्रदेश में चल रही एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति के बाद कांग्रेस ने दोबारा बिना चुनाव लड़े मंत्री पद पाने वाले विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी थी.

अब उस पर सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा के मुख्य सचिव वह विधानसभा के स्पीकर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है

आपको बता दें कि कमलनाथ सरकार को गिरा कर सत्ता में वापस लौटे शिवराज सिंह ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हुए 22 विधायकों में से कई नेताओं को अपनी कैबिनेट में जगह दी है. जिसको लेकर कांग्रेस के विधायक विनय सक्सेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. उस याचिका में कहा गया था कि बिना दोबारा चुनाव लड़े और बिना विधायक बने किसी भी नेता को मंत्री पद दिया जाना उचित नहीं है. इसलिए ऐसे नेताओं को अयोग्य साबित कर चुनाव लड़ने से वंचित किया जाए. अब इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश की विधानसभा को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा के मुख्य सचिव और स्पीकर को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब दाखिल करने की बात कही है .

बता दें कि मध्यप्रदेश में होली के पर्व पर एक राजनीतिक भूचाल आ गया था. इस सब के बीच कांग्रेस के 22 विधायकों ने पार्टी और अपने पद से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया था. जिसके बाद विधायकी से मरहूम इन सभी विधायकों मैं से एक दर्जन को शिवराज ने मंत्री बना दि.या जिस पर कांग्रेस विधायक ने आपत्ति जताते हुए याचिका दायर की थी. वहीं प्रदेश में खाली हुई इन 27 विधानसभा सीटों पर अभी उपचुनाव होने हैं. तो अब इस मामले में राजनीत होना तो तय है. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के इस नोटिस से मध्य प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है.

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