मैदान में क्यों नहीं उतरे मामा?
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने लोकसभा चुनाव से दुरी क्यों बनाई?
भारतीय जनता पार्टी ने मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भोपाल ही नहीं इंदौर से भी उम्मीदवार बनाए जाने पर विचार किया. बाद में पार्टी ने कई अन्य पहलुओं पर विचार विमर्श करते हुए उन्हें लोकसभा उम्मीदवार बनाये जाने की अपेक्षा राज्य में पार्टी के पक्ष में माहौल बनाये जाने की मजबूत जिम्मेदारी सौंपी.
पार्टी ने नेताओं ने सोचा कि अगर शिवराज सिंह को लोकसभा चुनाव लड़ाया जाएगा तो चुनाव जीतने के बाद एक जगह से इस्तीफा देना होगा और एक जगह अनायास ही पार्टी को उपचुनाव की तैयारी करने पड़ेगी. जबकि उम्मीदवार नहीं होंगे तो राज्य में सभी उम्मिद्ववारों के पक्ष में प्रचार के लिए पूरा समय मिल जाएगा. राज्य के सभी उम्मीदवारों को उनकी आवश्यकता है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ पार्टी ने उन्हें भोपाल से उम्मीदवार बनाकर उसके आस पास की कई सीटों पर निशाना साधने का प्रयास किया. हालांकि पार्टी का मानना था कि शिवराज सिंह भोपाल सीट पर ही नहीं आसपास की सीटों पर भी असरदार साबित होंगे. लेकिन फिर बड़े नेताओं की मीटिंग में यह कहा गया कि भोपाल से किसी और उम्मीदवार को चुनाव लड़ाया जाय ताकि शिवराज सिंह का प्रयोग पूरे राज्य में किया जाय और बीजेपी के लिए एक अच्छे माहौल का निर्माण किया जाय.
वहीं कुछ लोंगों का मानना है कि विधानसभा में चुनाव हारने के बाद शिवराजसिंह की हालत पार्टी में ठीक नहीं है जबकि उनके साथ ही अपनी गद्दी गवाने वाली वसुंधरा राजे आज भी ताकतवर बनी हुई है.जबकि रमन सिंह और शिवराज सिंह की हालत ठीक नहीं है. हालांकि सभी बीजेपी नेता इस बात को नकार जाते है. बीजेपी ने भोपाल सीट पर प्रज्ञा ठाकुर को चुनाव में उतारा है. जबकि कांग्रेस ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को उतारकर बड़ी चुनौती पेश कर दी है.